जुलाना के किसान अजय कुमार व रोजला गांव के पुनित नेहरा कर रहे ड्रेगन फल की खेती

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बागवानी की लाभकारी फसलों के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को विभिन्न फसलों पर दिया जा रहा विशेष अनुदान

फसल विविधीकरण कर ड्रैगन फ्रूट की बागवानी की तरफ किसानों का बढा रूझान

 

एस• के • मित्तल
जींद, उपायुक्त डॉ मनोज कुमार ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट के गुणकारी लाभों के चलते बाजार में इसकी मांग में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। ड्रैगन फ्रूट रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी, आयरन, कैल्शियम, फाइबर आदि प्रचूर मात्रा में मौजूद होता है। इसके साथ ही ड्रैगन फ्रूट शुगर लेवल को नियंत्रित करने में भी काफी सहायक है।

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विदेशी फल होने व भारत में इसकी खेती की सही जानकारी के अभाव में यह बाजार में अधिक मात्रा में उपलब्ध नहीं होता। जबकि बाजार में इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। किसान फसल विविधीकरण के तहत इसकी खेती को अपनाकर बाजार से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने बताया कि किसानों को मिलने वाली अनुदान राशि दो भागों में विभाजित की गई है, जिसमें 50 हजार रुपये पौधारोपण के लिए व 70 हजार रुपये जाल प्रणाली के लिए दिए जाएंगे। एक किसान अधिकतम 10 एकड़ की भूमि पर अनुदान का लाभ ले सकता है। वहीं अनुदान का लाभ लेने के इच्छुक किसान का मेरी फसल – मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकृत होना अनिवार्य है। अनुदान योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसान विभाग के पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। जिला उद्यान अधिकारी डॉ• विजय पानू ने बताया कि बताया कि जिला के जुलाना क्षेत्र के अजय कुमार नामक किसान इस ड्रेगन फ्रूट से अच्छी खासी पैदावार कर खूब मुनाफा कमा रहे है। उधर किसान अजय कुमार का कहना है कि मैने एक एकड़ में लगभग पांच सौ पोल लगाकर पौधे लगाए थे,

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एक पोल के साथ चार पौधे लग जाते है, जिसमें एक पौधे पर लगभग 10 किलोग्राम फल लग जाता है,इस फल का भाव बाजार में 300 रूपए किलोग्राम तक मिलता है। इसी प्रकार रोजला गांव के किसान पुनित नेहरा ने मार्च माह में तीन एकड में ड्रेगन फल का पौधा रोपण किया है, जो अगले साल पूर्ण रूप से विकसित होकर फल लगने लग जाएगें।
ड्रैगन फ्रूट की कैसे करें रोपाई:
ड्रैगन फ्रुट की खेती के लिए मूल रूप से दो तरीके हैं. पहला ड्रैगन को सीधे चाकू से काटकर दो भागों में बांटकर उसके अंदर से काले बीज निकाल कर खेती के लिए उसका उपयोग कर सकते हैं. पर इससे पौधे उगाने में समय लगता है इसलिए कमर्शियल खेती के लिए यह उचित नहीं है. दूसरा तरीका है इसके कटिंग को खेत में लगाना. ड्रैगन फ्रूट की रोपाई से दो दिन पहले मदर ड्रैगन पौधों को 20 सेमी की लंबाई में काट लें और लगाने से पहले इस कटिंग पीस को सूखे गोबर, ऊपरी मिट्टी और रेत के मिश्रण के साथ 1:1:2 के अनुपात में एक बर्तन में रखें। इन कटे हुए टुकड़ों को धूप से बचाएं। प्रत्येक पौधे को उनके बीच 2 बाई 2 मीटर की जगह रखें और 60 बाई 60 सेमी, बाई 60 सेमी आकार के गड्ढे में लगाएं, साथ ही इस गड्ढे को 100 ग्राम सुपर फास्फेट खाद से भर दें. 1 एकड़ भूमि में लगभग 1700 ड्रैगन फ्रूट के पौधे हैं. पौधे के समुचित विकास और विकास के लिए कंक्रीट या लकड़ी के स्तंभों का सहारा लें।

ड्रैगन फ्रूट की खेती के उर्वरक:
ड्रैगन फ्रूट के प्रत्येक पौधे को अच्छी तरह से विकसित होने के लिए 10 से 15 किलोग्राम जैविक खाद या जैविक खाद की आवश्यकता होती है। ड्रैगन फ्रूट की खेती में पौधे के बेहतर विस्तार और विकास के लिए जैविक खाद या उर्वरक मुख्य भूमिका निभा सकते हैं। ड्रैगन फ्रुट की अधिक उपज प्राप्त करने के लिए फल देने वाले चरण में पौधे पर अधिक मात्रा में पोटाश और कम मात्रा में नाइट्रोजन का प्रयोग करना चाहिए।

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ड्रैगन फ्रूट की खेती की सिंचाई:
ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर इरिगेशन,माईक्रो जेट और बेसिन इरिगेशन जैसी नवीनतम तकनीक में कई सिंचाई प्रणालियाँ उपलब्ध हैं लेकिन ड्रैगन फ्रूट प्लांट को अन्य फलों की खेती की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है। ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाने के एक साल बाद फल लगने शुरू हो जाते हैं। फूल आने के एक महीने बाद, ड्रैगन फ्रूट कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. अपरिपक्व ड्रैगन फ्रूट में चमकीले हरे रंग की त्वचा होती है। कुछ दिनों बाद फलों का छिलका गहरे हरे से लाल रंग का हो जाता है। ड्रैगन फ्रूट की कटाई का बेहतर समय फल के त्वचा का रंग बदलने के 3 से 4 दिन बाद होता है। स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन ड्रैगन फलों की बहुत मांग है तो, आप इस ड्रैगन फ्रूट की खेती से अच्छी कमाई कर सकते है।

 

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