एस• के• मित्तल
सफीदों, विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने नगर के मिनी सचिवालय पहुंचकर समलैंगिकता के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के नाम एक ज्ञापन एसडीएम सत्यवान मान को सौंपा। ज्ञापन कार्यक्रम की अगुवाई विहिप के जिला उपाध्यक्ष अरविंद शर्मा ने की। ज्ञापन में विहिप कार्यकत्र्ताओं का कहना था कि विवाह एक पुरातन संस्था है।
सभी धर्मों के समाजों ने अपनी मान्याताओं और अनुभवों के आधार पर इस विवाह परिवार संस्था की स्थापना की। इसके लिए नियम व मर्यादाएं बनाई और एक संगठित संस्कारित समाज के लिए इस विवाह व परिवार संस्था को पोषित किया है। दीर्घकाल में चली आ रही विवाह परिवार संस्था की अवधारणा, स्वरूप, कर्तव्य, विधि निषेध आदि सुनिश्चित होकर स्थापित हो गए है। यह सब भारतीय समाज के अवचेतन मन में स्थापित होकर डीएनए का भाग ही हो गए हैं। अच्छा तो यह रहेगा कि विवाह संस्था में संशोधन का काम लोकसभा व विधानसभाओं पर छोड़ दिया आए।
फिर भी यदि सर्वोच्च न्यायालय अगर इस विषय पर विचार करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हो तो भी इसे जल्दी में करने के गंम्भीर परिणाम हो सकते हैं। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय को इस विषय का विचार करते समय भारतीय समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले धर्म गुरुओं, शास्त्रीय विद्वानों व अन्य वर्गों को भी अवश्य सुनना चाहिए। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय को कुछ समितियां बनाकर देशभर में जाकर इस विषय पर समाज की राय जानना आवश्यक है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से निवेदन किया कि वह इस विषय में हमें भी पक्ष रखने का अवसर दें और हमारी सुनवाई के लिए समय तय करें।
इस मौके पर अरविंद शर्मा के अलावा, प्रमोद गौत्तम, सत्यदेव चौबे, मंजू गौत्तम, रूचि कंसल, कविता शर्मा, शमशेर सिंह, राजेन्द्र कुमार, राम सिंह, ओमप्रकाश, मनोज शर्मा, रणबीर नाथ, महेंद्र सिंह, सोनू, अमित, दलबीर सिंह सहित अन्य कार्यकत्र्तागण मौजूद थे।