आदेश प्रशासन लागू नहीं करा पा रहा: जय सिटी कंपनी 5 लाख रुपए हर्जाना नहीं दे रही, प्रशासन जमीन कुर्क करेगा

 

जय सिटी कंपनी के खिलाफ हरेरा (हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) का आदेश प्रशासन लागू नहीं करा पा रहा। तहसीलदार जगाधरी ने पांच लाख, आठ हजार, 499 रुपए के हर्जाना के लिए जय सिटी कंपनी को नोटिस भेजा था। 22 नवंबर तक पैसे जमा कराने थे, लेकिन जय सिटी ने जमा नहीं कराए। अब प्रशासन ने जय सिटी कंपनी की जमीन कुर्क कर हर्जाना की वसूली करने का फैसला लिया है।

आदेश प्रशासन लागू नहीं करा पा रहा: जय सिटी कंपनी 5 लाख रुपए हर्जाना नहीं दे रही, प्रशासन जमीन कुर्क करेगा

हालांकि शिकायतकर्ता ने मांग की है कि कंपनी की जमीन खरीद फरोख्त को रोका जाए, लेकिन प्रशासन नियम अनुसार जमीन कुर्क की करेगा। तहसीलदार कृष्ण कुमार ने बताया कि जमीन कुर्क कर हर्जाना के पैसे दिलाए जाएंगे। रिकवरी नोटिस भेजा था, लेकिन पैसे जमा नहीं कराए। इस पर अब कुर्क की कार्रवाई शुरू कर रहे हैं।

2020 में दिए थे हरेरा ने 5 लाख हर्जाने के आदेश
हरेरा ने चार दिसंबर 2020 को आदेश दिए थे, लेकिन जय सिटी की ओर से हाईकोर्ट में इस फैसले के खिलाफ याचिका लगाई गई थी। इस याचिका को हाईकोर्ट ने डिसमिस कर दिया। इसी माह दोबारा हरेरा ने डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को आदेश भेजे थे कि जय सिटी से हर्जाने के पैसे की वसूली की जाए। पांच लाख, आठ हजार रुपए, 499 रुपए हर्जाने के तौर पर जय सिटी को देने होंगे। यह पैसा 25 नवंबर तक उपभोक्ता को दिलाना था। .

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पैसे लेने के बाद भी प्लाॅट नहीं दिया, जो बुक कराया था, उस पर इमारत बनी मिली

प्रोफेसर कॉलोनी निवासी रिटायर्ड बैंक अधिकारी देशराज मंगल कई साल से लड़ाई लड़ रहे हैं। जय सिटी में उन्होंने साल 2006 में 250 गज का प्लाॅट बुक कराया था। उन्होंने बताया कि उस प्लाॅट की कुल कीमत तब उन्हें 11 लाख, 1750 रुपए बताई गई थी। वे 50 प्रतिशत पेमेंट दे चुके थे, लेकिन उन्हें प्लाॅट नहीं दिया गया। देशराज मंगल ने बताया कि उन्होंने प्लाॅट बुक करते समय पांच लाख, 46 हजार रुपए (50 प्रतिशत) रुपए कंपनी को दिए थे। उसे प्लाॅट पर कब्जा नहीं दिया गया। बाद में उसे पता चला कि जो प्लाॅट उसके नाम पर बुक किया गया था, उस पर तीन मंजिला बिल्डिंग बनी हुई थी।

उनका कहना है कि कंपनी ने उनका प्लाॅट कैंसिल कर दिया था। वे कोर्ट में गए तो वहां पर कहा कि कैंसिल का लेटर देशराज मंगल के दिल्ली एड्रेस पर भेज दिया था, जबकि वे कभी दिल्ली में रहे नहीं और न ही उनका वहां पर कोई एड्रेस है। इस तरह से उनके साथ ठगी हुई है। उन्होंने इसका केस भी किया था। देशराज मंगल ने बताया कि वे इस मामले को लेकर हरेरा में गए। वहां फैसला उनके पक्ष में आया। हरेरा ने कंपनी को उनके पैसे ब्याज समेत वापस करने के आदेश दिए, लेकिन उन्होंने पैसे नहीं दिए और न ही सुनवाई में पेश हुए।

हरेरा ने नोटिस देकर कंपनी मालिकों को बुलाया, लेकिन तब भी वे पेश नहीं हुए। इस पर उन्होंने हरियाणा रियल एस्टेट अपीलेट ट्रिब्यूनल में केस दायर किया। ट्रिब्यूनल ने 18 जुलाई 2019 को कंपनी के खिलाफ फैसला देते हुए चार लाख रुपए का हर्जाना लगाया है और दिए पैसे वापस करने के आदेश दिए थे, लेकिन हर्जाना नहीं दिया।

 

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