हरियाणा के रेवाड़ी जिले के पर्वतारोही नरेन्द्र ने 6 दिन के भीतर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह कर एक बार फिर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। नरेंद्र ने अपने इस एवरेस्ट अभियान का नाम (आजादी का अमृत महोत्सव फेस्टेस्ट एवरेस्ट अभियान-2022 ) रखा है।
नरेंद्र ने अभियान को 6 दिन में पूरा किया। नरेंद्र ने दुर्गम बर्फीली पहाड़ियों को पार करते हुए दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर राष्ट्रीय गीत गाकर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया। पर्वतारोही नरेन्द्र ने अपने इस अभियान को रेजांगला युद्ध के शहीदों को समर्पित किया।
7 महाद्वीप फतह करने का सपना
रेवाड़ी जिले के गांव नेहरूगढ़ निवासी आर्मी जवान कृष्णचंद के पुत्र नरेन्द्र का सपना दुनिया के सभी 7 महाद्वीप फतह कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में छाप छोड़ने का है। नरेन्द्र ने अब तक 5 महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह किया है। 2012 में पर्वतारोहण के बेसिक, 2013 में एडवांस, 2015 में एमओआई, 2022 में सर्च एंड रेस्क्यू के साथ सभी कोर्स पास किए।
20 मई 2016 को नेपाल के रास्ते माउंट एवरेस्ट फतेह किया। अब तक 5 महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटियों को फतह किया है, जिसमें माउंट एवरेस्ट, किलिमंजारो को दो बार, एलब्रुस को ट्रैवल्स में, कोजास्को व ऑस्ट्रेलिया की 10 सबसे ऊंची चोटियों को फतह किया व दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी एकंकागुआ को भी फतह किया है।
अब तक पर्वतारोहण के क्षेत्र में 18 विश्व रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। अब अगला लक्ष्य, उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी देनाली है। अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विंसन है, जिसके लिए तैयारी जारी है। नरेंद्र को विश्व की सभी वर्ल्ड रिकॉर्ड संस्थाओं वर्ल्ड किंग का सम्मान दिया है। राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार भी मिला है। पिछले वर्ष नरेंद्र को लॉस एंजिलिस डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट,लॉस एंजिलिस( यूनाइटेड स्टेट्स) की तरफ से डॉक्टर ऑफ मोटिवेशन की उपाधि से नवाजा गया था।
देशभक्ति का जज्बा
पर्वतारोही नरेन्द्र ने 15 अगस्त को यूरोप की एलब्रूस, साउथ अफ्रीका की किलिमांजारो पर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए राष्ट्रीय गीत गाकर तिरंगा लहराया। उन्होंने प्रत्येक पर्वत श्रृंखला पर तिरंगा लहराकर देश की शान बढ़ाई। पिछले दिनों नरेन्द्र ने गुरुग्राम से जयपुर व गुरुग्राम से देहरादून तक साइकिल यात्रा करके स्वच्छता का संदेश दिया। दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी एकंकागुआ को फतेह कर पुलवामा में शहीद हुए जवानों को समर्पित किया था।