कई राज्यों में गहरा सकता है बिजली संकट, अप्रैल के पहले 15 दिनों में बिजली की मांग 38 वर्षों के उच्चतम स्तर पर

नई दिल्ली। देश के समक्ष बिजली संकट गहराने का खतरा बढ़ने लगा है। यह स्थिति तब है जब देश की सबसे बड़ी कोयला कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड ने इस अवधि में बिजली कंपनियों को 14.2 प्रतिशत ज्यादा कोयला आपूर्ति की है और मांग को पूरा करने के लिए अप्रैल महीने में ताप बिजली घरों ने 9.5 प्रतिशत ज्यादा बिजली बनाई है। इसके बावजूद लगभग 12 राज्यों के सामने बिजली संकट ज्यादा खतरनाक रूप से सकता है। सिर्फ अप्रैल महीने के पहले 15 दिनों की बात करें तो देश के ताप बिजली घरों के पास कोयले का औसत स्टाक 9.6 दिनों से घटकर 8.4 दिनों का रह गया है। अप्रैल, 2022 में कंपनी अभी तक का सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन करने की तरफ बढ़ रही है।

बिजली सेक्टर के इंजीनियरों के संगठन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि अप्रैल, 2022 में पहले 15 दिनों में देश में बिजली की मांग पिछले 38 वर्षों के अधिकतम स्तर पर है। आंध्र प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, हरियाणा में 3.7 प्रतिशत से 8.7 प्रतिशत तक बिजली की कटौती हो रही है। उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग 21 हजार मेगावाट है जबकि आपूर्ति 20 हजार मेगावाट की है। संगठन ने कोयला ढुलाई के लिए वैगन की कमी को सबसे बड़ी वजह बताते हुए कहा है कि सभी संयंत्रों को पर्याप्त कोयला पहुंचाने के लिए 453 रेलवे रैक की जरूरत है जबकि कुछ दिन पहले तक महज 379 रैक ही उपलब्ध थीं। अब इनकी संख्या बढ़ कर 415 हो गई है।

मांग के मुकाबले कम पड़ रही आपूर्ति

कोल इंडिया अप्रैल, 2022 में अब तक रोजाना 16.4 लाख टन कोयला आपूर्ति कर रही जबकि अप्रैल, 2021 में 14.3 लाख टन कोयले की आपूर्ति की जा रही थी। इस महीने पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 27 प्रतिशत ज्यादा कोयला निकाला गया है। ज्यादा कोयला मिलने से ताप बिजली संयंत्रों ने एक से 15 अप्रैल के बीच 3.5 अरब यूनिट बिजली का उत्पादन किया है जो 1-15 अप्रैल, 2021 के मुकाबले 9.4 प्रतिशत ज्यादा है।

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अमित शाह के साथ मंत्रियों की बैठक

संभावित बिजली संकट के खबरों के बीच मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह ने ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ बैठक की। एक घंटे से अधिक चली बैठक के दौरान मंत्रियों ने बिजली संयंत्रों में कोयले की उपलब्धता और वर्तमान बिजली मांगों पर चर्चा की।

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अदाणी ग्रुप हरियाणा से मांग रहा विदेशी कोयले के आयात का खर्च

हरियाणा सरकार और अदाणी ग्रुप के बीच बिजली के रेट को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। अदाणी ग्रुप ने 2008 में हरियाणा सरकार के साथ अगले 25 साल तक 3.36 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली उपलब्ध कराने का समझौता किया था। हालांकि पिछले एक साल से सिर्फ इसलिए हरियाणा को इस समझौते के मुताबिक, बिजली नहीं दी जा रही है, क्योंकि अदाणी ग्रुप की ओर से बिजली के अतिरिक्त रेट मांगे जा रहे हैं। वहीं अदाणी ग्रुप की दलील है कि बिजली बनाने में उन्हें आयातित कोयले का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, जो महंगा है। इसलिए उसे बढ़े हुए रेट मिलने चाहिए।

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