नई दिल्ली,। आम जनता के लिए महंगाई के मोर्चे पर बहुत बुरी खबर आई है। भारत में खुदरा मुद्रास्फीति (खुदरा महंगाई दर) अप्रैल के महीने में वार्षिक आधार पर बढ़ कर 7.79 फीसदी हो गई। ये बढ़ोतरी खाद्य तेल और ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई है। ये आंकड़े आज सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए हैं। बता दें कि मई 2014 में 8.33 फीसदी के बाद से खुदरा मुद्रास्फीति अब उच्चतम स्तर पर है। यानी मोदी सरकार में खुदरा महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है। वहीं फरवरी के मुकाबले मार्च में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में सुधार हुआ है।
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अनुमान से अधिक बढ़ी खुदरा महंगाई
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार विश्लेषकों ने सीपीआई मुद्रास्फीति के लगभग 7.5 फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद की थी, जो मार्च के महीने में 6.95 फीसदी और अप्रैल 2021 में 4.23 फीसदी थी। इसके साथ ही लगातार चौथा महीने खुदरा मुद्रास्फीति अब भारतीय रिज़र्व बैंक के 6 फीसदी ऊपरी टोलरेंस स्तर से अधिक बनी हुई है।
ग्रामीण और शहरी महंगाई दर
मार्च में 7.66 फीसदी और अप्रैल 2021 में 3.75 फीसदी की तुलना में अप्रैल में ग्रामीण मुद्रास्फीति बढ़ कर 8.38 फीसदी हो गई, जबकि शहरी मुद्रास्फीति मार्च में 6.12 फीसदी और अप्रैल 2021 में 4.71 फीसदी की तुलना में अप्रैल में 7.09 फीसदी थी। इस बीच अप्रैल में ओवरऑल खाद्य मुद्रास्फीति 8.38 फीसदी रही, जो पिछले महीने में 7.68 फीसदी और अप्रैल 2021 में 1.96 फीसदी थी।
आईआईपी के आंकड़े
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक, जो देश में कारखाना उत्पादन को मापता है, मार्च में 1.9 प्रतिशत बढ़ा, जो फरवरी में संशोधित 1.5 प्रतिशत से थोड़ा अधिक था। कोर सेक्टर जो आईआईपी इंडेक्स का लगभग 40 फीसदी है, मार्च में धीमा होकर 4.3 फीसदी पर आ गया। पूरे वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आईआईपी में 11.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वित्त वर्ष में फैक्ट्री उत्पादन में 8 प्रतिशत से अधिक की कमी आई थी। मार्च में मैन्युफैक्चरिंग सिर्फ 0.9 फीसदी बढ़ी, जबकि बिजली और खनन में क्रमश: 6.1 फीसदी और 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। अर्थव्यवस्था में निवेश का एक प्रमुख संकेतक पूंजीगत वस्तु क्षेत्र है, जो मार्च में 0.7 प्रतिशत तक धीमा हो गया।