हरियाणा के जींद में गुरुवार को मनरेगा मजदूरों ने मांगों को लेकर प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बाद में मांगों को लेकर नगराधीश अमित कुमार को ज्ञापन सौंपा। आरोप लगाए कि केंद्र सरकार रोजगार गारंटी कानून को खत्म करने पर तूली है।
मनरेगा को खत्म करने का प्रयास
मनरेगा श्रमिक यूनियन के जिला प्रधान राजेश कुमार ने कहा कि मनरेगा मजदूरों को न तो काम मिल रहा है और जो काम वो कर रहे हैं, उसका मेहनताना भी समय पर नहीं मिल रहा है। मनरेगा कानून के तहत ग्रामीण परिवार को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी देता है। अगर काम मांगने पर काम न मिले तो सरकार या उसके अधिकारियों द्वारा बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का नियम है। मौजूदा भाजपा सरकार लगातार इस कानून को खत्म करने पर लगी हुई है।
बजट में कटौती की गई
कोरोना महामारी के चलते तमाम तरह के काम, धंधे बुरी तरह चौपट होने के कारण करीब 15 करोड़ लोग और नए बेरोजगार हो गए थे, ऐसे हालात में जरूरत तो मनरेगा में मजदूरी व दिन बढ़ाने की थी लेकिन केंद्र सरकार ने मनरेगा में बजट कटौती करके जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। केंद्र सरकार हर रोज नए-नए फरमान जारी करके मजदूरों कक अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
जींद में मांगों को लेकर प्रदर्शन करते मनरेगा मजदूर।
महंगाई ने किया परेशान
प्रदर्शन के दौरान कहा गया कि डीजल, पेट्रोलए रसोई गैस के रेट लगातार बढ़ाए जाने से महंगाई आसमान छू रही है जिसके चलते गरीब आदमी का जीवन काफी कष्ट मय हो गया है। उन्होंने मांग की कि सभी गांवों में मनरेगा के तहत काम शुरू करवाया जाए। मनरेगा मेट की समस्याओं का समाधान करवाया जाए। गांव में पीने के पानी का प्रबंध और गंदे पानी की निकासी की जाए। सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के खाली पदों को भरा जाए।
इन मांगों को माने सरकार
जरूरतमंद परिवारों के लिए डिपो से राशन का प्रबंध किया जाए। जरूरतमंद परिवारों के आवास का प्रबंध किया जाए। पांच किलोमीटर दूर जाने पर किराया भत्ता दिया जाए। मनरेगा की रुकी हुई मजदूरी दिलाई जाए। करोना कॉल के दौरान बनवाए गए आइसोलेशन केंद्रों पर किए गए काम की मजदूरी जारी करवाई जाए। काम के दौरान दुर्घटनाग्रस्त मनरेगा मजदूरों के इलाज का प्रबंध किया जाए। नए जॉब कार्ड बनवाए जाएं और रिकार्ड में दर्ज त्रुटियों को ठीक किया जाएं। मस्टरोल के अनुसार पूरे दिन का काम दिया जाए।