एस• के• मित्तल
सफीदों, स्वामी दयानंद सरस्वती ने देश और समाज को सही राह दिखाने का काम किया। यह बात महषि दयानंद गौसंर्वधन केंद्र गाजीपुर दिल्ली के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने कही। वे नगर के आर्य सदन में महर्षि दयानंद जयंती पर बोल रहे थे।
बचन सिंह आर्य ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक, महान चिंतक, समाज-सुधारक और देशभक्त थे। स्वामी दयानंद सरस्वती ने बाल विवाह, सती प्रथा, छुआछात व जातिप्रथा जैसी कुरीतियों को दूर करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने वेदों को सर्वोच्च माना और वेदों का प्रमाण देते हुए समाज में फैली कुरीतियों का विरोध किया। स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर एक ब्राह्राण परिवार में हुआ था।
उन्होंने 1875 में मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की। स्वामी दयानंद सरस्वती ने देश की आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जब भारत धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक दृष्टि से छिन्न भिन्न हो गया था तब ऐसी विषम परिस्थितियों में महर्षि दयानंद सरस्वती ने लोक कल्याण के लिए जन जागरण किया और लोगों को संगठित होकर देश के लिए कार्य करने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के मतवाले क्रांतिकारी भी महर्षि देव दयानंद और आर्य समाज की विचारधारा से ओतप्रोत थे। काकोरी कांड को अंजाम देने से पूर्व दो दिन पहले काकोरी कांड की योजना मुरादाबाद आर्य समाज में ही बनाई गई थी।
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चंद्रशेखर आजाद, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र लहरी, मंगल पांडे, नाना साहब, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई, लाला लाजपतराय, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्रबोस, आदि असंख्य क्रांतिवीर आर्य समाज के ही सिपाही थे।
इन्होंने इस देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। बचन सिंह आर्य ने लोगों से आह्वान किया कि वे स्वामी दयानंद के विचारों को धारण अपने जीवन को आगे बढ़ाए।