दिल्ली पुलिस ने इंटरनेशनल लेवल पर मानव तस्करी करने वाले डंकी नेटवर्क का खुलासा किया है। पुलिस ने इस मामले में 9 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें से 6 मानव तस्कर हैं जबकि 3 गैरकानूनी रूप से विदेश जाने वाले नागरिक हैं। इनके पास से पुलिस को 7 लैपटॉप और 12 मोबाइल फोन बरामद हुए हैं।
इसके अलावा पुलिस को फेक पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट, नकली एजुकेशन सर्टिफिकेट, यूरोपीय देशों में काम करने का नकली वर्क परमिट, नकली बांग्लादेशी नोटरी डॉक्यूमेंट्स भी बरामद हुए हैं।
कैसे हुआ नेटवर्क का भांडाफोड़…
1. खुफिया जानकारी मिलने पर पुलिस ने तीन अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा
4 जनवरी 2023 को पुलिस के इन्फॉर्मर को जानकारी खुफिया जानकारी को मिली थी कि भारत में अवैध रूप से रह रहा एक बांग्लादेशी नागरिक जो कि मानव तस्करी की गतिविधियों में शामिल है, वह मयूर विहार पॉकेट 1 के पुलिस स्टेशन एरिया में आने वाला है।
जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने शख्स को पकड़ने के लिए पहुंची। मौके से पुलिस ने अवैध बांग्लादेशी नागरिक के साथ दो और बांग्लादेशी लोगों को पकड़ा। तीनों की पहचान मोहम्मद अनवर काजी, मोहम्मद खलीलुर रहमान और इमरान हुसैन के नाम से हुई। पूछताछ के दौरान पुलिस ने उनसे वैध ट्रेवल डॉक्यूमेंट मांगे।
2. तीनों बांग्लादेशी नागरिकों के पासपोर्ट में ग्रीस वीजा एप्लीकेशन सेंटर आने की एंट्री दिखी
अनवर ने अपना असली पासपोर्ट दिखाया। इस पासपोर्ट में X-Misc डबल एंट्री वीजा था, जिसके तहत अनवर को नई दिल्ली में ग्रीस वीजा एप्लीकेशन सेंटर आना था। इसके अलावा उसके पास ग्रीस में काम करने का परमिट और कई अन्य दस्तावेज भी मिले।
अनवर काजी के मोबाइल फोन को चेक करने पर पता चला कि वह इस ऑर्गनाइज्ड क्राइम सिंडिकेट में एजेंट और तस्करों के साथ जुड़ा हुआ था। वह एक तस्कर से अपने लिए नकली आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य भारतीय नागरिकता संबंधी दस्तावेज बनाने को कह रहा था।
दूसरे आरोपी खलीलुर रहमान के पास वैध वीजा के पासपोर्ट जैसे असली ट्रैवल डॉक्यूमेंट नहीं थे। हालांकि, उसके पास भी अनवर की तरह डबल एंट्री वीजा वाला पासपोर्ट मिला, जो 4 सितंबर 2023 तक वैध था और जिसमें नई दिल्ली के ग्रीस वीजा एप्लीकेशन सेंटर आने को कहा गया था। इसके अलावा उसके पास ग्रीक भाषा में काम करने का परमिट और अन्य जरूरी दस्तावेज भी मिले। खलीलुर रहमान के फोन को चेक करने पर सामने आया कि वह भी कई एजेंट्स और तस्करों के संपर्क में था।
तीसरे नागरिक इमरान हुसैन ने बताया कि उसने अपना पासपोर्ट दिल्ली में एक यूरोपीय देश की एम्बेसी के पास जमा कराया हुआ है। उसने अपने फोन में वैध पासपोर्ट और वीजा की कॉपी दिखाई। उसका फोन चेक करने पर पता चला कि वह भी कई एजेंट्स और तस्करों के संपर्क में था। इमरान ने पूछताछ के दौरान एक तस्कर का पता भी बताया।
3. आरोपी बोले- यूरोपीय देश जाने की उम्मीद में भारत आए थे
इस पूछताछ में तीनों के पास से कई भाषाओं के डॉक्यूमेंट्स मिले। उन्होंने पुलिस को बताया कि वे इस उम्मीद से भारत में रह रहे थे कि यहां से किसी यूरोपीय देश निकल जाएंगे। वे एक डंकी नेटवर्क के जरिए भारत भेजे गए थे और दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे थे। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश की एक मैनपावर कंसल्टेंसी के साथ मिलकर तस्कर बड़े स्तर पर काम कर रहे थे। पुलिस ने तीनों पर कई धाराओं में FIR की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
4. तीन नए आरोपी पकड़े गए, उनके घर से अवैध दस्तावेज मिले
आगे की जांच में तीन नए आरोपियों मोहम्मद युनूस खान, मोहम्मद इब्राहिम और मोहम्मद अली अकबर को गिरफ्तार किया गया। दिल्ली के सरिता विहार के उनके घर से 12 पासपोर्ट, 10 मोबाइल फोन, 3 लैपटॉप, 3 पेनड्राइव, 1 इंकजेट प्रिंटर, 150 लोगों के नाम वाले 150 बांग्लादेशी नोटरी डॉक्यूमेंट, बांग्लादेश पुलिस के 50 क्लीयरेंस सर्टिफिकेट समेत कई डायरी, विक्टिम्स की सूची बरामद हुई।
ऐसे काम करता था सिंडिकेट…
1. लोगों को यूरोप जाने का सपना दिखाकर बांग्लादेश से भारत भेजते थे
मोहम्मद इब्राहिम और मोहम्मद अली अकबर ने बताया कि वे दोनों ढाका में बैठे अपने बॉस और बांग्लादेश और भारत के कई साथियों के साथ मिलकर इंटरनेशनल ह्यूमन ट्रैफिकिंग का काम करते हैं। उनका बॉस एक मैनपावर कंसल्टेंसी चलाता है। वह बांग्लादेश के आम लोगों को यूरोपीय देशों में काम करने और ज्यादा पैसा कमाने का सपना दिखाता था।
इन लोगों से 1 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक चार्ज किए जाते थे और फिर आगे की प्रक्रिया के लिए उन्हें मोहम्मद अली अकबर और मोहम्मद इब्राहिम के पास भेज दिया जाता था। इसके बाद विक्टिम्स को भारत लाया जाता था, जहां उन्हें यह कहकर बेवकूफ बनाया जाता है कि उनकी मर्जी के यूरोपीय देश का वीजा हासिल करने की प्रक्रिया चल रही है।
2. शेल कंपनियों के जरिए विक्टिम्स को यूरोपीय देशों का नकली वर्क परमिट दिए जाते थे
मोहम्मद इब्राहिम ने विदेश में कई शेल कंपनियां खोल रखी थीं, जिनके जरिए वह विक्टिम्स को नकली वर्क परमिट मुहैया कराता था, ताकि उन्हें लगे कि वीजा मिलने की प्रक्रिया चल रही है। अलग-अलग वीजा लेकर भारत पहुंचे इन विक्टिम्स से और पैसा मांगा जाता था।
उनके वीजा एक्सपायर होने के बाद विक्टिम्स को कहा जाता था कि उन्हें भारतीय आधार कार्ड और पैन कार्ड मिलेंगे, जिससे वे वीजा एक्सपायर होने के बाद भी भारत में बिना किसी परेशानी के रह पाएंगे। इसके लिए वे कोलकाता के एजेंट्स को भी सिंडिकेट में शामिल करते थे। इसके बाद विक्टिम्स से और पैसा चार्ज करते थे।