‘चाकू से गला रेता…नहर में फेंका, लेकिन मैं जिंदा लौटी’: गहरे पानी में 500 मीटर तैरकर जान बचाई…बच्ची की गवाही ने करवाया हिस्ट्रीशीटर का एनकाउंटर

”मेरे गले पर 2 बार चाकू से वार किया गया। मैं चिल्लाई तो बदमाश ने मेरी उंगलियां काट दीं। दुपट्टे से गला घोटने लगा। मैंने फिर चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन इस बार मेरे मुंह से आवाज ही नहीं निकली। धीरे-धीरे आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा। शरीर हिलना बंद हो गया। उसे लगा कि मैं मर चुकी हूं, डर के मारे वह मुझे नहर में फेंककर भाग गया।”

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”मैं मरी नहीं थी…सांसें चल रही थीं। जान बचाने के लिए खुद से तैर कर नहर के किनारे पहुंची। आवाज लगाने पर रास्ते से गुजर रहे 2 लोग भागते हुए मेरे पास पहुंचे। उन्होंने मुझे ई-रिक्शे में बैठाया और अस्पताल ले गए। अगली सुबह जब मेरी आंख खुली, तो मैं सुल्तानपुर के मेडिकल कॉलेज में थी।”

”मेरे गले और हाथ में पट्टी बंधी थी। बेड के पास 2 महिला पुलिस और उनके पीछे मां बैठी थीं। मां को देख मैंने चैन की सांस ली। मुझे यकीन हो गया कि अब मैं बच जाऊंगी।” 17 साल की खुशबू इतना कहकर रोने लगती है।

18 सितंबर को सुल्तानपुर के हिस्ट्रीशीटर गौसुज्जमा ने खुशबू पर हमला किया था। उसे मारा…फिर मोबाइल और 10 हजार रुपए छीन लिए। इस घटना के बाद 3 दिन तक बच्ची का इलाज मेडिकल कॉलेज में हुआ। अस्पताल में ही बयान लिए गए। इसी बीच एनकाउंटर में हिस्ट्रीशीटर गौसुज्जमा और उसके भाई अफरोज को गिरफ्तार किया गया। 21 सितंबर को अस्पताल से डिस्चार्ज होकर खुशबू घर तो लौट आई है, लेकिन उस दिन की घटना को याद कर आज भी उसका शरीर कांप उठता है।

  • दैनिक भास्कर की टीम खुशबू से मिलने उसके घर पहुंची। उस मां से बात की, जिसकी इकलौती बेटी पर जानलेवा हमला किया गया। पीड़ित परिवार ने जो बताया वह हैरान करने वाला था। आइए सब कुछ शुरू से जानते हैं…

”मेरे पैसे छीने गए…इसलिए मुझे बदमाश के साथ जाना पड़ा”

बच्ची ने दैनिक भास्कर के रिपोर्टर (नीली शर्ट में) को बताया कि पिता की मौत के बाद घर खर्च चलाने के लिए वह दिल्ली में पैकिंग कारखाने में काम करती थी।

कहानी शुरू होती है 14 सितंबर 2023 से…। खुशबू के भाई शत्रुघ्न ने उसे फोन पर बताया कि मां की तबीयत ठीक नहीं है। पैसों की सख्त जरूरत है। जल्द से जल्द घर आ जाओ। भाई की बात सुनकर खुशबू ने ट्रेन का टिकट बुक कराया। 18 सितंबर को सुबह 11 बजे श्रमजीवी एक्सप्रेस से वह दिल्ली से सुल्तानपुर रेलवे स्टेशन पहुंची।

खुशबू कहती है, “मैं ट्रेन से उतरी। मेरे पास बैग, मोबाइल फोन और 10 हजार रुपए थे। स्टेशन से निकलकर मैं बस स्टॉप जा रही थी, तभी रास्ते में गौसुज्जमा ने मुझे रोक लिया। बोला- चलो मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूं। मैंने मना किया, तो उसने मेरा बैग छीन लिया। बैग के अंदर पैसे थे, इसलिए मुझे मजबूरन उसके साथ जाना पड़ा।”

