बिहार से 2024 चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे मोदी: चंपारण के बेतिया में 13 जनवरी को पहली रैली करेंगे; इसी दिन झारखंड भी जाएंगे

 

पीएम मोदी बिहार के बेगूसराय, बेतिया और औरंगाबाद में 3 रैलियां करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत बिहार से कर सकते हैं। न्यूज एजेंसी ANI ने भाजपा सूत्रों के हवाले से बताया कि 13 जनवरी को प्रधानमंत्री चंपारण के बेतिया में रैली करेंगे। वे रमन मैदान में एक जनसभा भी करेंगे। इसी दिन वे झारखंड के धनबाद भी जा सकते हैं।

बिहार से 2024 चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे मोदी: चंपारण के बेतिया में 13 जनवरी को पहली रैली करेंगे; इसी दिन झारखंड भी जाएंगे

भाजपा सूत्रों ने बताया कि 13 जनवरी को बेतिया से प्रधानमंत्री बिहार के विभिन्न सड़क और केंद्रीय योजनाओं की का उद्धाटन और शिलान्यास कर सकते हैं। 2014 लोकसभा चुनाव के बाद यह पहली बार होगा, जब भाजपा अपने सबसे पुराने सहयोगी JDU के बिना चुनावी मैदान में उतरेगी।

15 जनवरी यानी मकर संक्रांति के बाद भाजपा राज्य में कई जनसभाएं और रैलियां करेगी। खुद प्रधानमंत्री मोदी बेगूसराय, बेतिया और औरंगाबाद में तीन रैलियां करेंगे। पार्टी इस बार लोजपा और हम के साथ मिलकर 40 सीटों पर मैदान में होगी।

PM के कार्यक्रम के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा और गृह मंत्री अमित शाह जनवरी और फरवरी में कैंपेन में शामिल होंगे। शाह जनवरी और फरवरी के दौरान सीतामढी, मधेपुरा और नालंदा में जनसभाएं करेंगे। वहीं, जेपी नड्डा बिहार के सीमांचल और पूर्वी इलाकों में रैलियां करेंगे।

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में NDA को 39 सीटों पर जीत मिली थी। तब नीतीश कुमार की JDU भाजपा के साथ थी। नीतीश के NDA से अलग होने के बाद भाजपा के पास 17 और JDU के पास 16 सीटें हैं। इसके अलावा भाजपा की सहयोगी लोजपा के पास 6 सीटें हैं। एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। RJD के पास एक भी सीट नहीं है।

150 नए प्रत्याशी उतारेगी भाजपा
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटी भाजपा एक साथ कई फॉर्मूलों पर काम कर रही है। पार्टी में मौजूदा सांसदों के टिकट काटने से लेकर नए चेहरों को मौका देने तक पर मंथन जारी है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी आजादी के 100वें साल तक संसद में युवा प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए काम कर रही है। चुनाव में भाजपा 150 नए प्रत्याशी उतार सकती है। इनमें 41 से 55 साल की उम्र के प्रत्याशियों की संख्या ज्यादा होगी।

भाजपा के एक महासचिव ने कहा कि पहली लोकसभा में 26% सदस्यों की उम्र 40 से कम थी। बाद में संसद में युवा प्रतिनिधित्व कम होता गया। लोकसभा में तीन से 11 बार तक चुनाव जीतने वाले सांसदों की संख्या बढ़ती गई। इसे देखते हुए पार्टी दो या इससे अधिक बार लोकसभा चुनाव जीत चुके नेताओं में से ज्यादातर को संगठन की जिम्मेदारी देने जा रही है।

इसके अलावा अपवाद को छोड़कर किसी को राज्यसभा दो बार से ज्यादा नहीं भेजा जाएगा। 80% ऐसे लोगों को मौका मिलेगा जो कानून, चिकित्सा, विज्ञान, कला, आर्थिक मामले, तकनीक, पर्यावरण और भाषा के जानकार हों। दस सीट पर चुनाव हुए तो 2 ही ऐसे प्रत्याशी होंगे जो जातीय समीकरण या संगठन में योगदान के लिहाज से महत्वपूर्ण होंगे।

युवा आबादी का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहते हैं पीएम मोदी
देश में 65% से ज्यादा युवा हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहते हैं। अगर एक शख्स को लगातार लोकसभा का टिकट मिलता है तो उसके साथी कार्यकर्ता चुनावी राजनीति से बाहर हो जाते हैं। इसलिए कुछ खास मौकों को छोड़कर किसी एक कार्यकर्ता को 2-3 बार से ज्यादा लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया जाए। इससे नए लोगों को मौका मिलेगा।

लोकसभा में औसत उम्र 54 साल, 25-40 वालों को दोबारा टिकट
मौजूदा लोकसभा में सांसदों की औसत आयु 54 साल है। भाजपा के 25 से 55 साल के सांसदों का प्रतिनिधित्व 53% है। भाजपा 56 से 70 वर्ष के ज्यादातर सांसदों की जगह 41-55 आयु वर्ग वालों को लड़ाने की तैयारी कर रही है। 25-40 आयु वर्ग वालों को दोबारा से टिकट दिया जाएगा। ऐसे में 150 नए चेहरों को चुनाव में उतारना होगा।

 

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