सरकार ने दवा कंपनियों के लिए नए मैन्युफैक्चरिंग स्टैंडर्ड बनाए: इस साल से लागू करने होंगे; भारतीय दवाओं से विदेश में हुई मौतों के बाद लिया फैसला

 

केंद्र सरकार ने भारतीय दवा निर्माता कंपनियों के लिए दवा निर्माण के नए स्टैंडर्ड तय किए हैं। दवा कंपनियों को इस साल से इन मानकों के आधार पर दवाओं का निर्माण करना होगा। सरकार ने 28 दिसंबर को एक नोटिफिकेशन जारी करके कंपनियों को ये निर्देश दिया है।

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दरअसल, 2022 में भारत में बनी दवाओं से विदेश में कई लोगों की जान गई थी। इसके चलते केंद्र सरकार ने फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री की स्क्रूटनी बढ़ाने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। भारतीय फार्मास्युटिकल इंडस्टी 50 अरब डॉलर की है।

देश की 50 अरब डॉलर की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री की छवि सुधारने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है।

देश की 50 अरब डॉलर की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री की छवि सुधारने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है।

दवाओं की क्वालिटी के लिए फार्मा कंपनियां जिम्मेदारी होंगी
इस नोटिफिकेशन में सरकार ने लिखा है कि मैन्युफक्चरर को अपने फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट की क्वालिटी के लिए जिम्मेदारी लेनी होगी, ताकि ये तय किया जा सके कि वे जरूरी इस्तेमाल के लिए फिट हैं, लाइसेंस के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है, उनका पालन किया गया है। ये भी मैन्युफैक्चरर की ही जिम्मेदारी होगी कि उनका प्रोडक्ट सेफ्टी या क्वालिटी में कमी के कारण पेशेंट की जिंदगी खतरे में तो नहीं डालता।

इसमें ये भी कहा गया है कि कंपनियों को किसी प्रोडक्ट पर फाइनल या तैयार का लेबल तभी लगाना चाहिए जब उसके टेस्ट में संतोषजनक नतीजे निकले हों और रिपीट टेस्टिंग या किसी बैच के वेरिफिकेशन के लिए फाइनल प्रोडक्ट के सैंपल की पर्याप्त क्वांटिटी रखी गई हो।

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सरकार ने नोटिफिकेशन में लिखा है कि दवा कंपनियों को अपने फाइनल प्रोडक्ट के सैंपल की पर्याप्त क्वांटिटी रिपीट टेस्टिंग के लिए रखना जरूरी है।

सरकार ने नोटिफिकेशन में लिखा है कि दवा कंपनियों को अपने फाइनल प्रोडक्ट के सैंपल की पर्याप्त क्वांटिटी रिपीट टेस्टिंग के लिए रखना जरूरी है।

इंस्पेक्शन में खरी नहीं उतरी थीं 142 कंपनियां
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अगस्त में कहा था कि दिसंबर 2022 से 162 ड्रग फैक्ट्रियों के इंस्पेक्शन में ये पाया गया था कि कच्चे माल की टेस्टिंग नहीं की जा रही थी। भारत की 8,500 छोटी ड्रग फैक्ट्रियों में से एक-चौथाई से भी कम वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के तय किए गए इंटरनेशनल ड्रग मैन्युफैक्चरिंग स्टैंडर्ड पर खरी उतरी थीं।

नोटिफिकेशन में कहा गया कि बड़ी फार्मा कंपनियों को छह महीने के अंदर जबकि छोटी फार्मा कंपनियों को एक साल के अंदर इन चिंताओं पर जवाब देना होगा। छोटी कंपनियों ने इस डेडलाइन को बढ़ाने की मांग की है। इन कंपनियों का कहना है कि इन स्टैंडर्ड पर खरा उतरने के लिए जो इन्वेस्टमेंट करने होंगे, उनके चलते आधी से ज्यादा कंपनियां बंद हो जाएंगी, क्योंकि वे पहले से ही घाटे में हैं।

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क्लोरफेनिरामाइन मैलेट और फिनाइलफ्राइन वाले कफ सिरप खतरनाक
दिसंबर 2023 में भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल (DCGI) ने क्लोरफेनिरामाइन मैलेट और फिनाइलफ्राइन के फिक्स कॉम्बिनेशन वाले कफ सिरप को 4 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खतरनाक बताया था। क्लोरफेनिरामाइन मैलेट IP 2 mg और फिनाइलफ्राइन HCL 5 mg के कॉम्बिनेशन वाला सिरप आमतौर पर सर्दी-खांसी और फ्लू के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

DCGI ने 18 दिसंबर को फिक्स्ड ड्रग्स कॉम्बिनेशन यानी FDC को लेकर सभी राज्यों को एक लेटर लिखा था। इसमें कहा गया था कि क्लोरफेनिरामाइन मैलेट और फिनाइलफ्राइन के कॉम्बिनेशन से बने कफ सिरप पर यह लिखा जाए कि उसमें दोनों दवाओं की उसमें कितनी-कितनी मात्रा मौजूद है। साथ ही दवाओं के लेवल पर यह चेतावनी लिखी जाए कि इन्हें 4 साल से छोटे बच्चों को नहीं देना है। पूरी खबर यहां पढ़ें…

 

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