हरियाणा के किसान नेता और संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई कमेटी को लेकर भड़क उठे हैं। सोमवार को करनाल की घरौंडा अनाज मंडी में पहुंचे चढूनी ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन आज से नहीं बल्कि 1978 से चल रहा है। समय-समय पर किसान अपने हक के लिए लड़ाई लड़ते आ रहे हैं और भविष्य में भी यह लड़ाई जारी रहेगी।
चढूनी ने कहा कि सालभर चले किसान आंदोलन की वजह से तीन खेती कानून वापस हुए, लेकिन अब सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है। सरकार पिछले दरवाजे से इन कानूनों को वापस लाना चाहती है जिसे किसान सहन नहीं करेगा। उन्होंने सरकार की ओर से बनाई गई कमेटी को खारिज कर दिया। चढ़ूनी ने कहा कि मुस्तर खाता कानून लाकर सरकार गांव की जमीनों पर कब्जा करने की तैयारी कर रही है।
मंडिया खत्म करने की तैयारी
किसानों को संबोधित करते हुए चढूनी ने कहा कि आने वाले समय में मंडियों को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा और किसानों की फसलें बड़े-बड़े उद्योगपतियों के गोदामों में उतारी जाएगी। इससे आढ़तियों और मजदूरों का रोजगार खत्म हो जाएगा।
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किसानों की जमीन कब्जाने के लिए मुस्तर का कानून
उन्होंने कहा कि अब सरकार गांवों की जमीन पर कब्जा करने जा रही है, जिसके लिए मुस्तर का कानून आया है। जो किसान बीते 60 वर्षों से भूमि पर खेती कर रहा है, सरकार उस जमीन को बड़ी-बड़ी कंपनियों को 20 वर्ष के लिए लीज पर दे देगी। इतना ही नहीं कंपनियां अपनी पंसद की फसल इन जमीनों पर बोने के लिए कहेगी। जो रेट कंपनी के साथ तय होगा यदि उस समय फसल का रेट कम हुआ तो कंपनी फसल में कमी बताकर औने पौने दामों पर खरीदने का काम करेगी।
25 अगस्त को पिपली में महारैली
चढूनी ने कहा कि 25 जुलाई को हरियाणा की सभी तहसीलों में मुस्तर खाता कानून को लेकर ज्ञापन िदए जाएंगे। 25 अगस्त को कुरुक्षेत्र के पिपली में इस मुद्दे पर महारैली की जाएगी। उन्होंने किसानों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में इस महारैली में पहुंचने का आह्वान भी किया।
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