लद्दाख के लोग लंबे समय से पूर्ण राज्य के दर्ज की मांग कर रहे हैं। (फाइल फोटो)
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करने वाली लद्दाख सिविल सोसाइटी की केंद्र से बातचीत विफल हो गई है। सोसाइटी के छह सदस्यीय डेलिगेशन ने सोमवार को दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी, लेकिन इस मुलाकात का कोई नतीजा नहीं निकला।
लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट चेरिंग दोरजे लाकरुक ने मीडिया को बताया कि गृहमंत्री ने उन्हें साफ कहा कि संविधान की छठी अनुसूची के आधार पर न तो लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है और न हर इसकी गारंटी दी जा सकती है। गृहमंत्री की इस बात के बाद बात करने को कुछ नहीं रहा।
लाकरुक ने बताया कि वे गृहमंत्री के बुलावे पर ही तीसरे दौर की बातचीत के लिए दिल्ली आए थे। पहले वे गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मिले, उसके बाद गृहमंत्री के आवास पर उनसे मुलाकात की। लद्दाख सिविल सोसाइटी की तरफ से पूर्व भाजपा सांसद और लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन के प्रमुख थुप्स्टान छेवांग ने बातचीत की अगुआई की थी।
कमेटी की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया कि गृह मंत्री के साथ बातचीत का कोई पॉजिटिव नतीजा नहीं निकला इसलिए अब लद्दाख एपेक्स बॉडी (LAB) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के नेता आगे की कार्रवाई के लिए लद्दाख के लोगों की राय लेंगे।
नई दिल्ली में लद्दाख सिविल सोसाइटी के सदस्यों की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की तस्वीर।
पिछले महीने हजारों लोगों ने लेह में विरोध मार्च निकाला था
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा दिए जाने की मांग को लेकर 4 फरवरी को लेह में कड़कड़ाती ठंड के बीच हजारों लोगों ने सड़कों पर मार्च निकाला था। इससे एक दिन पहले 3 फरवरी को लद्दाख में बंद का ऐलान किया गया था। प्रदर्शन का नेतृत्व लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने किया था।
4 फरवरी को लेह की सड़कों पर हजारों की संख्या में लोगों ने केंद्र सरकार के प्रति विरोध मार्च निकाला था।
लद्दाख के सोशल वर्कर सोनम वांगचुक कर चुके हैं आमरण अनशन का ऐलान
लद्दाख के सोशल वर्कर सोनम वांगचुक इन मांगों के समर्थन में आमरण अनशन करने की बात कह चुके हैं। वे 20 फरवरी को अनशन शुरू करने वाले थे, लेकिन इससे एक दिन पहले ही 19 फरवरी को लद्दाख के नेताओं की केंद्र से बातचीत हुई। वांगचुक ने 20 फरवरी को कहा कि फिलहाल वे बातचीत के नतीजों के इंतजार में हैं। सरकार के फैसले को देखकर अनशन करने पर अगले हफ्ते फैसला करेंगे। वांगचुक ने कहा कि 26 फरवरी को हमने लेह में सभा बुलाई है। हम यहां या तो केंद्र सरकार को धन्यवाद देंगे या फिर आमरण अनशन शुरू करेंगे।
चार साल पहले केंद्र ने आर्टिकल 370 हटाया था
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था।
इसके बाद जम्मू और कश्मीर को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था।
लेकिन इसके दो साल के अंदर ही लेह और कारगिल के लोगों को राजनीतिक तौर पर बेदखल किया हुआ महसूस करने लगे और तभी से केंद्र के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
बीते दो साल में लोगों ने कई बार विरोध प्रदर्शन कर पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा मांगते रहे हैं, जिससे उनकी जमीन, नौकरियां और अलग पहचान बनी रही, जो आर्टिकल 370 के तहत उन्हें मिलता था।
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