एस• के• मित्तल
सफीदों, धर्म हमारी सुख और शान्ति का मूल है। जब भी जीवन में हमें सुख और शान्ति का अनुभव करते हैं वह हमारे धर्म का ही फल होता है। उक्त उद्गार गुरू गोरखनाथ आश्रम कुरड़ के संचालक बाबा हरिराम ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए प्रकट किए। उन्होंने कहा कि धर्म जीव को इस लोक में और परलोक में सब प्रकार की सुख-सुविधा प्रदान करता है।
इसलिए धर्म की जय मनाते हैं और अधर्म इसके विपरित है इसलिए उसका नाश मनाते हैं क्योंकि वह दु:ख और अशान्ति का मूल है, जब भी जीवन में हम दु:ख और अशान्ति का अनुभव करते हैं वह हमारे पाप का ही फल होता है। धर्म वह है जिसको सब लोग चाहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि हमारी स्त्री हमसे सदा सत्य बोले, हमारा पुत्र हमसे सत्य बोले, हमारा भाई हमको सच्ची बात बता दे और हमारा मित्र हमसे सत्य बोले।
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प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि हमारी कोई निन्दा न करे, हमसे कटु वचन न बोले, हमको दु:ख न पहुंचावे, बिना पूछे हमारी कोई वस्तु न ले, हमारी बहन-बेटी को कोई बुरी दृष्टि से न देखे, इन बातों को सभी चाहते हैं। यही धर्म है।