कारूर जिला कलेक्टर प्रभु शंकर ने मंगलवार को ब्रेकफास्ट योजना का निरीक्षण किया और पेरेंट्स से मिले।
तमिलनाडु के कारूर जिले के एक स्कूल में बच्चों ने दलित महिला के हाथ से बना खाना खाने से मना कर दिया। यह मामला वेलन चेट्टियार पंचायत यूनियन स्कूल का है। इसमें 30 में से 15 बच्चों ने खाना खाने से मना किया। स्कूल में सीएम ब्रेकफास्ट योजना के तहत बच्चों के लिए फ्री में खाना बनाया गया था। बच्चों के पेरेंट्स ने यह भी कहा कि दलित ने खाना बनाया तो वे बच्चों को स्कूल से निकाल लेंगे।
मामले की सूचना मिलते ही कलेक्टर टी प्रभु शंकर स्कूल पहुंचें। उन्होंने बच्चों और पेरेंट्स को जातिगत भेदभाव के लिए SC/ST एक्ट में कानूनी एक्शन लेने की वॉर्निंग दी।
कलेक्टर ने सुमति के हाथ से परोसा खाना खाया
प्रभु शंकर मंगलवार को ब्रेकफास्ट योजना का मुआयना करने गए थे। इसके बाद वे पेरेंट्स से मिले। पेरेंट्स ने बताया कि खाना सुमति ने बनाया है। सुमति,अरुंथथियार समुदाय से हैं और एक दलित है। जब तक वह खाना बनाएगी तब तक बच्चें खाना नहीं खाएंगे।
भेदभाव को मिटाने के लिए कलेक्टर ने सुमति के हाथ से परोसा खाना भी खाया।
जिला प्रशासन बोला- भेदभाव सहन नहीं करेंगे
इस योजना के प्लानिंग डायरेक्टर श्रीनिवासन ने पेरेंट्स से बच्चों को खाना खाने देने को कहा। पेरेंट्स ने उनकी बात से इंकार कर दिया। जिला प्रशासन ने बयान जारी कर सभी पेरेंट्स से बच्चों को खाना खाने देने को कहा। उन्होंने बताया कि वे किसी तरह का भेदभाव सहन नहीं करेंगे।
पांच दिन बाद भी 2 बच्चे ही खा रहे थे खाना
पहली सीएम ब्रेकफास्ट योजना 15 सितंबर 2022 को शुरू की गई थी। योजना पूर्व सीएम सीएन अन्नादुरई के जन्मदिवस पर मदुरई से शुरू की थी।
इस योजना का उद्घाटन मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 25 अगस्त 2023 को किया था। इसमें प्राइमरी सरकारी स्कूलों में 15.75 लाख बच्चों को फ्री नाश्ता दिया जाएगा। सरकार ने इस योजना के लिए 404.41 करोड़ रुपए अलॉट किए थे।
योजना में 30 अगस्त से दो ही बच्चे खाना खा रहे थे। इससे यह मामला बढ़ गया था।
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