डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन जब लापरवाही के कारण डॉक्टर मरीज का जानबूझकर उचित इलाज ना करें तो फिर शायद डॉक्टर से बड़ा भी दोषी और कोई नहीं हो सकता। ऐसा ही एक वाक्य कैथल जिले से सामने आया है। जहां पर कलायत के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ ने मानवता की सारी हदें पार कर दी। जिन्होंने प्रसव के दौरान तड़प रही महिला को उचित इलाज ना देकर तड़पने के लिए छोड़ दिया।
महिला प्रसव पीड़ा के दौरान रोती रही, लेकिन उसकी चीख-पुकार न तो डॉक्टर ने सुनी और न ही उनके स्टाफ ने। उल्टा पीड़िता के साथ आए परिजनों के साथ ही अभद्र व्यवहार करने लगे।
ये मामला कैथल के कलायत सरकारी अस्पताल का है। जहां पर रविवार को एक महिला की डिलीवरी होनी थी। महिला को प्रसव पीड़ा हुई, जिसके बाद उसके परिजन उसे कलायत के सरकारी अस्पताल में लेकर गए। जब महिला हॉस्पिटल में पहुंची तो उस समय महिला को बहुत ज्यादा प्रसव पीड़ा हो रही थी और उसका आधा बच्चा बाहर आया हुआ था।
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मृत बच्ची को ले जाते परिजन।
जब इसके बारे में डॉक्टर को बताया गया तो उन्होंने पीड़िता और उनके परिवार की एक नहीं सुनी। उल्टा उन्हें ही झाड़ने लगे और बिना कोई इलाज किए पीड़िता को कैथल के नागरिक अस्पताल में रेफर कर दिया। जबकि कलायत के सरकारी अस्पताल में डिलीवरी करवाने के सभी बंदोबस्त पर्याप्त मात्रा में है।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद जैसे कैसे पीड़ितों ने कैथल के सरकारी अस्पताल में आने के लिए एंबुलेंस को फोन किया तो एंबुलेंस संचालक ने जवाब दिया कि वह 2 घंटे तक नहीं आ सकते। उसके बाद पीड़िता के परिजनों ने पीड़िता का दुख दर्द समझते हुए एक प्राइवेट गाड़ी का इंतजाम किया और उसको कैथल के नागरिक अस्पताल में लेकर आए। जहां पर डॉक्टरों ने महिला की 5 मिनट में ही डिलीवरी करवा दी। जिसमें महिला की तो जान बच गई, लेकिन नवजात बच्ची की जान चली गई।