एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर के प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय वाह जिंदगी वाह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ भिलाई से आई ब्रह्माकुमारी बहन माधुरी ने कहा कि परमपिता परमात्मा शिव सबके पिता है। सभी धर्मों के लोग विभिन्न रूप से निराकार परमात्मा को मानते हैं।
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परमात्मा ही शांति के सागर हैं और उनको याद करके ही सच्ची शांति प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि शिव सर्वदा कल्याणकारी है। शिव का अर्थ कल्याण के आंतरिक दोषों का प्रतीक हैं। परमपिता परमात्मा दोषों को नष्ट करते हैं। परमपिता परमात्मा शिव सर्व आत्माओं में सबसे ऊंचे हैं और हम सभी उनकी संतान हैं।
परमपिता परमात्मा शिव रूप में ज्योति बिंदु और गुणों में सागर के समान हैं और देह रहित निराकार स्वरूप धारी हैं। आत्मा परमात्मा की संतान हैं। आत्मा निराकार ज्योति बिंदु स्वरूप और अति सूक्ष्म हैं। आत्मा ही वह ऊर्जा पुंज हैं जो शरीर को चलाती हैं। आत्मा का निवास स्थान भृकुटि के मध्य हैं। आत्मा, अजर-अमर-अविनाशी हैं।
आत्मा का स्वधर्म शांति, सुख, प्रेम, आनंद और पवित्रता है। आत्मा को हम अपनी सूक्ष्म आंखों से नहीं देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें सभी के साथ सद्व्यवहार करना चाहिए। जब इस धरा पर पापाचार की अति हो जाती है, तब परमपिता परमात्मा धरती पर स्वयं अवतरित होते हैं।