दरअसल, हिस्ट्रीशीटर गौसुज्जमा खुशबू के ननिहाल का ही रहने वाला है। इसलिए पीड़ित परिवार पहले से उसे जानता था। जब उसने बच्ची का बैग छीना, तो वह यही सोचकर उसके साथ चल दी कि बाद में वह उसका सामान लौटा देगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

गौसुज्जमा बोला- मुझसे शादी करो, नहीं तो मार डालूंगा
दोपहर 12 से शाम 6 बजे तक गौसुज्जमा खुशबू को लेकर शहर के आस-पास घूमता रहा। शाम होने पर वह उसे धनपतगंज लेकर चला गया। जब दोनों धनपतगंज से पाठक का पुरवा गांव की तरफ जा रहे थे, तब हरौरा नहर के पास गौसुज्जमा ने अचानक से बाइक रोक दी और बच्ची से जबरदस्ती करने लगा।

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खुशबू ने बताया, ”वह मुझे नहर के किनारे एक सुनसान रास्ते पर ले गया। वहां कोई चहल-पहल नहीं थी। मैं डर गई, मैंने उससे कहा- मेरा बैग दे दो मैं घर चली जाउंगी। मेरी बात सुनकर गौसुज्जमा और गुस्सा गया। जेब से चाकू निकाला और मेरी गर्दन पर रख दिया। मैंने हाथ जोड़कर उससे बोला- मेरी शादी किसी और के साथ तय हो रही है, मुझे छोड़ दो। इतना सुनकर उसने मेरे गले पर चाकू चला दिया। मैंने भागने की कोशिश की तो उसने फिर से गर्दन पर चाकू से वार किया। इसके बाद वह मुझे नहर में धक्का देकर भाग गया।”

”मैं किसी तरह 500 मीटर तैर कर नहर के किनारे पहुंची। मैंने मदद के लिए आवाज लगाई, तो वहां से गुजर रहे लोगों की नजर मुझ पर पड़ी। उन्होंने मुझे पास के सरकारी अस्पताल पहुंचाया और फौरन पुलिस को सूचना दी। देर रात मुझे वहां से मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।”

  • यहां रुकते हैं। अब तक आपने खुशबू पर हुए हमले के बारे में जाना। आगे उसकी मां की बातों पर चलते हैं…

जब बच्ची को अस्पताल लाया गया तो उसकी गर्दन से खून लगातार बह रहा था। हाथ का अंगूठा भी कटा हुआ था।

​​​​रात 12 बजे फोन आया- तुम्हारी बिटिया को किसी ने चाकू मार दिया
खुशबू के परिवार में केवल उसकी मां और भाई हैं। घर में इतनी गरीबी कि किसी के पास फोन तक नहीं है। बातचीत के लिए वह पड़ोसी के मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। खुशबू की सैलरी से ही घर का खर्च चलता है। बच्ची पर हुए हमले के बारे में उसके परिवार को कैसे पता चला? खुशबू की मां ने हमें पूरा हाल बताया।

मां कहती हैं, “हमारे पड़ोसी के पास रात 12 बजे पुलिस का फोन आया। उन्होंने बताया कि तुम्हारी बिटिया सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज में भर्ती है। उसकी हालत ठीक नहीं है…तुरंत आ जाओ। हम रात में ही मेडिकल कॉलेज भागे। अस्पताल पहुंचे, तो देखा कि खुशबू जख्मी हालत में बेड पर लेटी थी। हाथ से लेकर गर्दन तक पट्टी बंधी हुई थी।”

