खाद को लेकर मंत्रालय ने बरती सख्ती: सख्ती के बाद किसानों को मिली राहत, 1350 रुपए के बैग पर विक्रेताओं ने किसानों पर थोपी 1 हजार की कीटनाशक दवा

प्रदेश भर में गेहूं उत्पादक किसानों को यूरिया के साथ कीटनाशक दवाई देने वाले विक्रेताओं के खिलाफ मंत्रालय ने अब सख्ती बरती है। बेशक मंत्रालय के आदेश में देरी हुई है लेकिन मंत्रालय के इस फैसले के बाद किसानों को राहत मिली है। दोहरी मार झेलने वाले किसानों से खाद विक्रेताओं ने अब तक करोड़ों रुपए कमा लिए। जिले में 1 नवंबर से गेहूं बिजाई शुरू हो गई थी अब लगभग बिजाई खत्म होने के कगार पर है।

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किसानों के साथ हो रही इस लूट को रोकने में प्रशासन और कृषि अधिकारी के अधिकारी पूंग साबित हो चुका थे। कहीं न कहीं सफेदपोशों के इशारों के कारण किसानों के समर्थन में कृषि विभाग के अधिकारी भी इस लूट पर रोक नहीं लगा पाए। और अब जब मंत्रालय ने आदेश दिए है तो जिले भर किसानों ने अब तक तकरीबन गेंहू की बुआई कर ली है।

खाइ की फाइल फोटो।

खाइ की फाइल फोटो।

DAP खाद 1350 रुपए तो ,1000 की दी जा रही दवाई

कृषि के महिर संदीप ने बताया कि जिले में करीब 52000 गेहूं की बिजाई करने वाले किसान हैं और 1 एकड़ में करीब 1350 रुपए की कीमत का एक DAP का एक बैग पड़ता है। इस बैग के साथ किसानों को किटनाशक दवा विक्रेताओं ने 1000 रुपए की कीटनाशक दवा किसानों को थोपी है। अब सवाल यह उठता है कि अगर जिले के 50 हजार किसानों ने भी एक बैग DAP का खरीदा है तो उनकों एक बैग के साथ 1000 की दवा दी गई है। संदीप ने कहा कि अगर एक 1 किसान ने 1 एकड़ लिए 1 बैग भी लिया तो उसको दवा विक्रेता के द्वारा उसकों एक 1 हजार रुपए की किटनाशक दवा थोपी है। यानी 1 नंवबर से अबतक 22 दिन में दवा विक्रेता 5 करोड़ रुपए की किसानों से अवैध वसूली कर चुके है। वहीं खुद सतर्क होने का दावा करने वाले कृषि विभाग के पास किसानों की शिकायतें भी गई लेकिन अधिकारी मुंह पर दही जमा कर बैठे रहे। क्योंकि इस मुनाफे का सीधा पैसा जिम्मेदारों की जेब में भी जाना माना जा रहा है।

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किसानों के साथ हो चुकी लूट का जिम्मेदार कौन

पारदर्शी सिस्टम का दावा करने वाली सरकार में बाजारवाद को बढ़ावा दिया गया है। 22 दिन में दवा विक्रेताओं ने सरेआम आर्थिक तौर पर कमजोर किसानों के साथ लूट का सिलसिला जारी रखा। अब सवाल उठता है कि 22 दिन में किसानों के साथ हुई इस लूट पर पारदर्शी सिस्टम कौन सी थ्योरी पर काम करेगा। क्या बाजारवाद में शामिल चालबाजों द्वारा जो खेल खेला गया था उसको लेकर प्रशासन की ओर से ऐसी कोई अधिसूचना जारी हुई थी कि यूरिया व DAP के साथ कीटनाशक दवा लेना किसान के लिए जरूरी है अगर ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ तो विक्रेताओं ने जिन किसानों की जेब काटी उनके खिलाफ बोलने पर क्यों सत्ताधारी मुंह पर चुप्पी साध कर बैठे रहे। मंत्रालय के आदेश के बाद इस बात की पुष्टि होती है कि यह अवैध कारोबार मनमर्जी से किया गया।

ट्रक में लोड खाद का दृश्य।

ट्रक में लोड खाद का दृश्य।

कोऑपरेटिव सोसाइटी से पहले निजी विक्रेताओं का खाद पर कब्जा

​​​​​​​किसान संजीव, रमेश व रामधारी ने बताया कि करीब 4 वर्ष पहले किसानों को सरकारी सोसाइटी उन्हें उचित दाम पर DAP व यूरिया खाद बड़े आराम से मिल जाती थी। लेकिन 4 वर्षों के दौरान किसानों के साथ प्रदेश सरकार ने आय दोगुनी करने का झांसा देकर तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर किसानों के साथ लूट की है। धान सीजन में पड़ी मार से किसान अभी तक उभरा ही नहीं था कि गेहूं बिजाई के दौरान किसान से खाद के नाम पर खेल खेला गया।

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क्या कहते हैं कृषि विभाग के उपनिदेशक

​​​​​​​वही मंत्रालय के आदेश जारी होने के बाद जब कृषि विभाग के अधिकारी आदित्य डबास से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि मंत्रालय के आदेशों के अनुसार ही किसानों को खाद उपलब्ध कराया जाएगा। अगर कोई विक्रेता किसानों को DAP व यूरिया के साथ कोई कीटनाशक दवा देता है तो उसकी शिकायत मिलने पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

 

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