हौसलों की उड़ान भर रही है गांव रामनगर की दिव्यांग छात्रा रवीना

 

सौ प्रतिशत दिव्यांग होने के बावजूद रवीना पढ़ाई में है अव्वल

सरकार व शिक्षा विभाग की बेरूखी का शिकार है रवीना

पिता ने हरियाणा सरकार से लगाई मदद की गुहार

पिता की गुहार – बेटी को इलैक्ट्रिक ट्राई साइकिल मिल जाए तो उसकी राह होगी आसान

 

एस• के• मित्तल 

  1. सफीदों, उपमंडल के गांव रामनगर की निवासी और राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हाट की 11वीं कक्षा की सौ प्रतिशत दिव्यांग छात्रा रवीना हौसलों की उड़ान भर रही है और पढ़ाई में अव्वल स्थान पर है लेकिन कही ना कहीं सरकार व शिक्षा विभाग की बेरूखी का शिकार है। इस दिव्यांग जिंदगी को अच्छे से जीने व आगे बढऩे के लिए रवीना को सरकार व समाज से तत्काल मदद की जरूरत है।

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गौरतलब है कि रवीना उपमंडल सफीदों के गांव रामनगर की निवासी है तथा गांव से 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव हाट के राजकीय सीनियर सैकेंडरी की 11वीं कक्षा की छात्रा है। रवीना बचपन से ही सौ प्रतिशत दिव्यांग है। सौ प्रतिशत दिव्यांग होने के बावजूद भी रवीना के हौसले पूरी तरह से बुलंद है। वह पढ़-लिखाई करके कुछ बनकर समाज की सेवा करना चाहती है। इससे पहले वह अपने गांव के ही राजकीय उच्च विद्यालय की छात्रा रही है। 10वीं की परीक्षा में उसने 84 प्रतिशत अंक हासिल किए है। अब उसने निकटवर्ती गांव हाट के सीनियर सैकेंडरी स्कूल में दाखिला ले लिया है। रवीना के पिता देवी राम ने बताया कि गांव हाट से रवीना ने 10वीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की। उसके बाद साधनों के अभाव के चलते रवीना की पढाई छुड़वा दी थी लेकिन घर पर रहकर रवीना मायुस रहने लगी। उनसे रवीना की मनोस्थिति देखी नहीं गई और निकटवर्ती गांव हाट के राजकीय सीनियर सैकेंडरी स्कूल में 11वीं जमात में कलां संकाय में दाखिला दिलवाया। गरीबी व साधनों के अभाव में वे हररोज खुद रवीना को स्कूल लेकर जाते है। जब तक स्कूल चलता वे स्कूल के आसपास ही रहते हैं तथा सांय को रवीना को घर पर लेकर आते है।

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देवीराम ने बताया कि वे गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनकी 8 औलादों में 7 लड़कियां व एक सबसे छोटा लड़का शामिल है। रवीना छठे नंबर की है। रवीना की पढ़ाई व उसे स्कूल में ले जाने व वापिस लाने में काफी समय निकल जाता है तथा वे अपने कार्य पर नहीं जा पाते, जिससे उन्हे आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वे इतने सक्षम भी नहीं है कि वे रवीना को इलैक्ट्रिक साईकिल दिलवा सकें। देवीराम ने बताया कि रवीना के साथ-साथ उसकी अन्य बेटियां भी पढ़ाई में उत्कृष्ट है तथा उसकी लड़कियों ने बीएससी, एमएससी व एमए पास की हुई है। अपनी बड़ी बहनों के नक्से कदम पर चलकर रवीना भी आगे की पढ़ाई करने की तमन्ना रखती है। उन्होंने सरकार व शिक्षा विभाग से गुहार लगाई कि वह छात्रवृति, इलैक्ट्रिक साईकिल व अन्य माध्यमों से रवीना की मदद करें ताकि वह भी समाज की मुख्य धारा में शामिल हो और सरकार की बेटी बचाओं-पढ़ाओं का नारा सफल हो सके। वहीं दिव्यांग रवीना का कहना है कि वह घर पर नहीं बैठना चाहती। पढ़-लिखकर व कुछ बनकर परिवार, समाज व क्षेत्र का नाम रोशन करना चाहती है। स्कूल के लैक्चरर बलजीत लांबा ने बताया कि रवीना बड़ी होनहार छात्रा है तथा उसमें जज्बा कूट-कूटकर भरा हुआ है।

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सौ प्रतिशत अपाहिज होने के बावजूद वह बहुत अच्छे तरीके से पढ़ाई कर रही है। दिव्यांगता को मात देकर वह स्कूल में आती है। स्कूल प्रशासन छात्रवृति के लिए रवीना का नाम सरकार को भेजा हुआ है। इसके अलावा स्कूल के अध्यापकों के द्वारा तो मदद बन पाएंगी वे रवीना को प्रदान की जाएगी।

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