समीपवर्ती जिलों में पानी भरने से सफीदों क्षेत्र में बढ़़ी चिंताएं किसी भी स्थिति से निपटने के लिए विभाग तैयार: एसडीओ

एस• के• मित्तल 
सफीदों,      सफीदों क्षेत्र के साथ सटे पानीपत व करनाल जिलों में बारिश व बाढ़ का पानी आ जाने से यहां के लोगों में चिंताएं घर करने लगी हैं। सबसे ज्यादा चिंता की लकीरे माथे पर गहरा गई हैं। हालांकि प्रशासन व नहरी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सफीदों इलाके में अभी ऐसी कोई चिंता का विषय नहीं है लेकिन फिर भी प्रशासन व नहरी विभाग हर प्रकार की स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार है।
बता दें कि पानीपत व करनाल जिलों के गांवों में जलभराव की स्थिति के लगातार समाचार आ रहे हैं और पिछले दिनों करनाल जिले से सटे डिडवाड़ा गांव के निचले इलाके में थोड़ी बहुत जलभराव की स्थिति उत्पन्न हुई थी लेकिन वहां पर हालात पूरी तरह से सामान्य है। वहीं एसडीएम सत्यवान सिंह मान भी संभावित जलभराव वाले क्षेत्रों का दौरान कर चुके हैं और संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को दिशा-निर्देश दे चुके हैं। वहीं उन्होंने बरसाती पानी की निकासी के लिए लगाए गए पंप सैंटों का भी निरीक्षण किया था और उन्हे चलवाकर देखा था। संभावित जलभराव वाले गांवों के ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक हालात सामान्य हैं क्योंकि सफीदों इलाके में कहीं ना कहीं बारिश कम हुई है और जो थोड़ा बहुत पानी बाहर से आया था उसे समय रहते निकाल लिया गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र की वे नहरें भी  लबालब पानी से भरकर चल रहीं हंै जो साल के काफी समय तक सुखी रहती हैं। उनका कहना है कि हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, दिल्ली समेत अन्य राज्यों के हालात देखकर उनके मन में शंकाएं प्रभावी हो जाती है और उन्हे सन् 1995 में सफीदों क्षेत्र में आई बाढ़ का दृश्य दिखाई देने लग जाता है। उस समय समूचा सफीदों क्षेत्र बाढ़ के पानी की चपेट में आ गया था। किसानों का कहना है कि उनके खेतों में धान की फसले पूरी तरह से लग चुकी हैं और निरंतर ग्रोथ कर रही है लेकिन बाढ़ का पानी यहां पर आ गया तो उनकी फसलों को भारी नुकसान पहुंच सकता है।
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क्या कहते हैं नहरीं विभाग के एसडीओ
इस मामले में नहरी विभाग के एसडीओ विजेंद्र बुरा का कहना है कि सफीदों क्षेत्र में कहीं पर भी बरसाती पानी व बाढ़ का पानी आने का कोई समाचार नहीं है। संभावित जलभराव वाले क्षेत्रों में पंप सैट स्थापित किए गए है और उन पंप सैंटों की लगातार मॉनिटिरिंग की जा रही है ताकि जरूरत पड़ने पर उनका प्रयोग किया जा सके। क्षेत्र की ड्रेनों की समुचित साफ-सफाई करवाई गई है। अगर कहीं पर भी किसी नहर का तटबंध टूटता भी है तो उसके लिए विभाग की खुद की जेसीबी मशीनें तैनात है।

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