सभी सांसदों को संविधान की जो कॉपी दी गईं, वे 18 सितंबर को ही संसद पहुंचा दी गई थीं। संसद का 5 दिन का विशेष सत्र 18 सितंबर से 22 सितंबर तक चलेगा।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन राजनेताओं को संविधान की जो नई कॉपियां दी गईं, उनमें समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द नहीं हैं।
अधीर ने कहा, ‘हम जानते हैं ये शब्द 1976 में एक संशोधन के बाद जोड़े गए थे, लेकिन अगर आज कोई हमें संविधान देता है और उसमें ये शब्द नहीं हैं, तो यह चिंता की बात है।’
कांग्रेस नेता बोले- BJP की मंशा संदिग्ध
सोमवार 19 सितंबर को नए संसद भवन में जाने से पहले अधीर रंजन चौधरी साथी सांसदों के साथ।
अधीर रंजन ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि BJP की मंशा संदिग्ध है। ये बड़ी चतुराई से किया गया है। यह मेरे लिए चिंता का विषय है। मैंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन मुझे इस मुद्दे को उठाने का मौका नहीं मिला। जब मैं इसे पढ़ रहा था, मुझे ये दो शब्द नहीं मिले। मैंने इन्हें अपने आप जोड़ा… मैंने इसे राहुल गांधी को भी दिखाया। हम संशोधन क्यों करते हैं? यह हमारे संविधान को बदलने की जानबूझकर की गई कोशिश को दर्शाता है।
कानून मंत्री बोले- ये शब्द मूल संविधान में नहीं थे
अधीर रंजन के सवाल पर कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा, ‘जब संविधान अस्तित्व में आया, तब समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द नहीं थे। ये शब्द संविधान के 42वें संशोधन में जोड़े गए।’
नई संसद में कामकाज के पहले दिन पेश हुआ महिला आरक्षण बिल
नई संसद में कामकाज के पहले दिन यानी 19 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पेश किया गया। इस बिल के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% रिजर्वेशन लागू किया जाएगा।
लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है।
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महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में आज 7 घंटे चर्चा
नई संसद में विशेष सत्र का आज 20 सितंबर को दूसरा दिन है। लोकसभा में सुबह 11 बजे से महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पर 7 घंटे तक डिबेट होगी। यह शाम 6 बजे तक चलेगी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाषण दे सकते हैं। कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी बहस को लीड करेंगी। पढ़ें पूरी खबर…
संसद की पुरानी इमारत अब संविधान सदन
आजादी और संविधान को अपनाने की गवाह इस इमारत को विदाई देने पक्ष-विपक्ष के तमाम सांसद पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबके साथ फोटो खिंचवाई। इसके बाद तमाम सांसद सेंट्रल हॉल पहुंचे। प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन को संविधान सदन के नाम से बुलाने का प्रस्ताव रखा। सेंट्रल हॉल में मौजूद सांसदों ने मेज थपथपाकर इसकी सहमति दी। पढ़ें पूरी खबर…
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