चंडीगढ़ की मेयर के रूप में भाजपा नेता सर्बजीत कौर के चुनाव को चुनौती देती इलेक्शन याचिका अभी तक हाईकोर्ट में लंबित है। जनवरी महीने में आम आदमी पार्टी (AAP) ने यह याचिका दायर की थी। अभी तक केस की सुनवाई किसी अहम नतीजे पर नहीं पहुंची है। ऐसे में मामले में जल्द फैसला आता नजर नहीं आ रहा है।
दिसंबर में मेयर सर्बजीत कौर का कार्यकाल पूरा हो जा रहा है। ऐसे में यह याचिका इंफ्रक्चुअस (निरस्त) हो होने की संभावना है। मामले में अंतिम सुनवाई 28 सितंबर को हुई थी और दोनों पक्षों के वकील की मांग पर हाईकोर्ट ने सुनवाई 31 अक्तूबर के लिए स्थगित कर दी थी। इससे पहले बीती 4 अगस्त को सुनवाई पर प्रतिवादी पक्ष में से एक ने लिखित जवाब पेश किया था।
चंडीगढ़ AAP के संयोजक प्रेम गर्ग।
वहीं, दायर याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर सवाल खड़े किए थे। इसके बाद मामला 18 अगस्त के लिए स्थगित हुआ था। कोर्ट ने कहा था कि उन्हें इस मुद्दे पर सहयोग करें कि नगर निगम चंडीगढ़ के वोट्स की काउटिंग के दौरान यदि एक वोट एक तरफ से फटा हो तो क्या वह चंडीगढ़ म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (प्रोसिजर एंड कंडक्ट ऑफ बिजनेस) रेग्युलेशन, 1996 के सब-क्लॉज 10 के नियम 6 के तहत एक मार्क माना जाएगा?
हाईकोर्ट जस्टिस ऋतु बाहरी की बैंच ने केस की सुनवाई 18 अगस्त के लिए स्थगित करते हुए स्पष्ट किया था कि केस में आगामी एडजर्नमेंट नहीं दी जाएगी। हाईकोर्ट में मेयर समेत सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के इलेक्शन को भी चुनौती दी गई है।
बता दें कि इसी वर्ष जनवरी में मेयर बनने पर हाउस में शहर की सांसद किरण खेर की मौजूदगी में भारी हंगामा हुआ था। बड़ी मुश्किल से सर्बजीत कौर को मेयर की कुर्सी पर बिठाया जा सका था। उस समय हाउस में सबसे ज्यादा वोट होने के बावजूद AAP अपना मेयर नहीं बना पाई थी। इलैक्शन से जुड़े अफसरों पर AAP ने भाजपा को जीताने के लिए गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए थे।
पिटीशन के निरस्त होने की संभावना: गर्ग
चंडीगढ़ आप संयोजक प्रेम गर्ग का कहना है कि इलेक्शन पिटीशन लंबे समय से लंबित होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसका जल्द ही निपटारा होना चाहिए था। ऐसा लगता है कि याचिका पर वर्ष के अंत तक फैसला नहीं आएगा और यह निरस्त हो जाएगी। मामले की तेजी से सुनवाई होनी चाहिए थी। बता दें कि द रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट, 1951 की धारा 86 इलेक्शन पिटीशन के ट्रायल के बारे में कहती है। इसके पॉइंट 7 में कहा गया है कि हर इलेक्शन पिटीशन पर जितनी जल्द हो सके उतनी तेजी से सुनवाई करनी चाहिए। इसका 6 महीने में निपटारा करने का प्रयास होना चाहिए।
AAP पार्षद अंजू कत्याल, प्रेम लता तथा राम चंद्र यादव ने पिटीशन हाईकोर्ट में दायर की थी। इसमें भाजपा की मेयर सर्बजीत कौर समेत सीनियर डिप्टी मेयर दिलिप शर्मा और डिप्टी मेयर अनूप गुप्ता के चुनाव को रद्द करने की मांग की गई थी। इस चुनाव रिजल्ट को गैरकानूनी करार देने की मांग करते हुए नगर निगम के स्टेट इलैक्शन कमिश्नर तथा अन्य प्रतिवादी पक्षों को पुनः ताजा चुनाव करवाने के आदेश जारी करने की मांग की गई थी। बीते 18 जनवरी को यह इलेक्शन पिटीशन हाईकोर्ट में दायर की गई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने 4 फरवरी को मामले में जवाबदेह पक्षों को नोटिस जारी किया था।
