मांगों को लेकर मार्किट कमेटी कार्यालय पर दिया धरना, सचिव को सौंपा ज्ञापन
एस• के• मित्तल
सफीदों, धान की झराई का सही रेट दिलवाने की मांग को लेकर मजदूरों ने मंगलवार को सफीदों मंडी में हड़ताल कर दी। इस हड़ताल के कारण मंडी का कार्य प्रभावित हो गया। झरावों की मांग थी कि धान की झराई का सरकारी रेट अधिक है लेकिन आढ़तियों के द्वारा उन्हे रेट कम दिया जा रहा है। मंगलवार को मजदूर सहीं रेट की मांग को लेकर सुबह ही काम छोड़कर हड़ताल पर चले गए और मार्किट कमेटी कार्यालय के बाहर धरना दे दिया। उसके बाद झरावों ने मांगों का एक ज्ञापन मार्किट कमेटी को सौंपा।
सफीदों, धान की झराई का सही रेट दिलवाने की मांग को लेकर मजदूरों ने मंगलवार को सफीदों मंडी में हड़ताल कर दी। इस हड़ताल के कारण मंडी का कार्य प्रभावित हो गया। झरावों की मांग थी कि धान की झराई का सरकारी रेट अधिक है लेकिन आढ़तियों के द्वारा उन्हे रेट कम दिया जा रहा है। मंगलवार को मजदूर सहीं रेट की मांग को लेकर सुबह ही काम छोड़कर हड़ताल पर चले गए और मार्किट कमेटी कार्यालय के बाहर धरना दे दिया। उसके बाद झरावों ने मांगों का एक ज्ञापन मार्किट कमेटी को सौंपा।
मजदूरों के प्रधान सुरेंद्र, नरेश, धारी, मनजीत, सुभाष व संतोष इत्यादि का कहना था कि वे पिछले 20-30 सालों से सफीदों मंडी में झराई का कार्य करते हैं लेकिन आढ़तियों के द्वारा उनके साथ लंबे समय से शोषण किया जा रहा है। सरकार के द्वारा धान की झराई का रेट 4.80 रूपए प्रति बोरी है लेकिन आढ़तियों के द्वारा उन्हे मात्र एक रूपया प्रति बोरी के हिसाब से मजदूरी दी जा रही है। इसके साथ-साथ आढ़ती एक ढेरी को कई-कई बार उनसे साफ करवाते है और मजदूरी एक बार ही मात्र एक रूपया प्रति बोरी के हिसाब से दी जाती है।
उनका कहना था कि वे बेहद गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते है और ना उनके पास जमीन है और ना ही जायदाद है तथा मेहनत-मजदूरी करके अपने परिवारों का पालन-पोषण करते हैं। आढ़तियों के द्वारा उनकी मजदूरी भी समय पर नहीं दी जाती। पूरा सीजन खत्म होने के बाद औने-पौने रेटों व बोरियों की गिनती में भी फर्क डालकर उनका हिसाब किया जाता है। मंडी में फसल लाया हुआ किसान तुलाई के दौरान ढेरी को इक_ा करने के नाम पर उन्हे कुछ धान देते है और उसी को बेचकर अपने परिवार का खर्चा निकाल रहे है।
अब तो आढ़तियों ने उन कुछ किलों दानों को भी मंडी से बाहर निकालने से मना कर दिया है और उनके ऊपर बार-बार चोरी का आरोप लगाया जाता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि फसल झराई की सरकार के द्वारा निर्धारित जो दर है उसी के हिसाब से उन्हे मजूदरी मिलनी चाहिए अन्यथा उनकी हड़ताल अनिश्चितकालीन रूप ले लेगी।