पुणे ISIS मॉड्यूल केस, सातों आरोपी हाईली एजुकेटेड थे: NIA की चार्जशीट में खुलासा- ऊंची कंपनियों में थे, IED बनाने कोडवर्ड में बात करते थे

 

एनआईए के मुताबिक, आरोपी आईईडी बनाने के लिए आसानी से मिलने वाली चीजें जैसे वॉशिंग मशीन टाइमर, थर्मामीटर, स्पीकर वायर, 12 वॉट का बल्ब का भी इस्तेमाल करते थे। (फाइल फोटो)

पुणे ISIS मॉड्यूल केस में नया खुलासा हुआ है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 6 नवंबर को 7 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। 12 नवंबर को खुलासा हुआ कि सातों आरोपी काफी पढ़े-लिखे थे।

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ये लोग अच्छी कंपनियों में काम करते थे और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) बनाने के लिए कोडवर्ड में बात करते थे। NIA ने कोर्ट में 4 हजार पेज की चार्जशीट दायर की है।

सल्फ्यूरिक एसिड को सिरका बोलते थे
चार्जशीट में कहा गया है कि आरोपी सल्फ्यूरिक एसिड के लिए सिरका (विनेगर), हाइड्रोजन परॉक्साइड के लिए शरबत और एसीटोन के लिए गुलाब जल जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते थे। सल्फ्यूरिक एसिड, एसीटोन और हाइड्रोजन परॉक्साइड का इस्तेमाल आईईडी बनाने में होता है।

इसके अलावा आरोपी आईईडी बनाने के लिए आसानी से मिलने वाली चीजें जैसे वॉशिंग मशीन टाइमर, थर्मामीटर, स्पीकर वायर, 12 वॉट का बल्ब, 9 वॉट की बैटरी, फिल्टर पेपर, माचिस की तीलियां और बेकिंग सोडा का भी इस्तेमाल करते थे।

आरोपियों ने आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए महाराष्ट्र, गोवा, केरल और कर्नाटक में रेकी की थी। उन्होंने फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के लिए एक ड्रोन का भी इस्तेमाल किया, जिसे एजेंसी ने जब्त कर लिया है।

क्या है पुणे ISIS मॉड्यूल केस?
इस साल 18 जुलाई को पुणे में टू-व्हीलर चुराने के मामले में पुणे पुलिस ने शाहनवाज और मध्यप्रदेश के दो लोगों- मोहम्मद इमरान खान और मोहम्मद साकी को गिरफ्तार किया था। जब पुलिस पूछताछ के लिए उन्हें उनके ठिकाने पर ले जा रही थी तो शाहनवाज पुलिस की गाड़ी से कूदकर फरार हो गया।

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मोहम्मद इमरान खान और मोहम्मद साकी से पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि दोनों सुफा टेररिस्ट गैंग का हिस्सा हैं। अप्रैल 2022 में राजस्थान में एक कार में विस्फोटक मिलने के मामले में वहां की पुलिस उन्हें ढूंढ रही है।

तब पुलिस ने इस मामले को पुणे ISIS मॉड्यूल केस नाम दिया। इस केस में पुलिस ने तीन और आतंकियों को मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में रखा था। इनके नाम हैं- पुणे का तल्हा लियाकत खान और दिल्ली का रिजवान अब्दुल हाजी अली और अब्दुल्ला फैयाज शेख।

कोथरुड पुलिस स्टेशन में तैनात कॉन्स्टेबल प्रदीप चव्हाण (बाएं) और अमोल नाजन (दाएं)। इन्हीं दोनों की वजह से ISIS के मॉड्यूल को पकड़ा जा सका।

कोथरुड पुलिस स्टेशन में तैनात कॉन्स्टेबल प्रदीप चव्हाण (बाएं) और अमोल नाजन (दाएं)। इन्हीं दोनों की वजह से ISIS के मॉड्यूल को पकड़ा जा सका।

दिल्ली पुलिस ने आतंकी शाहनवाज को 2 अक्टूबर को पकड़ा
स्पेशल सीपी हरगोविंद सिंह धालीवाल ने बताया कि 2 अक्टूबर की सुबह शाहनवाज को जैतपुर से पकड़ा गया था। उसके पास से केमिकल पदार्थ और IED बनाने में इस्तेमाल होने वाला मटेरियल मिला था। शाहनवाज की पत्नी पहले हिंदू थी। उसका धर्म बदलवाकर इस्लाम कुबूल करवाया गया, उसने अपना नाम मरियम रख लिया। वह भी पति का साथ दे रही थी। फिलहाल शाहनवाज की पत्नी और बहन दोनों अंडरग्राउंड हैं। उनकी तलाश जारी है।

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शाहनवाज पुणे पुलिस की कस्टडी से फरार हो गया था और फिलहाल दिल्ली में रह रहा था। उसके ऊपर 3 लाख रुपए का इनाम था।

शाहनवाज पुणे पुलिस की कस्टडी से फरार हो गया था और फिलहाल दिल्ली में रह रहा था। उसके ऊपर 3 लाख रुपए का इनाम था।

इस केस का मास्टरमाइंड और फाइनेंसर IT इंजीनियर
NIA का कहना है कि इमरान, यूनुस और शाहनवाज के लिंक पुणे की IT फर्म में काम करने वाले इंजीनियर जुल्फिकार अली बोर्डवाला से हैं। जुल्फिकार को ISIS से जुड़े एक केस में 3 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। वो मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद है।

