रेवाड़ी में बिल्डर पर 5 लाख जुर्माना: तय डेडलाइन पर नहीं दिया फ्लैट; जमा कराई राशि 9% ब्याज के साथ लौटाने का आदेश

हरियाणा के रेवाड़ी में कंज्यूमर कोर्ट ने एक बिल्डर पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही फ्लैट के लिए जमा कराई गई पूरी राशि 9% ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया है। बिल्डर ने तय डेडलाइन पर फ्लैट धारक को पजेशन नहीं दी। इसके बाद उसने कोर्ट में याचिका डाली थी।

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2013 में बुक कराया फ्लैट, 4 लाख जमा कराए

मिली जानकारी के अनुसार, रेवाड़ी जिले के बावल स्थित सेक्टर-10 A में विपुल प्रथम अपार्टमेंट के नाम से बिल्डर ने काम शुरू किया था। इसमें रेवाड़ी शहर के सुभाष नगर निवासी मनोज यादव ने 2013 में एक फ्लैट बुक किया। इसके साथ ही 4 लाख रुपए की राशि भी बिल्डर के पास जमा करा दी। फ्लैट की कुल कीमत साढ़े 35 लाख रुपए थी।

करीब 30 लाख जमा कराए

मनोज यादव ने बताया कि बिल्डर ने उससे 29 लाख 73 हजार रुपए से ज्यादा जमा करा लिए। 5 साल तक उसे फ्लैट की पजेशन नहीं दी। इतना ही नहीं बार-बार उसके चक्कर लगवाए और अतिरिक्त पैसों की डिमांड की। मनोज ने बताया कि उस वक्त तक बिल्डर द्वारा सिर्फ मौके पर ढांचा ही खड़ा किया गया था। उससे आगे कोई निर्माण नहीं हुआ था।

परेशान होकर डाली याचिका

बिल्डर से परेशान होकर मनोज यादव ने अपने वकील के मार्फत रेवाड़ी की कंज्यूमर कोर्ट में बिल्डर के खिलाफ याचिका डाल दी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान बिल्डर ने तर्क दिया कि दिसंबर 2018 तक कब्जा देने को लेकर उनके बीच एक एग्रीमेंट हुआ था। एग्रीमेंट के मुताबिक, यदि डेवलपर्स समय पर ग्राहक को फ्लैट नहीं दे पाता है तो उस स्थिति में 5 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट के हिसाब से क्षतिपूर्ति देने के लिए बाध्य होगा।

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एग्रीमेंट एक धोखा है

कंज्यूमर कोर्ट के चेयरमैन SK खंडूजा ने अपने निर्णय में कहा कि इस प्रकार का एग्रीमेंट ना केवल मनमना है, बल्कि ग्राहकों के साथ धोखा भी है। जिस ग्राहक ने बैंक से लोन लेकर फ्लैट बुक कराया, उसने ब्याज के रूप में ढाई लाख रुपए बैंक को दिए है। ऐसे में केवल 5 रुपए प्रति स्क्वेयर फीट के हिसाब से मुआवजा देना कहीं भी कानूनन ठीक नहीं है।

कोर्ट ने 5 लाख का जुर्माना लगाया

कोर्ट ने इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि डेवलपर्स जानबूझकर अपने पक्ष का एग्रीमेंट तैयार कराते हैं और ग्राहकों के साथ मनमाना व्यवहार करते हैं। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार का एग्रीमेंट मान्य नहीं है, जिसमें सारी शर्ते डेवलपर्स के हक में हो। कोर्ट ने बिल्डर पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही जमा कराई गई राशि 9% ब्याज के साथ वापस लौटाने और 11 हजार रुपए वाद खर्च अलग से दिए जाने का आदेश दिया है।

 

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