“पुलिस ने मुझे अस्पताल में रोक लिया और बेटे शत्रुघ्न को पूछताछ के लिए ले गई। खुशबू ने पुलिस को दिए बयान में गौसुज्जमा खां का नाम लिया था। इसलिए बेटे की तहरीर पर धनपतंगज थाने में गौसुज्जमा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।”

  • पीड़ित परिवार का कहना है कि वह पहले से गौसुज्जमा और उसके घरवालों को जानते थे। लेकिन उन्हें कभी भी ऐसा नहीं लगा कि वह उनकी बच्ची पर जानलेवा हमला करेगा। अब…पुलिस की कार्रवाई पर सिलसिलेवार चलते हैं…

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खुशबू के बयानों के बाद एक्शन में आई पुलिस
उधर…अस्पताल में भर्ती खुशबू ने बेखौफ होकर पुलिस को हर एक जानकारी दी। उसके बयानों के आधार पर सुल्तानपुर SP सोमेन वर्मा ने हिस्ट्रीशीटर गौसुज्जमा को पकड़ने के लिए बल्दीराय, धनपतगंज की सर्विलांस टीमें लगा दीं। स्पेशल टीम ने पीड़ित परिवार के आरोपों के आधार पर जांच-पड़ताल शुरू की। इसी बीच पुलिस को खुफिया इनपुट मिला कि गौसुज्ज्मा को गोविंदपुर गांव के पास देखा गया है।

सुल्तानपुर SP सोमेन वर्मा कहते हैं, ”सूचना मिलते ही पुलिस टीम ने गौसुज्जमा को दबोचने के लिए गोविंदपुर गांव को घेर लिया। पता चला कि गांव में गौसुज्जमा अपने बड़े भाई अफरोज खां के साथ छिपा हुआ है। जैसे ही पुलिसवाले दोनों बदमाशों के पास पहुंचे। उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। जवाब में पुलिस टीम ने भी बैक-फायर किया, जिसमें गौसुज्जमा और अफरोज जख्मी हो गए।इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर इलाज के लिए बल्दीराय CHC भेजा गया है।”

7 दिन पहले हत्या के आरोप में बरी हुआ गौसुज्जमा
सुल्तानपुर पुलिस के मुताबिक, बच्ची पर हमला करने वाला आरोपी गौसुज्जमा पहले से हिस्ट्रीशीटर रहा है। उसके बड़े भाई अफरोज खां पर भी अयोध्या-सुल्तानपुर में हत्या, लूट और दहेज उत्पीड़न जैसे कई केस दर्ज हैं। उस पर बल्दीराय थाने में हत्या और आर्म्स एक्ट से जुड़ा मामला भी शामिल है। गौसुज्जमा पर अयोध्या जिले के इनायतनगर और बीकापुर थाने में लूट का केस भी दर्ज है। वहीं, इनायतनगर पुलिस उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई भी कर चुकी है।

सुल्तानपुर पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर गौसुज्जमा के बाएं पैर पर गोली मारी।

2 अप्रैल 2005 में धनपतगंज थाने की देहली बाजार में रहने वाले राजकुमार की कनेहटी गांव में हत्या कर दी गई। इस हत्या में गौसुज्जमा, अफरोज समेत 5 लोगों आरोपी थे। बीती 11 सितंबर को ADJ कोर्ट ने पांचों आरोपियों को सबूतों की कमी के चलते बरी कर दिया था। तब से गौसुज्जमा और उसके साथी खुलेआम घूम रहे थे।

फिलहाल…

  • बच्ची पर हमला करने वाले दोनों आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
  • एनकाउंटर में घायल गौसुज्जमा और अफरोज का इलाज बल्दीराय CHC में चल रहा है।
  • पीड़िता को 21 सितंबर की सुबह सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
  • पीड़िता की हालत में सुधार है। घर पर मां और भाई के साथ है।

इनपुट: असगर नकी

(नोट: पीड़ित बच्ची नाबालिग है। उसकी सुरक्षा को देखते हुए खबर में उसका नाम बदल दिया गया है।)

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