उत्तराखंड टनल निर्माण में सर्वे रिपोर्ट की अनदेखी हुई: रिपोर्ट में चट्‌टान बताई, निकली मिट्टी; कंपनी का दावा- मई 2024 से पहले काम पूरा होगा

12 नवंबर को उत्तरकाशी की सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल का एक हिस्सा अचानक ढह गया था। इसके अंदर 41 मंजदूर फंस गए थे।

उत्तराखंड में यमुनोत्री हाइवे पर चार धाम प्रोजेक्ट के तहत ऑल वेदर रोड पर निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग के धंसने को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं।

 

डीपीआर (डिटेल प्रोजक्ट रिपोर्ट) में जियो टेक्निकल सर्वे की रिपोर्ट का ध्यान ही नहीं रखा गया। जिस पहाड़ में टनल बन रही है, रिपोर्ट में उसे ठोस चट्‌टान (हार्डरॉक) बताया गया और जब खुदाई शुरू हुई तो यह भुरभुरी मिट्टी का पहाड़ निकला।

भास्कर पड़ताल में टनल प्रोजेक्ट की डीपीआर पर NHIDCL (नेशनल हाईवे कॉरपोरेशन) से लेकर सुरंग बनाने वाली कंपनी नवयुग (NECL) तक कोई भी इस बारे में जवाब देने को तैयार नहीं है। जबकि नवयुग कंपनी ने ऑस्ट्रिया-जर्मनी के बरनार्ड कंपनी से यह डीपीआर बनवाई गई

उत्तराखंड टनल निर्माण में सर्वे रिपोर्ट की अनदेखी हुई: रिपोर्ट में चट्‌टान बताई, निकली मिट्टी; कंपनी का दावा- मई 2024 से पहले काम पूरा होगा

बरनार्ड कंपनी के अनुसार, इस सुरंग के निर्माण की शुरुआत के बाद से ही यहां की भूवैज्ञानिक (जियोलॉजिकल) स्थितियां टेंडर में जताई आशंका से भी बेहद कठिन साबित हुई हैं।

ये टनल के उस हिस्से की फोटो है, जहां 41 मजदूर फंसे थे। रेस्क्यू से पहले उन्हें नए कपड़े और जूते पहनाए गए।

ये टनल के उस हिस्से की फोटो है, जहां 41 मजदूर फंसे थे। रेस्क्यू से पहले उन्हें नए कपड़े और जूते पहनाए गए।

जुलाई 2022 में टनल का काम पूरा करना था
टनल से जुड़े दस्तावेज के अनुसार, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को सिलक्यारा सुरंग साइट की जियोलॉजिकल रिपोर्ट टीएएसपीएल और जीईएस फर्म ने सौंपी थी। दोनों ही फर्मों का इससे पहले इस तरह की परियोजना में काम करने का कोई रिकॉर्ड नहीं मिलता है।

वैसे सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का काम साल 2018 में शुरू हुआ था। इसकी डेडलाइन जुलाई 2022 रखी गई थी। इसको भी 16 महीने गुजर गए।

कंपनी का दावा-अगले साल मई से पहले काम पूरा होगा
सुरंग बनाने वाली नवयुग कंपनी के इंजीनियर प्रदीप नेगी और सेफ्टी मैनेजर राहुल तिवारी का दावा है कि अब मई 2024 से पहले इसे पूरा कर लिया जाएगा। कंपनी का दावा है कि सुरंग में मलबा गिराने का कारण लोड फेलियर है।

यहां पर भुरभुरी सतह होने के कारण ऐसा हुआ है। सुरंग में जिस जगह पर मलबा गिरा वहां पर आशंका नहीं थी। यहां पर सभी प्रकार के इंतजाम किए गए थे।

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नवयुग कंपनी को सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग बनाने का काम इंजीनियरिंग प्रक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) मोड में दिया था। टेंडर की शर्तों के मुताबिक किसी भी तरह की खामी के लिए निर्माण कंपनी सीधे तौर पर उत्तरदायी है।

हाईवे कॉरपोरेशन ने कहा- सुरक्षा सर्वे के बाद काम शुरू होगा
हाईवे कॉरपोरेशन ने कहा- सुरंग निर्माण से पहले तकनीकी समिति सुरंग का सर्वे करेगी। सुरक्षा के सभी बिंदू हल होने के बाद ही नया निर्माण शुरू होगा। NHIDCL ही सर्वे के लिए समिति बना रही है।

सुरंग के मुहाने के बाद 80 से 260 मीटर तक का हिस्सा कमजोर

टनल प्रोजेक्ट के महाप्रबंधक दीपक पाटिल के अनुसार मुहाने के बाद 80 से 260 मीटर तक कमजोर हिस्सा है। इस पर 120 मीटर तक काम (री-प्रोफाइलिंग) हो चुका था कि हादसा हो गया। 5 साल में सुरंग में मलबा गिरने की 20 घटनाएं हुई हैं।

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