सुप्रीम कोर्ट ने 13 जनवरी को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी गफूर समेत 114 दोषियों की ओर से दायर माफी याचिका पर निर्णय लेने में देरी पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। गफूर को देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के मामले में उम्रकैद हुई है। उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वह 16 साल की सजा काट चुका है। इस आधार पर उसकी समय से पहले रिहाई की जाए।
मामले की सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने की। बेंच ने 14 साल से अधिक सजा काट चुके उम्रकैद के दोषियों की माफी याचिका स्वत: खारिज करने के लिए राज्य सरकारों को फटकार लगाई। कोर्ट ने गफूर की माफी याचिका समेत 114 याचिकाओं पर फैसला लेने के लिए सरकार को दो हफ्ते का समय दिया है।
21 दिसंबर को हुई थी सजा समीक्षा बोर्ड की बैठक
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कोर्ट को बताया कि गफूर समेत 114 दोषियों की समयपूर्व रिहाई पर विचार के लिए बीते 21 दिसंबर को सजा समीक्षा बोर्ड की बैठक हुई थी। इसका मसौदा एलजी को सौंपने के लिए दिल्ली सरकार के गृह विभाग को भेज दिया है। इस पर बेंच ने कहा कि आप जो कर रहे हैं वो शीर्ष कोर्ट के 11 दिसंबर के आदेश का उल्लंघन है।
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