महिला आरक्षण बिल 20 सितंबर को लोकसभा और 21 को राज्यसभा से पारित हुआ था। 29 सितंबर को इसे राष्ट्रपति से मंजूरी मिली थी।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (3 नवंबर) को कहा कि केंद्र को महिला आरक्षण कानून (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) तत्काल लागू करने का आदेश देना मुश्किल है। कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू कराने का आदेश देने की मांग की थी।
अपनी याचिका में जया ठाकुर ने महिला आरक्षण कानून से उस हिस्से को हटाने की मांग की, जिसमें इसे जनगणना-परिसीमन के बाद लागू करने का बात कही गई है। कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने के लिए जनगणना की जरूरत होती है। महिला आरक्षण में इसकी क्या जरूरत है?
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जनगणना-परिसीमन के अलावा भी कई काम है। सबसे पहले लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सीटें रिजर्व की जाएंगी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच ने इस मामले में केंद्र को नोटिस भेजने से भी इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला आरक्षण को लेकर एक याचिका लंबित है। उसी के साथ आपकी याचिका पर 22 नवंबर को सुनवाई होगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने महिला आरक्षण बिल की सराहना करते हुए कहा- यह फैसला बहुत अच्छा कदम है।
लोकसभा-विधानसभाओं में महिलाओं को मिलेगा 33% रिजर्वेशन
महिला आरक्षण कानून के तहत लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा। लोकसभा में फिलहाल 82 महिला सांसद हैं, नारी शक्ति वंदन कानून के तहत लोकसभा में 181 महिला सांसद रहेंगी।
ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद महिला आरक्षण बिल कानून बना
नई संसद में कामकाज के पहले दिन यानी 19 सितंबर को महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश किया गया था। फिर यह बिल 20 सितंबर को लोकसभा और 21 को राज्यसभा से पारित हुआ था। 29 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन गया। अब ये बिल विधानसभाओं में भेजा जाएगा। इसे लागू होने के लिए देश की 50% विधानसभाओं में पास होना जरूरी है।
परिसीमन के बाद ही लागू होगा बिल
महिला आरक्षण कानून डीलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। परिसीमन इस विधेयक के पास होने के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर होगा। 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन करीब-करीब असंभव है।
इस फॉर्मूले के मुताबिक विधानसभा और लोकसभा चुनाव समय पर हुए तो इस बार महिला आरक्षण लागू नहीं होगा। यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है।
तीन दशक से पेंडिंग था महिला आरक्षण बिल
संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग है। यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था। 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था।
तब सपा और राजद ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी। इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया। तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग था।
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महिला आरक्षण बिल कानून बना:देश में महिलाओं को पुरुषों के बराबर आने में 149 साल लगेंगे
नारी शक्ति वंदन कानून बनने के बाद भी देश की महिलाओं को पुरुषों के बराबर आने में अभी 149 साल लगेंगे। जबकि, दुनिया में लैंगिक समानता में 131 साल लगेंगे। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 में ये अनुमान लगाया गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें…
महिला आरक्षण बिल कानून बना, राष्ट्रपति ने साइन किए:गजट नोटिफिकेशन भी जारी
महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) पर 29 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दस्तखत कर दिए। इसके साथ ही सरकार ने गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। अब ये बिल विधानसभाओं में भेजा जाएगा। इसे लागू होने के लिए देश की 50% विधानसभाओं में पास होना जरूरी है। पूरी खबर यहां पढ़ें…