NIA के एक अधिकारी ने भास्कर को बताया कि जुल्फिकार ही इस केस का मास्टरमाइंड और फाइनेंसर है। उसने इमरान, यूनुस और शाहनवाज को ट्रेनिंग दिलवाई और पैसे भिजवाए थे। इमरान तक पैसे पहुंचाने वाला कदीर दस्तगीर पठान को पुलिस ने गिरफ्तार किया।

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गरीब नौजवानों को ISIS में शामिल करा रहा था डॉक्टर अदनान
चारों से हुई पूछताछ में NIA को डॉ. अदनान का नाम मिला। NIA ने उसके फ्लैट पर छापा मारा तो ISIS से जुड़े डॉक्यूमेंट मिले। NIA ने अदनान के सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जब्त कर लिए। सेंट्रल जांच एजेंसी से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि अदनान के पास मिले डॉक्यूमेंट से पता चला कि उसका संबंध ISIS से है। इसमें गरीब नौजवानों को आतंकी संगठन से जोड़ने की डिटेल भी है।

इसके अलावा 4 आरोपियों से यहूदी कम्युनिटी सेंटर की फोटो मिली है। इससे साफ हो गया कि ISIS के निशाने पर भारत ही नहीं, इजराइल के लोग भी हैं। इसके बाद मुंबई पुलिस ने कोलाबा में चाबड़ हाउस की सिक्योरिटी बढ़ा दी। 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले के दौरान चाबड़ हाउस पर भी अटैक हुआ था।

अदनान समेत पांचों आरोपियों से पूछताछ के बाद NIA आकिफ अतीक नाचन तक पहुंची। वो IED की टेस्टिंग में माहिर है। उसने ही इमरान और मोहम्मद यूनुस को छिपाया था। आकिफ को मुंबई के बोरीवली, ठाणे और भिवंडी में हुई रेड के बाद अरेस्ट किया गया।

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ड्रोन के जरिए एरियल ब्लास्ट करना चाहते थे आतंकी…
महाराष्ट्र ATS के एक अधिकारी ने बताया कि पकड़े गए आतंकियों से 500 GB मेमोरी वाली पेन ड्राइव मिली है। इनका डिलीट डेटा रिकवर कर रहे हैं। पूछताछ में पता चला है कि उन्हें अटैक के अलग-अलग तरीकों की ट्रेनिंग दी गई थी। बम ब्लास्ट का ट्रायल पुणे, कोल्हापुर और सतारा के जंगलों में किया गया था। जंगल में ये टेंट में रहते थे। ये ड्रोन के जरिए एरियल ब्लास्ट की टेक्नीक सीख रहे थे।

अधिकारी के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों में से एक मोहम्मद इमरान ग्राफिक्स डिजाइनर है। NIA ने उस पर 5 लाख का इनाम रखा था। ये केस राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में दर्ज है। इमरान और उसके दोनों साथियों के खिलाफ कोथरुड पुलिस स्टेशन में चोरी, जालसाजी, इंडियन आर्म्स एक्ट और महाराष्ट्र पुलिस एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। बाद में सभी पर UAPA के तहत केस दर्ज किया गया।

अधिकारी ने बताया कि आरोपियों से बरामद सामान और उनकी ट्रेनिंग बताती है कि ये जल्द ही बड़ा हमला करने की फिराक में थे।

कोंडवा के फ्लैट में ली IED बनाने की ट्रेनिंग
NIA ने कोर्ट में दी रिमांड एप्लिकेशन में कहा कि आरोपियों ने ISIS की आतंकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने की साजिश रची थी। ये देश में ISIS का महाराष्ट्र मॉड्यूल तैयार कर रहे थे। NIA के एक अधिकारी ने बताया कि आकिफ अतीक नाचन ने IED बनाने में इस्तेमाल होने वाला सामान खरीदा था। वो इमरान और यूनुस के कोंडवा वाले फ्लैट में कई दिन रहा और उन्हें ट्रेनिंग देता था। उसने 2022 में बम बनाने की ट्रेनिंग दी थी। इसमें डेमो IED भी बनाकर दिखाई गई।

अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के अलावा इस ट्रेनिंग में कुछ और लोग शामिल हुए थे। उनकी तलाश जारी है। ये सभी ISIS के इशारे पर काम कर रहे थे।

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नाचन के घर मिले डॉक्यूमेंट में मिले ट्रेनिंग के सबूत
NIA के अधिकारी ने बताया कि आकिफ अतीक नाचन का घर ठाणे के पडगा में है। घर से कई मोबाइल फोन, कुछ हार्ड डिस्क और हाथ से लिखे डॉक्यूमेंट मिले हैं। सभी की जांच करवाई जा रही है। इनमें IED ट्रेनिंग के भी कुछ डॉक्यूमेंट हैं।

इन आरोपियों की गिरफ्तारी से साफ है कि ISIS भारत में मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। सभी आरोपी कोंडवा इलाके से हैं। 5 लाख की आबादी वाला कोंडवा 2008 से पहले प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी और इंडियन मुजाहिदीन का गढ़ था। यहां 300 से ज्यादा आतंकियों के एक्टिव रहने की जानकारी मिली थी।

2010 में पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 2 आतंकी कोंडवा से गिरफ्तार किए गए थे। वे बेंगलुरु में इंडियन साइंस इंस्टिट्यूट पर हमला करने की साजिश रच रहे थे। 2014 में NIA ने एक शख्स को गिरफ्तार किया था। 2022 में NIA ने 5 लोगों को अरेस्ट किया, जो ISIS मॉड्यूल से जुड़े थे।

 

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