जम्मू-कश्मीर के राम मंदिर में कलश स्थापना: अयोध्या से भेजा गया था, मार्तंड सूर्य मंदिर परिसर में स्थित है

 

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा से पहले देश के चुनिंदा राम मंदिरों में कलश भेजा गया है। मार्तंड सूर्य मंदिर उनमें से एक है।

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के प्रसिद्ध मार्तंड सूर्य मंदिर के अंदर बने राम मंदिर में कलश की स्थापना की गई। ये कलश अयोध्या से भेजा गया था, जिसे रविवार को विधि-विधान और भजन-कीर्तन के साथ मंदिर में स्थापित किया गया।

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कलश स्थापना उत्सव में शामिल होने के लिए न सिर्फ बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित बल्कि देश के कई हिस्सों से श्रद्धालु आए थे। इस मौके पर एक खास पूजा का आयोजन किया गया और कलश को मंदिर के अंदर रखा गया। वहां मौजूद लोगों ने देश में शांति और समृद्धि के लिए विशेष प्रार्थना की।

दरअसल, 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले देश के चुनिंदा राम मंदिरों में यहां से कलश भेजा गया है। मार्तंड सूर्य मंदिर भी उनमें से एक है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने कलश में चावल रखकर जम्मू-कश्मीर भेजे।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने कलश में चावल रखकर जम्मू-कश्मीर भेजे।

मार्तंड मंदिर में चरण पादुकाओं के साथ कलश की भी पूजा की गई।

मार्तंड मंदिर में चरण पादुकाओं के साथ कलश की भी पूजा की गई।

इसी मार्तंड सूर्य मंदिर के परिसर में स्थित राम मंदिर में कलश की स्थापना की गई।

इसी मार्तंड सूर्य मंदिर के परिसर में स्थित राम मंदिर में कलश की स्थापना की गई।

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अनंतनाग में 1700 साल पुराना मार्तंड मंदिर भी
अनंतनाग में एक और मार्तंड मंदिर है, जो 1700 साल पुराना है, हालांकि इसके सिर्फ अवशेष बचे हैं। जिस तरह बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई थी। उसी तरह 7वीं-8वीं शताब्दी में इसे भी मुगलों ने तोड़ दिया था। पहले ये मंदिर काफी समृद्ध और सूर्य उपासकों के लिए आस्था का केंद्र हुआ करता था।

अनंतनाग के 1700 साल पुराने मार्तंड मंदिर को बनाने के लिए चूने के पत्थर की चौकोर ईंटों का उपयोग किया गया है।

अनंतनाग के 1700 साल पुराने मार्तंड मंदिर को बनाने के लिए चूने के पत्थर की चौकोर ईंटों का उपयोग किया गया है।

मंदिर में 84 स्तंभ, चूने के पत्थर की चौकोर ईंटों का इस्तेमाल
मार्तंड मंदिर कश्मीर के दक्षिणी भाग में अनंतनाग से पहलगाम के रास्ते में मार्तंड नामक स्थान पर है। इसमें 84 स्तंभ हैं जो नियमित अंतराल पर रखे गए हैं। इस मंदिर को बनाने के लिए चूने के पत्थर की चौकोर ईंटों का उपयोग किया गया है जो उस समय के कलाकारों की कुशलता को दर्शाता है। इस मंदिर की राजसी वास्तुकला इसे अलग बनाती है।

30 साल बाद मार्तंड सूर्य मंदिर में हवन
2022 में प्राचीन मार्तंड सूर्य मंदिर में सूर्य हवन किया गया था। इस पूजा में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, देश के विभिन्न शहरों से आए पुजारियों, स्थानीय लोगों और कश्मीर पंडितों ने भाग लिया था। सभी ने मिलकर घाटी में शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। इससे पहले 1990 में हवन और पूजा हुई थी।

2022 में करीब 30 साल बाद मंदिर में हवन-पूजन किया गया था।

कैसे पहुंचें मार्तंड मंदिर
ये मंदिर श्रीनगर से लगभग 70 किमी की दूर है। यहां से करीबी एयरपोर्ट श्रीनगर में और रेलवे स्टेशन अनंतनाग में है। देशभर के सभी बड़े शहरों से सीधी फ्लाइट्स मिल सकती है। अनंतनाग रेल मार्ग और सड़क मार्ग से सभी बड़े शहरों से जुड़ा है। यहां का मौसम सालभर अच्छा रहता है, इस वजह से मार्तंड मंदिर कभी भी पहुंच सकते हैं। जुलाई से अक्टूबर तक यहां की सुंदरता बढ़ जाती है।

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