एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर की पुरानी अनाज मंडी के दोनों बनाए गए स्वागत द्वारों के ऊपरी हिस्सो को आखिरकार नगरपालिका द्वारा गिरा दिया गया। इस दोनों स्वागत द्वारा के गिराए जाने के बाद नगर की जनता ने राहत की सांस ली है। बता दें कि इन दोनों द्वारों के ऊपरी हिस्से के बीच में दरारें आई गईं थी और उन्हे कुछ महीने पहले असुरक्षित घोषित कर दिया गया था। इन्हे असुरक्षित घोषित होने के बाद इन्हे गिराने के लिए पालिका ने कार्रवाई शुरू कर दी थी।
सफीदों, नगर की पुरानी अनाज मंडी के दोनों बनाए गए स्वागत द्वारों के ऊपरी हिस्सो को आखिरकार नगरपालिका द्वारा गिरा दिया गया। इस दोनों स्वागत द्वारा के गिराए जाने के बाद नगर की जनता ने राहत की सांस ली है। बता दें कि इन दोनों द्वारों के ऊपरी हिस्से के बीच में दरारें आई गईं थी और उन्हे कुछ महीने पहले असुरक्षित घोषित कर दिया गया था। इन्हे असुरक्षित घोषित होने के बाद इन्हे गिराने के लिए पालिका ने कार्रवाई शुरू कर दी थी।
आखिरकार पालिका का अमला हाईड्रा मशीन लेकर मौके पर पहुंचा और पालिका कर्मियों ने इनके ऊपरी हिस्से को गिरा दिया। इस मौके पर पालिका सचिव विक्रमजीत सिंह, जेई अंकित, एमई जयपाल जून व नगर पार्षद कुणाल मंगला मौजूद थे। इस दौरान किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए मंडी के दोनों ओर के मार्गों को बंद कर दिया गया था। वहीं इन स्वागत द्वारों के ऊपर विराजमान महाराजा अग्रसैन की प्रतिमाओं को उतरवाकर पुरानी अनाज मंडी स्थित श्री सतनारायण मंदिर में रखवा दिया गया। गौरतलब है कि नगरपालिका द्वारा पुरानी अनाज मंडी के दोनों तरफ करीब साढ़े 3 वर्ष पूर्व करीब 32 लाख रुपये की लागत से स्वागत द्वार बनाए गए थे और जब से ये स्वागत द्वार बने थे तब से ही इनके निर्माण में अपनाई गई तकनीक व घटिया क्वालिटी के कारण हादसा होने की आशंकाएं जताई जाने लगी थी। क्योंकि इन स्वागत द्वारों के ऊपरी हिस्से में ना तो कोई सरिया और ना ही सिमेंट का प्रयोग किया गया था।
केवल पत्थरों को आपस में फंसाकर इसे खड़ा कर दिया गया था। हाल में तो स्थिति यह हो गई थी कि दोनों द्वारों के बीचो बीच मोटी-मोटी दरारें आ गई थी। जिस पर कुछ समय पहले पीडब्ल्यूडी के एसडीओ अजय कटारिया व नगरपालिका के जेई अंकित ने अपनी टीम के साथ मौके का मुआयना किया था और इस मुआयने में पाया गया था कि यह दोनों द्वार पूरी तरह से असुरक्षित हैं और किसी भी वक्त बड़ा हादसा घटित हो सकता है। जिस पर 9 मई को प्रस्ताव पास करके इनके ऊपरी हिस्से को गिराने की कार्रवाई शुरू की गई थी। बता दें कि इसी प्रकार से एक स्वागत द्वारा नगर के ऐतिहासिक खानसर चौंक पर भी बनाया गया था कि वह भी भरभराकर गिर गया था।
गनीमत तो यह रही कि जिस वक्त वह स्वागत द्वार गिरा उस वक्त उसके नीचे से कोई वाहन या व्यक्ति नहीं गुजर रहा था अन्यथा कोई भी बड़ा हादसा घटित हो सकता था। इन स्वागत द्वारों को गिराने पर नगर के लोगों ने भी कई सवाल खड़े किए है। लोगों का कहना है कि पहले लिखों और फिर मिटाओं वाली कहावत सफीदों में चरितार्थ हो रही है। पहले इन स्वागत द्वारों को लाखों रूपए की मोटी लागत से बनवाया गया और अब उन्हे मोटी रकम खर्च करके गिराया जा रहा है। जिस वक्त इनको बनाया जा रहा था उस वक्त शासन व प्रशासन कहां पर सोया हुआ था। उस वक्त इनके निर्माण की तकनीक व सामग्री की जांच क्यों नहीं की गई। पब्लिक की गाढ़ी कमाई की सफीदों नगरपालिका में जबरदस्त बंटरबांट हुई है और उसके संबंध में जो लीपापोती के रूप में जांच चल रही है वह भी कछुआ चाल से चल रही है। सूत्र यह भी बतातें हैं कि जो स्वागत द्वार खानसर चौंक पर गिरा था उसकी भी अंदरखाने पेमेंट कर दी गई है।
वहीं पालिका के कथित घोटालों की आवाज को बुलंद कर रहे भाजपा नेता रामदास प्रजापत, पूर्व पार्षद प्रवीन बंसल व आटीआई कार्यकत्र्ता प्रदीप गर्ग का कहना है कि इन स्वागत द्वारों के निर्माण से सम्बंधित ठेकेदार, सचिव व जेई के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो और उनसे इन प्रवेश द्वारों के निर्माण की कीमत वसूली जाए। उनका कहना है कि इन स्वागत द्वारों के केवल ऊपरी हिस्से को गिराने के लिए करीब अढ़ाई लाख रूपए का खर्च हुआ बताया गया है। उन्हे तो नहीं लगता कि इनकों गिराने में अढ़ाई लाख रूपए की राशी खर्च हुई होगी।
उन्होंने सरकार व प्रशासन से मांग की कि इन स्वागत द्वारों के गिराने में जो राशी खर्च दिखाई गई है, उसकी भी किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाई जाए। इस मामले में पालिका के सचिव विक्रमजीत सिंह का कहना है कि इन दोनों प्रवेश द्वारों को लेकर लगातार शिकायतें आ ही रही थी। डीएमसी के निर्देशों पर इनके ऊपरी हिस्से को गिरा दिया गया ताकि कोई हादसा ना हो।