निलंबित कर निपटाया, ना बहाल किया, ना सेवानिवृत्त

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सहकारी क्षेत्र के एक कर्मचारी की अनोखी दास्तान

हाईकोर्ट में 20 को होगी सुनवाई

एस• के• मित्तल 
सफीदों, हरियाणा सरकार के सहकारी संस्थान कनफेड के एक कर्मचारी की अनूठी सेवा दास्तान से पर्दा हटा है जिसमें उसी के अनुसार 39 वर्ष तक विभागीय अधिकारियों तथा राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री तक बार-बार गुहार लगाने के बाद उसने अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
यह कहानी स्थानीय ताराबस्ती के राधेश्याम (66) की है। गम्भीर स्वासरोग से ग्रस्त राधेश्याम ने बताया कि वह मार्च 1980 में हरियाणा सरकार के सहकारी संस्थान कनफेड में लेखा क्लर्क के पद पर भर्ती हुआ था। पानीपत में जॉइन किया था। उसने बताया कि गबन के एक मामले में कनफेड के एमडी के निर्देश पर उसे मार्च 1984 में स्थानीय महाप्रबंधक द्वारा निलंबित कर दिया गया और 5 अप्रैल 1984 को उसके खिलाफ गबन का मामला सफीदों थाना में दर्ज करा दिया गया। राधेश्याम ने बताया कि सफीदों के तत्कालीन प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 14 मार्च 1994 को गबन के मामले में उसे बहाल कर दिया और विभागीय जांच में सफीदों के तत्कालीन सहायक रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां जगजीत शियोरान ने 4 नवंबर 1987 को उसे आरोपमुक्त कर दिया लेकिन इसके बावजूद उसे बहाल करने व वेतन सहित सभी सेवा लाभ देने के उसके अनुरोध निरंतर अनसुने संबंधित विभागीय अधिकारी करते रहे।
उसने बताया कि वह बार-बार विभागीय अधिकारियों के पास गया, लिखित अनुरोध किए और जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति तक गुहार लगाई लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। निलंबन आदेश के तहत आधे वेतन के प्रावधान के साथ वह सफीदों में कनफेड के एक सहकारी उपभोक्ता भंडार पर नियमित हाजिरी देता रहा लेकिन ना वेतन दिया और ना अन्य सेवा लाभ। आखिर वह भंडार भी कनफेड ने दिसंबर 2001 में बंद कर दिया। इसके बाद वह संबंधित अधिकारियों व अन्य बड़ी हस्तियों को अनुरोध भेज कर सेवा लाभ के लिए गिड़गिड़ाता रहा लेकिन सब व्यर्थ गया। उसने बताया कि इस दौरान सहकारी विभाग के रोहतक उप रजिस्ट्रार ने सफीदों के सहायक रजिस्ट्रार को मार्च 2000 में उसके सेवालाभ जारी करने का पत्र लिखा लेकिन उस पर अमल तो कोई क्या करता उसका रिकॉर्ड ही गायब कर दिया गया।
उसने बताया कि अब उसने यह मामला पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में दायर किया है जिस पर न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी की अदालत में आगामी 20 अप्रैल को सुनवाई होनी है। राधेश्याम के कानूनी सलाहकारों ने इसे कर्मचारी उत्पीडऩ का दुर्लभ मामला बताया है जिसमे पहले तो कर्मचारी पर गबन का झूठा मामला बनाया गया और आरोपमुक्त होने पर उसे बहाल करने की बजाय उसका रिकॉर्ड ही गायब कर उसका सेवा अस्तित्व ही मिटा दिया गया जिसके फलस्वरूप ना वह बहाल हुआ, ना बर्खास्त हुआ और ना ही सेवानिवृत। इस मामले में जब कनफेड के प्रबंध निदेशक जयवीर आर्य से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह मामले को देख रहे हैं।
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