आंगनबाड़ी व स्कूलों में हो सकेगी ज्यादा बच्चों की स्क्रीनिंग
सिविल अस्पताल कमेटी ने की गाडिय़ों की फिजिकल वेरिफिकेशन
यह है आरबीएसके कार्यक्रम
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम का लक्ष्य बच्चों के जन्म से लेकर 18 साल तक उनके जन्म जन्म दोष, कमियों, बीमारियों, विकास में होने वाले विलंब के साथ-साथ समय से पहले पहचान कर उन्हें उचित उपचार दिलाना है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे बच्चे हैं जिनके परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है या वो चिकित्सक सेवा की पहुंच से दूर हैं, ऐसे बच्चों तक आरबीएसके की टीमें पहुंचती हैं और स्क्रीनिंग कर उनके इलाज में मदद करती हैं। योजना के तहत जन्म के समय कोई रोग, बीमारी या चेकअप के दौरान बीमारी का पता चलने पर बच्चे को मुफ्त इलाज दिया जाता है। इसके अलावा स्कूलों में चेकअप और नवजात शिशुओं को स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच की जाती है।
अब तक दूसरों की गाडिय़ां हायर कर पहुंचती थी टीमें
जिला में आरबीएसके की टीमों को गांवों व दूर दराज के क्षेत्रों का दौरा करना होता है। अब तक विभागीय तौर पर गाड़ी की सुविधा नहीं थी और इन टीमों अपने साधन या फिर दूसरी गाडिय़ों को हायर कर स्क्रीनिंग के लिए मौके पर पहुंचना होता था। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने आरबीएसके टीमों की इस समस्या को समझा और इनके लिए किराए पर गाड़ी हायर करने का निर्णय लिया। इसी निर्णय के तहत जींद स्वास्थ्य विभाग को भी 12 गाडिय़ां मिली हैं। गाडिय़ां जीपीएस से लैस होंगी तो वहीं गाडिय़ों को एक माह में कुल दो हजार किलोमीटर कम से कम चलना होगा। चालक हमेशा गाड़ी के साथ रहेगा। जैसे ही टीमें अपना काम खत्म कर वापस आएंगी तो चालक उन्हें वापस लेकर आएगा।
सिविल अस्पताल के डिप्टी सीएमओ डॉ. रमेश पांचाल ने बताया कि आरबीएसके की टीमें इन गाडिय़ों के माध्यम से आंगनबाड़ी व स्कूलों में पहुंचेंगी। जिससे बच्चों की अधिक से अधिक स्क्रीनिंग की जा सकेगी। इसके जांच में गंभीर बीमारी से ग्रस्त बच्चा मिलने पर उसे पैनल के अस्पतालों में भी इन्हीं गाडिय़ों से छोड़ा जा सकेगा। यह गाडिय़ां जीपीएस से लैस होंगी और कोई भी इनका दुरूपयोग नहीं कर सकेगा।