सांसदों-विधायकों के खिलाफ क्रिमिनल केस जल्द निपटाएं: SC का आदेश- हाईकोर्ट में स्पेशल बेंच बने, दुर्लभ कारणों में सुनवाई टले

 

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सांसदों-विधायकों के खिलाफ क्रिमिनल केस पर जल्द फैसला देने वाली याचिका पर सुनवाई की । CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाईकोर्ट और निचली अदालतों को कई निर्देश जारी किए।

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कोर्ट ने कहा- ऐसे मामलों के लिए हाईकोर्ट में एक स्पेशल बेंच गठित की जाए। साथ ही निचली अदालतें सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की निगरानी के लिए स्वत: संज्ञान लें।

कोर्ट ने कहा कि इस तरह के केस में निचली अदालतों को एक जैसा दिशानिर्देश देना मुश्किल होगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 4 बड़ी बातें…

  • हाईकोर्ट MP-MLA के खिलाफ आपराधिक मुकदमों की निगरानी के लिए एक विशेष पीठ का गठन करेंगे, जिसकी अध्यक्षता या तो चीफ जस्टिस करेंगे, या चीफ जस्टिस की तरफ से नामित पीठ द्वारा की जाएगी।
  • हाईकोर्ट क्रिमिनल केस में सांसदों के खिलाफ मुकदमों की स्थिति पर रिपोर्ट के लिए विशेष निचली अदालतों को बुला सकते हैं। ट्रायल कोर्ट केवल दुर्लभ कारणों को छोड़कर संसद सदस्यों, विधायकों और MLC के खिलाफ मामलों की सुनवाई स्थगित नहीं करेंगी।
  • सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश कानून निर्माताओं की सुनवाई करने वाली नामित विशेष अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे, तकनीकी सुविधा सुनिश्चित करेंगे।

CJI बोले- SC तारीख पे तारीख वाली अदालत नहीं बनेगी

CJI डी वाई चंद्रचूड़ कोर्ट में लंबित मामलों को लेकर पहले ही चिंता जता चुके हैं। चंद्रचूड़ ने 3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को सुलझाने में देरी और सुनवाई टालने पर चिंता जताते हुए वकीलों से कहा था कि हम नहीं चाहते कि ये (सुप्रीम कोर्ट) तारीख पर तारीख वाली अदालत बन जाए।

उन्होंने कहा कि हर रोज औसतन 154 मामले टाले जाते हैं। अगर इतने सारे मामले एडजर्नमेंट (स्थगन या टालना) में रहेंगे तो यह अदालत की अच्छी छवि नहीं दिखाता।

साथ ही CJI ने वकीलों से अपील की- जब तक जरूरत न हो, तब तक सुनवाई टालने की मांग न करें।

दरअसल, CJI चंद्रचूड़ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान पेश हुए वकील की ओर से एडजर्नमेंट की मांग पर नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट लगातार लिस्टेड मामलों की सुनवाई कर रहा है और सबसे ज्यादा ए़डजर्नमेंट की मांग इन्हीं मामलों में की जाती है। पढ़ें पूरी खबर…

देश में 763 सांसद, 306 पर क्रिमिनल केस

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सांसदों पर दर्ज क्रिमिनल केस को लेकर सितंबर में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया गया है कि देश के कुल 763 सांसदों में से 306 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 194 सांसदों के खिलाफ हत्या और महिलाओं से अत्याचार के गंभीर केस हैं।

ADR ने यह रिपोर्ट लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों की तरफ से दायर हलफनामे के हवाले से जारी की है।

बिहार के सबसे ज्यादा 41 सांसदों के खिलाफ केस दर्ज
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि लक्षद्वीप से एक सांसद, केरल के 29 सांसदों में से 23, बिहार के 56 सांसदों में से 41, महाराष्ट्र के 65 सांसदों में से 37, तेलंगाना के 24 सांसदों में से 13 और दिल्ली के 10 सांसदों में से 5 के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज हैं।

UP के सबसे ज्यादा 37 सांसदों के खिलाफ गंभीर मामले दर्ज
ADR ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि लक्षद्वीप से एक, बिहार के 56 सांसदों में से 28, तेलंगाना के 24 सांसदों में से 9, केरल के 29 सांसदों में से 10, महाराष्ट्र के 65 सांसदों में से 22 और यूपी के 108 सांसदों में से 37 के खिलाफ गंभीर मामले दर्ज हैं।

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सुप्रीम कोर्ट सख्त, MP-MLA के क्रिमिनल केस वापस नहीं ले सकेंगी राज्य सरकारें

अब राज्य सरकारें सांसदों और विधायकों पर चल रहे क्रिमिनल केस वापस नहीं ले सकेंगी। इसके लिए संबंधित राज्य के हाईकोर्ट की मंजूरी जरूरी होगी। आपराधिक मामलों में सजा पाने वाले सांसदों और विधायकों को हमेशा के लिए चुनाव लड़ने से रोकने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही। कोर्ट ने सितंबर 2020 के बाद सांसदों-विधायकों के वापस लिए गए केस दोबारा खोलने को भी कहा है।​​​​​​​ पढ़ें पूरी खबर…

 

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