सैन फ्रांसिस्को बेस्ड OpenAI एक प्राइवेट रिसर्च लैब है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डेवलप करती है। इसकी स्थापना 2015 में ऑल्टमैन, एलन मस्क (जो अब OpenAI के बोर्ड में नहीं हैं) और अन्य लोगों ने एक नॉन-प्रॉफिट आर्गनाइजेशन के रूप में की थी।
2024 दुनिया के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे अहम साल साबित होने जा रहा है। इस साल 63 देशों (और यूरोपीय यूनियन) में प्रेसिडेंशियल या पार्लियामेंट्री इलेक्शन होंगे। इससे पहले OpenAI ने कहा कि AI का इस्तेमाल राजनीतिक प्रचार के लिए नहीं किया जा सकेगा। OpenAI ने सोमवार को कहा कि चुनावों की निष्पक्षता बनाए रखना जरूरी है। इसके लिए कंपनी तय करेगी कि उसकी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल चुनावी प्रक्रिया को कमजोर करने के लिए न किया जाए। कंपनी कुछ ऐसे टूल लाएगी, जिससे डीपफेक वीडियो, फोटोज और गलत जानकारियों को रोका जा सके।
OpenAI ये दो बड़े बदलाव करेगी…
1. ChatGPT में जानकारी देने वाली लिंक्स अटैच करेगी
OpenAI का कहना है कि यूजर्स ChatGPT के जरिए रियल-टाइम जानकारी हासिल कर सकेंगे। चैटबॉट ने सूचना कहां से ली है, इसके लिए वो लिंक्स भी अटैच करेगी। फिलहाल ChatGPT में यह फीचर नहीं है।
कंटेट को इस्तेमाल करने के लिए कंपनी CNN, फॉक्स न्यूज, टाइम और ब्लूमबर्ग समेत कई मीडिया संस्थानों के साथ बातचीत कर रही है। एक्सेल स्प्रिंगर SE और एसोसिएट प्रेस के साथ कंपनी पहले ही समझौता कर चुकी है।
2. AI से जेनरेट तस्वीरों का पता चल सकेगा
OpenAI ने कहा कि वो ऐसा टूल लाने जा रहे हैं, जिससे AI से जेनरेट तस्वीरों की पहचानने में मदद होगी। इसके लिए कंपनी तस्वीरों को एनकोड करना शुरू करेगी। इससे यूजर्स को तस्वीर बनाने वाले और बनाने के समय तक की जानकारी मिल सकेगी।
इससे लोग यह पता लगा सकेंगे कि कोई तस्वीर असली है या उसे कंप्यूटर की मदद से तैयार किया गया है। इसे पहले मीडिया संस्थानों को मुहैया कराएगी।
OpenAI के CEO बोले- AI से प्रोडक्टिविटी 100 गुना होगी पर क्रिएटिविटी नहीं बढ़ेगी
OpenAI के CEO और एआई चैटबोट ‘चैट जीपीटी’ के क्रिएटर सैम ऑल्टमैन का कहना है- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) साइंस की खोजी गई सबसे परिवर्तनकारी तकनीक है। यह नए अवसर दे रही है। इंसान की तुलना में 100 गुना ज्यादा काम कर सकती है, लेकिन मानव की बुद्धिमत्ता और रचनात्मकता को कभी लांघ नहीं पाएगी।
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2024 इतिहास का सबसे बड़ा इलेक्शन इयर, 63 देशों में संसदीय-राष्ट्रपति चुनाव
2024 दुनिया के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे अहम साल साबित होने जा रहा है। इस साल 63 देशों (और यूरोपीय यूनियन) में प्रेसिडेंशियल या पार्लियामेंट्री इलेक्शन होंगे। दुनिया की कुल आबादी का 49% हिस्सा मताधिकार यानी वोटिंग राइट्स का इस्तेमाल करेगा।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक सेक्टर में नौकरी जाने की बड़ी वजह, HR लीडर छंटनी के लिए भी ले रहे सॉफ्टवेयर और एल्गोरिदम का सहारा
दुनियाभर में तेजी से बढ़ते ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI के प्रयोग के चलते इनसानी नौकरियां घट रही हैं। लागत घटाने और मंदी की आशंका के नाम पर सबसे ज्यादा छंटनियां टेक्नोलॉजी से जुड़ी कंपनियों में ही हो रही हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस न केवल इनसानों की जगह ले रहा है, बल्कि छंटनी करने के लिए भी HR अधिकारी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।