करनाल की आबोहवा में अब घुटने लगा दम: प्रदूषण स्तर पहुंचा 343 माइक्रोग्राम, देश की राजधानी से दिल्ली से भी 120 अंक ऊपर

 

 

हरियाणा के जिल करनाल में पिछले एक सप्ताह से वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। पिछले दो दिन की बात करे तो वातावरण में मौजूद प्रदूषण ने स्मॉग का रूप ले लिया। बुधवार को दिनभर एक्यूआई 300 पार ही रहा, जबकि देर रात करीब साढ़े 10 बजे 343 तक पहुंच गया। इस स्मॉग के कारण बुजुर्गों और दमा रोगियों को काफी परेशानी हुई। इससे सांसें अटकनी तो आंखें जलने लगी हैं। स्मॉग का असर दृश्यता पर भी पड़ा। विशेषज्ञ की मानें तो वातावरण में धूल व धुएं के कणों की मात्रा बढ़ने, हवा न चलने, तापमान में कमी व बादल छाने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है।

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आसान में फैले स्मॉग का दृश्य।

आसान में फैले स्मॉग का दृश्य।

दिल्ली के ज्यादा दूषित करनाल की हवा

अगर हम देश की राजधानी की बात करते करें तो दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बुधवार को 223 था। जबकि करनाल का प्रदूषण स्तर 343 माइक्रोग्राम रहा। यानि दिल्ली से 120 माइक्रोग्राम प्रदूषण ज्यादा यहां का है। अगर हम कुरुक्षेत्र अंबाला और यमुनानगर की बात करे तो वह के हालात और भी चिंता जनक है। अंबाला का प्रदूषण का स्तर 484, कुरुक्षेत्र 447 और यमुनानगर का 387 पर पहुंच गया है। यानि अब दिल्ली की आबोहवा हरियाणा से अच्छी है।

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उड़ रही धूल जलाया जा कचरा

​​​​​​​अगर हम करनाल की बात करे तो शहर में सड़कों पर जहां धूल उड़ रही है तो कूड़ा-कचरा अभी भी जलाया जा रहा है। दिवाली त्योहार के दौरान मौसम में आई नमी के साथ वातावरण में आतिशबाजी के धुएं से घुला जहर अभी भी बरकरार है। वहीं शहर में कई जगह कूड़े के ढेरों में आग लगाई जा रही है, जिसके कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। एक्यूआई बढ़ने से बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा रोगियों पर प्रदूषण का दुष्प्रभाव अधिक हो रहा है।

रात करनाल की सड़को पर फैला स्मॉग।

रात करनाल की सड़को पर फैला स्मॉग।

इन कारणों से बनती है स्मॉग

​​​​​​​वैसे तो वातावरण में हर समय धूल व धुएं के कण मौजूद रहते हैं, मगर कुछ गतिविधियों से वातावरण में इनकी मात्रा बढ़ जाती है। अगर वातावरण में नमी की मात्रा ज्यादा है और तापमान भी कम है तो उस स्थिति में धूल व धुएं के कण नमी के साथ मिलकर बड़े आकार के व भारी हो जाते हैं और वातावरण से बाहर नहीं जा पाते। फिर यह स्मॉग (धुएं की चादर) के रूप में नजर आते हैं।

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पंजाब में जली रही पराली को मना जा रहा कारण

​​​​​​​वहीं प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी सलेन्द्र कुमार ने बताया कि इस प्रदूषण का स्तर बढने के कई कारण है। मुख्य कारण तो यह है कि पजांब में अभी भी धड़ले से पराली जलाई जा रही है। उस पर कंट्रोल नहीं है। दूसरा हरियाणा में भी पराली जलाने के मामले सामने आ रहे है। करनाल में बुधवार को पराली जलाने के दो मामले सामने आए है। और एक और मुख्य कारण यह है कि इस समय मौसम में बदलाव हो रहा है। हवा न चलने के कारण जो आसमान के धुल के कण थे वो साफ नहीं हो पाए जो अब जमीन पर आ रहे हे। हवा चलने के बाद ये कण उड जाएँगे और मौसम साफ हो जाएगा।

 

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