भाजपा की सर्बजीत कौर के मेयर चुने जाने पर इस तरह उन्हें बधाई दी गई थी।
अफसर राजनीतिक दबाव में आए: आप
अंजू कत्याल AAP की तरफ से मेयर पद की उम्मीदवार थी। उनके अलावा प्रेम लता सीनियर डिप्टी मेयर और राम चंद्र यादव डिप्टी मेयर पद के उम्मीदवार थे। मामले में प्रिसक्राइब्ड अथॉरिटी कम डिप्टी कमिश्नर कम डिवीजनल कमिश्नर, चंडीगढ़ नगर निगम व अन्यों का पार्टी बनाया गया था। आरोप के मुताबिक भाजपा के दबाव में इसके कैंडिडेट्स को विजयी बनाने के लिए चुनाव से जुड़े अधिकारियों ने गलत हथकंडे अपनाए। बीते 8 जनवरी को हुए मेयर चुनाव में गैरकानूनी ढंग से भाजपा पार्षदों को विजयी घोषित किया गया।
AAP ने कहा कि दिसंबर, 2021 में हुए निगम चुनावों में आप 14 सीटें लेकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में आई थी। हालांकि मेयर चुनाव के दौरान हुई धांधली के चलते कम वोटों के बावजूद भाजपा के कैंडिडेट्स को मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुन लिया गया।
भाजपा को जीताने के लिए इस तरह की काउंटिंग: AAP
AAP के मुताबिक 8 जनवरी को मेयर चुनाव में वोटों की गिनती के दौरान एक बैलट स्लिप नीचे से फटी हुई पाई गई थी। इसका तुरंत AAP पार्षदों ने प्रिसाइडिंग अफसर के समक्ष विरोध किया जो भाजपा का पार्षद था। कुल 8 वोटों को बैलट स्लिप में त्रुटि बता कर इन्हें काउंटिंग से हटा दिया गया। पार्षद अंजू कत्याल स्पष्ट रूप से 2 वोटों के अंतर से जीत गई थी। उनके 11 तथा भाजपा के 9 वोट आए थे। सारी चुनावी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी हुई थी। इसके तहत प्रिस्क्राइब्ड अथॉरिटी ने शुरू में 20 वैध वोटों को शामिल किया और बाकी एक तरफ रख दिए थे।
आरोप के मुताबिक बाद में प्रिसाइडिंग अथॉरिटी और प्रिजाइडिंग अफसर ने एक ट्रिक चलते हुए तानाशाही तरीके से उन 8 वोटों पर भी दोबारा विचार करने की बात कही जो पहले से ही कैंसिल हो चुके थे। प्रिजाइडिंग अफसर फटी हुई वोटर स्लिप को भी भाजपा के हक में काउंट करने के लिए तैयार दिखा। बाद में भाजपा की सर्बजीत कौर और AAP की अंजू कत्याल के बीच 14-14 वोटों से टाई हो गया।
इसके बाद प्रिजाइडिंग अफसर ने एक AAP के हक में हुई एक बैलट स्लिप के पीछे एक निशान होने की बात कही और बिना दिखाए उसे रद्द कर दिया। ऐसे में 14/13 के अंतर से भाजपा की सर्बजीत कौर को मेयर बना दिया गया। इसके बाद सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव हुए थे। उनमें भी भाजपा जीती थी।
चंडीगढ़ MC के डिप्टी मेयर अनूप गुप्ता।
कांग्रेस ने भी अनूप गुप्ता के चुनाव को चुनौती दी थी
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजीव कुमार मोदगिल ने डिप्टी कमिश्नर के समक्ष भाजपा के डिप्टी मेयर अनूप गुप्ता के खिलाफ इलेक्शन पिटीशन दायर की थी। उन पर निगम के दौरान रिटर्निंग अफसर के समक्ष झूठा हलफनामा दायर करने के आरोप लगाए थे। ऐसे में वार्ड नंबर 11 से उनका चुनाव रद्द किया जाए। कहा गया था कि गुप्ता 2007 में बार काउंसिल ऑफ पंजाब एवं हरियाणा में वकील के रूप में नामांकित हुए थे।
बार काउंसिल के नियमों के तहत उन्होंने एफिडेविट दिया था कि वह व्यवसायिक रूप से किसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। इसके बाद निगम चुनावों में 3 दिसंबर, 2021 को दिए एफिडेविट में उन्होंने कहा कि वह पेशे से बिजनेसमैन हैं और अपनी इनकम की जानकारी भी दी थी। वहीं अनूप गुप्ता आरोपों को निराधार बता चुके हैं।