असम-मेघालय बॉर्डर पर मंगलवार को हिंसा भड़क गई। स्थानीय लोगों ने एक-दूसरे पर हमला किया।
असम और मेघालय के बीच सीमा विवाद एक बार फिर हिंसक हो गया है। 26 सितंबर को बॉर्डर के पास स्थित एक गांव में ताजा झड़प हुई। पुलिस ने बताया, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर धनुष-बाण और गुलेल से हमला किया।
यह भिड़ंत मेघालय के पश्चिम जैंतिया हिल्स जिले और असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले के बीच सीमा पर स्थित लापांगप गांव में हुई। इस घटना में किसी के घायल होने की सूचना नहीं है।
दोनों राज्यों की पुलिस टीमों द्वारा घटनास्थल का दौरा करने और स्थानीय लोगों को शांत करने के बाद स्थिति को नियंत्रण में लाया गया। बुधवार सुबह स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण रही क्योंकि दोनों राज्यों के पुलिस बलों ने ग्रामीणों को उस स्थान पर एकत्र होने से रोक दिया जहां झड़प हुई थी। दोनों राज्यों के सीएम इस मसले पर अक्टूबर में मीटिंग करेंगे।
300 लोग इकठ्ठा हुए, खेत से छुपकर हमला
लापांगप गांव के निवासी देइमोनमी लिंगदोह ने दावा किया कि गांव के किसान अपने धान के खेतों की देखभाल कर रहे थे, उन पर खेतों के पास छिपे असम के लोगों ने गुलेल, धनुष और तीर से हमला किया।
उन्होंने कहा, “हमले के बारे में जानकर, हमारे गांव के लगभग 250-300 लोग इकठ्ठा हो गए और धनुष-बाण और गुलेल से जवाबी कार्रवाई की, जिससे कल पूरे दिन तनाव बना रहा।
2022 में हिंसक घटना में 6 लोगों की मौत हुई थी
असम-मेघालय के बीच इस तरह की हिंसक घटनाएं लगातार होती रहती है। पिछले साल नवंबर में बॉर्डर पर एक विवादित जमीन पर मुकरोह में गोलीबारी की घटना में मेघालय के पांच और असम के एक फॉरेस्ट गार्ड सहित कम से कम छह लोग मारे गए थे।
बताया गया था कि सीमा से सटे जंगल से कुछ लोग ट्रक से तस्करी करके लकड़ी ले जा रहे थे। असम पुलिस और फॉरेस्ट विभाग ने उन्हें पश्चिम जयंतिया हिल्स के मुकरोह में रोका तो फायरिंग शुरू हो गई। खबर फैलते ही मेघालय के 7 जिलों में हिंसा भड़क गई थी।
क्या है असम-मेघालय बॉर्डर विवाद
असम और मेघालय के बीच उनकी 884 किलोमीटर लंबी साझा सीमा के 12 हिस्सों पर लंबे समय से विवाद है। ये 12 जगहें हैं – ऊपरी ताराबाड़ी, गजांग आरक्षित वन, हाहिम, लंगपिह, बोर्डुआर, बोकलापारा, नोंगवाह, मातमुर, खानापारा-पिलंगकाटा, देशदेमोरिया ब्लॉक I और ब्लॉक II, खंडुली और रेटाचेरा हैं।
2022 में दोनों राज्यों के CM ने MoU साइन किया
29 मार्च 2022 में असम और मेघालय की सरकारें 884 किलोमीटर की सीमा पर 12 में से 6 में सीमा विवाद हल करने पर सहमत हुई थीं। 36.79 वर्ग किमी जमीन में असम अपने पास 18.51 वर्ग किमी हिस्सा रखेगा और बाकी 18.28 वर्ग किमी मेघालय को देगा। दोनों राज्यों के CM हिमंत बिस्वा सरमा और कॉनराड कोंगकल संगमा ने गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में एक MoU साइन किया था। बाकी के बचे हुए 6 इलाकों का समाधान निकलना बाकी है।
6 क्षेत्र, जिनके स्वामित्व पर बनी दोनों राज्यों की सहमति
असम-मेघालय सीमा विवाद से जुड़े 6 क्षेत्र ताराबारी, गिजांग, हाहिम, बोकलापारा, खानापारा-पिलंगकाटा और रातचेरा हैं। जो मेघालय में पश्चिम खासी हिल्स, री-भोई और पूर्वी जयंतिया हिल्स जिलों का और असम की ओर से कछार, कामरूप (मेट्रो) और कामरूप जिलों का हिस्सा हैं।
असम-मेघालय विवाद 50 साल पुराना
विवादः 2,765 वर्ग किमी क्षेत्र।
कब सेः 1969 से।
बैकग्राउंडः 1970 में असम से मेघालय अलग हुआ और 1972 में पूर्ण राज्य बना। दोनों राज्यों की सीमा 884.9 किमी लंबी है। मेघालय असम रीऑर्गेनाइजेशन (मेघालय) एक्ट 1969 को स्वीकार नहीं करता। दरअसल, यह विवाद भी 1951 के बोरदोलोई कमेटी के निष्कर्षों को लेकर है।
समाधान की कोशिशें: केंद्र सरकार ने 1983 में एक जॉइंट कमेटी बनाई थी। तय हुआ था कि सर्वे ऑफ इंडिया से सर्वे कराया जाएगा, पर विवाद का कोई हल नहीं निकला। जस्टिस वायवी चंद्रचूड की अध्यक्षता में 1985 में कमेटी बनी। उसने 1987 में रिपोर्ट सौंपी। इसमें असम के दावे को कायम रखा। इस बीच, 1991 में सर्वे ऑफ इंडिया ने मैपिंग शुरू की तो 100 किमी बॉर्डर ही मैप हो सकी। तब मेघालय सरकार पीछे हट गई।
मेघालय की विधानसभा ने 2011 में बाउंड्री कमीशन बनाने की मांग का प्रस्ताव पारित किया था। 2019 में मेघालय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जो खारिज हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर समाधान के लिए केंद्र से संपर्क करने को कहा है। 2022 में केंद्र ने दोनों सीएम से बात कर छह इलाकों का मुद्दा सुलझा लिया है।
मौजूदा स्थितिः बॉर्डर पर विवाद कायम है। छह इलाकों को लेकर दोनों राज्यों अपना-अपना दावा कर रहे।