नई दिल्ली. भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) को बड़ी सफलता मिली है. बताया जाता है कि हरियाणा के राखीगढ़ी (Rakhigarhi, Haryana) में हड़प्पा-काल के स्थल (Harappan Era City Site) की खुदाई के दौरान वहां विशेषज्ञों को 2 कंकाल मिले हैं. बताया जाता है कि ये कंकाल करीब 5,000 साल या इससे भी अधिक पहले रहने वाली महिलाओं के हैं. एएसआई के अधिकारियों के मुताबिक, दोनों कंकालों के नमूने डीएनए टेस्ट के लिए भेजे गए हैं. दो चरणों का डीएनए टेस्ट होगा. इसके बाद इस जांच के नतीजों के कई बड़े और अहम खुलासे हो सकते हैं.
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एएसआई के संयुक्त महानिदेशक एसके मंजुल ने बताया, ‘राखीगढ़ी के राखीखास और राखीशाहपुर में 7 टीले (RGR-1 से RGR-7) हैं. इनमें से आरजीआर-1, आरजीआर-3 और आरजीआर-7 में खुदाई हो रही है. इनमें आरजीआर-7 हड़प्पा काल में संभवत: कब्रिस्तान रहा होगा. वहीं से 2 महिलाओं के कंकाल करीब 2 महीने पहले मिले हैं. विशेषज्ञों ने 2 सप्ताह पहले इनके डीएनए सैंपल इकट्ठे किए हैं. इन नमूनों को बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेस, लखनऊ में जांच के लिए भेजा गया है. यहां से उन्हें आगे के फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा जाएगा.’
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मंजुल ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ से बातचीत के दौरान बताया, ‘राखीगढ़ी में हड़प्पाकाल का जो स्थल है, वह अपने समय विकसित शहर रहा होगा. इस स्थल पर मिले महिलाओं के कंकाल की डीएनए जांच से हमें अब यह भी पता चलेगा कि ये महिलाएं वहीं उसी शहर की निवासी थीं. या फिर तब के हिंदुस्तान के किसी और इलाके से आई थीं. इसके अलावा उनकी खाने-पीने की आदतें कैसी थीं. किस किस्म का भोजन करती थीं. ऐसी और भी तमाम जानकारियां हमें उनके माध्यम से मिल सकेंगी. क्योंकि इन कंकालों के साथ दैनिक उपयोग की अन्य चीजें भी मिली हैं.’
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पहली बार 1960 के दशक में हुए थे खुदाई के प्रयास
गौरतलब है कि दिल्ली से करीब 150 किलोमीटर दूर हरियाणा के हिसार जिले के कस्बे राखीगढ़ी में पहली बार हड़प्पा-काल के अवशेषों का पता 1960 के दशक में चला था. इसके बाद 2020-21 में केंद्र सरकार ने देश के ऐसे 5 स्थलों पर खुदाई कराने और उनसे जुड़े पुरातात्त्विक तथ्यों का पता लगाने की घोषणा की. इसके लिए बजट में प्रावधान भी किया. राखीगढ़ी उन्हीं स्थलों में से एक है. यहां 24 फरवरी 2022 से खुदाई का काम शुरू हुआ है. यह काम एसके मंजुल की अगुवाई में ही किया जा रहा है. वे 2018 में उत्तर प्रदेश के सनौली में भी एक पुरातात्त्विक स्थल की खुदाई का काम करा चुके हैं. वहां से लौह-पूर्व युग की महत्त्वपूर्ण चीजें मिली थीं.