महिला आरक्षण बिल कानून बना: देश में महिलाओं को पुरुषों के बराबर आने में 149 साल लगेंगे

 

देश की लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देने के बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी। इसी के साथ यह कानून बन गया। नारी शक्ति वंदन कानून 20 सितंबर को लोकसभा और 21 को राज्यसभा से पारित हुआ था।

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यह कानून बनने के बाद भी देश की महिलाओं को पुरुषों के बराबर आने में अभी 149 साल लगेंगे। जबकि, दुनिया में लैंगिक समानता में 131 साल लगेंगे। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 में ये अनुमान लगाया गया है। आधार यह है कि 2006 से 2023 के बीच लैंगिक समानता सिर्फ 4% सुधरकर 68% पर पहुंची है। इसी रफ्तार से बढ़े तो साल 2154 से पहले 100% तक पहुंचना मुश्किल है। चूंकि भारत में यह 64% पर है, ऐसे में यहां 18 साल ज्यादा लगेंगे।

अब इसकी वजह भी जान लेते हैं…

शिक्षा तक पहुंच: दुनिया की कुल निरक्षर आबादी में दो तिहाई महिलाएं हैं। 15-24 साल की 25% महिलाओं के पास प्राथमिक शिक्षा भी नहीं है।

कानूनी हक: दुनिया में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले 77% कानूनी हक ही मिले हैं। 15 से 64 साल की 240 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं, जहां उन्हें समान हक नहीं दिया जाता। वर्ल्ड बैंक की रिसर्च के अनुसार, 100 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को घरेलू हिंसा के खिलाफ कानूनी सुरक्षा प्राप्त नहीं है।

खुद फैसले में बंदिश: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबि​क, 20 करोड़ से ​अधिक महि​लाएं गर्भ धारण करने का फैसला लेने को आजाद नहीं। इसीलिए, 40% प्रेग्नेंसी बिना प्लानिंग हो रहीं, जिनमें 50% में गर्भपात की नौबत आती है और 38% को मां बनना पड़ता है।

वेतन में असमानता: 146 में से 57 देश ऐसे हैं, जहां महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं। इसके बाद भी पुरुषों की औसत आमदनी महिलाओं के मुकाबले 39% ज्यादा है।

इस समस्या का हल क्या?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक, अगर खान-पान, स्वास्थ्य, शिक्षा और उम्दा चाइल्ड केयर स्कीम लागू की जाएं तो महिलाएं जल्द पुरुषों के बराबर आ सकती हैं। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 के मुताबिक, ​महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले आर्थिक समानता पाने में 169 साल और राजनीतिक स्तर पर बराबरी में 162 साल लग सकते हैं।

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  • फूड एंड एग्रीकल्चर संगठनों का अनुमान है कि महिला किसानों को पुरुषों जैसे संसाधन देने चाहिए। इससे पैदावार 20-30% बढ़ सकती है।
  • दुनिया में स्कूल न जाने वाली 13 करोड़ लड़कियों के लिए विशेष प्रोग्राम चलें। क्योंकि, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि पढ़ी-लिखी महिलाओं की न केवल सेहत अच्छी रहती है, बल्कि वे अपेक्षाकृत ज्यादा कमाती भी हैं।
  • 15-19 साल की करीब डेढ़ करोड़ लड़कियां कभी न कभी दुष्कर्म झेल चुकी हैं। मानव तस्करी के 71% मामलों में लड़कियां पीड़ि​त हैं, ऐसे में इनकी सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनें।
  • दुनिया में हर साल करीब 1.2 करोड़ लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में की जा रही है, इन पर रोक हो।
  • 133 देशों की लोकल बॉडीज में सिर्फ 36% महिलाएं हैं, इसे बढ़ाएं।
  • वर्कफोर्स में महिलाओं की 37% की हिस्सेदारी के साथ हम 139वें पर हैं।
  • एकसमान काम के लिए एक जैसा दाम देने के मामले में हम 116वें नंबर पर हैं।
  • महिला-पुरुष की अनुमानित आय में बड़ा अंतर, इसलिए हम 141वें पर हैं।
  • मैनेजर लेवल पर कार्यरत महिलाएं हमारे यहां कम हैं, इसलिए 124वें पर हैं।
  • साक्षरता दर और प्राइमरी शिक्षा के मामले में हम 25 अन्य देशों के साथ संयुक्त रूप से पहले नंबर पर हैं।
  • जन्म के समय लिंगानुपात में 140वें और सेहतमंद जीवन जीने में 137वीं रैंक पर हैं।
  • संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी के मामले में देश 117वें नंबर पर है।
  • महिला मंत्रियों के अनुपात में हम 146 देशों की सूची में 132वें स्थान पर आते हैं।
  • देश की सिर्फ 17% कंपनियों के बोर्ड में महिलाएं हैं। 2% कंपनियां ही ऐसी हैं, जहां मालिक महिलाएं हैं।

 

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