65 साल की बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट किया: 35 लाख रुपये की धोखाधड़ी, दिल्ली पुलिस ने 4 फर्जी CBI अधिकारियों को पकड़ा

 

डिजिटल अरेस्ट में ठग द्वारा पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उनके नाम कोई शिकायत दर्ज हुई है।

दिल्ली में 65 साल की बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट करने की घटना सामने आई है। आरोपियों ने उसे फर्जी CBI अधिकारी बनकर फोन किया। फिर डराकर 35 लाख रुपये अपने एकाउंट में ट्रांसफर करा लिए।

 

पुलिस ने इस मामले में 4 फर्जी CBI अधिकारियों को पकड़ा और उनके बैंक एकाउंट फ्रीज करा दिए। महिला को अब तक 21.3 लाख रुपये वापस मिल चुके हैं। साइबर क्राइम के तरीकों में सबसे नया और अजीबोगरीब तरीका डिजिटल अरेस्ट का है।

डिजिटल अरेस्ट में ठग द्वारा पीड़ित को फोन कर बताया जाता है कि उनके नाम कोई शिकायत दर्ज हुई है। झूठे मामले को लेकर पीड़ित को काफी डराया जाता है। फिर उन्हें घर से बाहर निकलने से मना कर दिया जाता है।

इसके बाद एक दूसरा फोन कॉल कर के पीड़ितों को मदद देने का आश्वासन दिया जाता है। मदद मानकर पीड़ित ठगों की कही हुई हर बात को फॉलो करता है।

दिल्ली में 10 दिनों में डिजिटल अरेस्टिंग के 4-5 मामले दर्ज
DCP हेमंत तिवारी ने बताया, अकेले दिल्ली में ही बीते 10 दिनों में साइबर क्राइम यूनिट के पास 4-5 मामले रिपोर्ट हुए हैं। ताजा मामले में 65 साल की महिला अंजना चक्रवर्ती के साथ 35 लाख की चीटिंग हुई है। IVR (इंटरेक्टिव वॉयस रिस्पांस) के जरिये महिला को कॉल की गई और 9 दबाने को कहा गया।

इसके बाद आरोपियों ने फर्जी कस्टम अधिकारी बनकर महिला से बात की और कहा कि उन्होंने DHL Express और FedEx के जरिये कंबोडिया के किसी जॉन डेविड को पार्सल भेजा है जिसे मुम्बई कस्टम पर सीज कर लिया गया है।

पार्सल में से 150 ग्राम MDMA (नारकोटिक ड्रग), 20 पासपोर्ट, 3 क्रेडिट कार्ड और 1 लैपटॉप मिला है। शुरुआत में महिला को थोड़ा शक हुआ तो आरोपियों ने उन्हें उनका आधार कार्ड भेजकर ये यकीन दिलाया कि वो असली अधिकारी हैं।

महिला को फर्जी CBI अधिकारी बनकर डराया गया
आरोपियों ने बाद में स्काइप के जरिये वीडियो कॉल करके CBI का कथित ऑफिस सेटअप दिखाया और CBI-नारकोटिक्स के फर्जी अधिकारियों से बात कराई। आरोपियों ने बुजुर्ग महिला को ‘डिजिटल अरेस्ट’ करने की जानकारी दी।

आरोपियों ने महिला को अपने कमरे और घर से बाहर निकलने से मना किया। साथ ही, इसके बारे में किसी को बताने से मना किया। उन्होंने कहा कि अगर वो किसी को भी इसके बारे में जानकारी देगी तो वो भी जांच के दायरे में आ जाएंगे।

आरोपियों के डराने-धमकाने के बाद जब महिला रोने लगी तो आरोपियों ने अगली चाल चली और सहानुभूति दिखाते हुए कहा कि शायद कोई गलती हुई है, इसलिए महिला को अपने बैंक अकाउंट्स वेरीफाई करने होंगे।

बैंक अकाउंट में मंगवाए 35 लाख रुपये
आरोपियों ने महिला से अपने सभी बैंक खातों से पैसा निकालकर एक कथित सरकारी खाते में जमा करने को कहा। डरी-सहमी महिला ने 3 चेक के जरिये आरोपियों के दिये बैंक खाते में 35 लाख रुपये डाल दिये। इस दौरान आरोपियों ने महिला से उनकी सभी इंवेस्टमेंट्स और सेविंग्स के बारे में डिटेल्स निकलवा ली। इस बीच महिला के भतीजे को इसकी जानकारी लगी उसने महिला के साथ नवंबर में IFSO में शिकायत दर्ज कराई।

आरोपियों के एकाउंट फ्रीज, तीन राज्यों से चार आरोपी अरेस्ट
पुलिस ने आरोपियों के बैंक खाते में मौजूद 34.5 लाख रुपये फ्रीज करा दिए और कोर्ट के आदेश पर महिला को अब तक 21.3 लाख रुपये वापस मिल चुके हैं।

पुलिस ने टेक्निकल एनालिसिस किया और सर्विलांस के जरिए फोन नंबरों को इंवेस्टिगेट किया। पुलिस ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा और यूपी से 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनके पास से 8 मोबाइल फोन, लैपटॉप, कार, 4 चेक बुक और 4 ATM कार्ड बरामद हुए हैं।

आरोपी दूसरे लोगों की ID पर सिम कार्ड और बैंक अकाउंट्स अरेंज कर उन्हीं के जरिये फ्रॉड करते थे। ये गैंग ठगे गए पैसों को निकालने के लिए कई फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल करते थे और उसे USDT के जरिये विदेश भेजते थे।

महिला को इंडोनेशिया-मलेशिया से कॉल आई थी
DCP ने बताया कि पीड़ित महिला को इंडोनेशिया या फिर मलेशिया से कॉल आई थी। अभी तक की जांच में ये सामने आया है कि ऐसे मामलों में ज्यादातर कॉल्स विदेश से ही किए जाते हैं। कई मामलों में आरोपी विक्टिम की रेकी करते हैं, जबकि कई बार रैंडम शिकार बनाया जाता है।

आम तौर पर मिडिल, अपर एज या ओल्ड एज के ऐसे लोगों को टारगेट किया जाता है जो अमीर हों और अकेले रहते हों ताकि उन्हें डिजिटल अरेस्ट कराना और डराना-धमकाना आसान हो। DCP ने बताया कि भारत के कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।

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