रियल एस्टेट सुधार: महंगी के बावजूद रियल एस्टेट मार्केट में सुधार, गुड़गांव में अभी भी 59120 यूनिट को ग्राहक की दरकार

 

 

  • एनसीआर में बिना बिकी हुई संपत्तियों की कुल संख्या 1.68 लाख थी जो कि घटकर 1.41 लाख रह गई है।

गुरुग्राम-एनसीआर में एक ओर जहां बिल्डरों द्वारा बायर्स को निर्धारित समय अवधि में अपार्टमेंट/भूखंडों का कब्जा देने में विफल रहने की शिकायत बढ़ रही है, वहीं प्रॉपटी की बिक्री में तेजी भी दर्ज हो रही है। एनारॉक रियल एस्टेट रिसर्च कंसल्टेंट द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार एनसीआर में रियल एस्टेट मार्केट के हालात में सुधार हो रहा है। गुरुग्राम में बिल्डरों की बिना बिकी हुई संपत्ति की संख्या 63870 थी जोकि अब घटकर 59120 रह गई है। इसमें लगभग सात प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।

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खास बात यह है कि आरबीआई द्वारा बीते कुछ माह में दो बार बढ़ाए गए रेपो रेट और लगातार निर्माण सामग्री पर बढ़ती महंगाई के बावजूद गुरुग्राम-एनसीआर के बिल्डरों की बिना बिकी में तेजी दर्ज हुई है। एनारॉक के वरिष्ठ निदेशक एवं रिसर्च हेड प्रशांत ठाकुर की के अनुसार गुरुग्राम एनसीआर में अभी भी बिना बिकी हुई संपत्तियों की सूची में सबसे ऊपर है। एनसीआर में बिना बिकी हुई संपत्तियों की कुल संख्या 1.68 लाख थी जो कि घटकर 1.41 लाख रह गई है। जिनमें से गुरुग्राम में अकेले 59120 यूनिट है जो कि कुल संपत्तियों का 42 प्रतिशत है। जीएलएस ग्रुप के निदेशक सुरिंदर सिंह का कहना है कि प्रॉपर्टी की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण पिछले साल की तुलना में इस वर्ष कमी दर्ज हुई है।

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औसतन 12-18 महीनों की अवधि के भीतर बाजार में संपत्ति की कीमतों में 1.5 से 2 गुना वृद्धि हुई है, जिससे निवेशकों को उच्च रिटर्न मिला है। अपना आशियाने खरीदने वालों की मांग के कारण आने वाले समय में बाजार स्थिर रहेगा।आरओएफ ग्रुप निदेशक मोहित मित्तल के अनुसार बिना बिकी हुई संपत्तियां को बेचने का समय 27 महीने तक कम हुआ है, फिर भी एनसीआर में डेवलपर्स को निर्माण लागत में वृद्धि और बैंक ब्याज दरों में वृद्धि के चलते बिना बिके स्टाक को बेचने में अधिक समय लग रहा है।वादा अनुसार घर देने में विफल रहे हैं बिल्डर: खण्डेलवालदूसरी तरफ, रेरा के अध्यक्ष डॉ केके खंडेलवाल कहना है कि कई बिल्डर्स अच्छी प्रारंभिक राशि एकत्र करने के बाद भी निर्धारित समय के भीतर परियोजनाओं को पूरा करने और वादा अनुसार घर देने में विफल रहे हैं।

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केवल जुलाई के महीने में लगभग 300 मामलों को सुनवाई के लिए प्राधिकरण ने सूचीबद्ध किया था। इनमें से 63 मामलों में प्राधिकरण ने 17 बिल्डरों को 70 प्रतिशत की दर से ब्याज सहित लगभग 50 करोड़ रुपए राशि वापसी देने का निर्णय किया है।

 

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