हिसार7 मिनट पहले
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हरियाणा में लोकसभा चुनाव के ‘मिशन 2024’ शुरू करते ही अमित शाह ने चौटाला परिवार को लेकर नए सियासी संकेत दिए हैं। शाह ने रविवार को सिरसा में रैली की। जहां उनके टारगेट पर पूर्व कांग्रेस सरकार के CM भूपेंद्र हुड्डा ही रहे। सिरसा चौटाला परिवार का सियासी गढ़ है। सबकी उम्मीद के उलट शाह ने यहां चौटाला परिवार पर कोई बयान नहीं दिया।
शाह ने न तो इनेलो प्रमुख ओपी चौटाला को लेकर कुछ कहा और न ही राज्य सरकार में गठबंधन की सहयोगी जजपा को। यहां तक कि जजपा को तो इस रैली में बुलाया तक नहीं गया। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा चौटाला परिवार से दूरी नहीं रखना चाहती। दल कोई भी हो, जरूरत पड़ने पर भाजपा सबको साथ जोड़ सकती है।
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शाह की सिरसा रैली में मंत्री रणजीत चौटाला को पूरी तरजीह दी गई। शाह कहने पर रणजीत चौटाला का संबोधन हुआ। CM मनोहर ने पगड़ी पहनाई तो रणजीत चौटाला ने हल देकर शाह का स्वागत किया।
अमित शाह के सियासी दांव के मायने
1. अजय चौटाला-दुष्यंत चौटाला को तरजीह नहीं
हरियाणा में भाजपा जजपा से गठबंधन कर सरकार चला रही है। 41 MLA भाजपा और 10 MLA से मिलकर सरकार बनी है। इन दिनों दोनों दलों में चुनाव को लेकर गठबंधन में खटास की चर्चा है। शाह की इस रैली में जजपा का कोई नेता नजर नहीं आया। जजपा प्रमुख अजय चौटाला और डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला भी नहीं दिखे। इससे ये संकेत माना जा रहा है कि BJP चुनाव अकेले ही लड़ सकती है। शाह के कार्यक्रम में में पिता-पुत्र का जिक्र तक न होने से ये चर्चा है कि BJP उन्हें बता रही है कि हरियाणा में वे भाजपा की मजबूरी नहीं हैं।
2. जरूरत पड़ी तो इनेलो से परहेज नहीं
शाह ने इनेलो को लेकर कुछ नहीं कहा। ओमप्रकाश चौटाला भी हरियाणा के CM रहे। उनके बेटे अभय चौटाला विधायक हैं। इसके बावजूद शाह ने इनेलो पर कोई निशाने नहीं साधे। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा को जरूरत पड़ी तो जजपा पर निर्भर नहीं रहेगी बल्कि इनेलो से भी परहेज नहीं करेगी। ये इसलिए भी अहम है कि कांग्रेस और इनेलो के बीच गठबंधन को लेकर गई बार सुगबुगाहट हो चुकी है। हालांकि दोनों दल इसे नकार चुके हैं।
3. पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल को याद किया
जिस सिरसा में शाह की रैली थी, वह चौटाला परिवार का गढ़ है। खास तौर पर पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व. चौधरी देवीलाल के लिए यहां के लोगों के मन में पूरा सम्मान है। इसी वजह से शाह ने उनका जिक्र अपने भाषण में किया। यही नहीं चौधरी देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला के घर भी गए। रणजीत चौटाला निर्दलीय चुनाव जीते थे और इस वक्त हरियाणा सरकार में बिजली मंत्री हैं।
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भाजपा का देवीलाल परिवार से पुराना नाता
शाह ने चौधरी देवीलाल को याद कर हरियाणा के लोगों को ये भी संकेत दिया कि वे कभी अपने पुराने सहयोगियों को नहीं भूलते। भाजपा और चौधरी देवीलाल के परिवार का पुराना रिश्ता है। 1987 के चुनावों में तत्कालीन लोकदल के साथ भाजपा का गठबंधन रहा। इसके बाद 1999 में भाजपा का हरियाणा विकास पार्टी के साथ गठबंधन था। मगर, भाजपा ने हविपा से गठबंधन तोड़ ओपी चौटाला की पार्टी इनेलो से गठबंधन किया। तब ओपी चौटाला मुख्यमंत्री बने।
1999 के लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन ने 10 सीटें जीती। हालांकि 2004 में यह गठबंधन टूट गया था। अब ओपी चौटाला के बेटे अजय सिंह और पोते दुष्यंत चौटाला जजपा के रूप में गठबंधन के सहयोगी है।
देवीलाल के कुनबे के 3 परिवार भाजपा के साथ
मौजूदा समय में चौधरी देवीलाल के कुनबे के 3 परिवार भाजपा के साथ है। चौधरी देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला सरकार में निर्दलीय विधायकों के कोटे से मंत्री है। चौधरी देवीलाल के एक बेटे जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला भाजपा के जिलाध्यक्ष है और हरियाणा कृषि मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन हैं। वहीं एक पडपौत्र हरियाणा सरकार में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला है जो कि सरकार में सहयोगी है। सिर्फ 1 विधायक वाली इनेलो ही गठबंधन से बाहर है।
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बागड़ी बेल्ट ने नहीं स्वीकारा हुड्डा को अपना जाट नेता
हरियाणा में चौधरी देवीलाल और बंसीलाल जाट नेता माने जाते रहे। चौधरी देवीलाल के बाद यह पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला को जाट नेता मानने लगे। ये दोनों नेता बागड़ी बेल्ट के हैं। ओपी चौटाला की सरकार जाने के बाद देशवाली बेल्ट से भूपेंद्र हुड्डा सीएम बने तो जाट समाज ने उन्हें अपना नेता मानना शुरू कर दिया।
पूर्व सीएम ओपी चौटाला से धीरे-धीरे बांगर और देशवाली बेल्ट के जाटों ने अपनी दूरियां बढ़ा लीं। आज हुड्डा का बांगर और देशवाली बेल्ट में खासा प्रभाव है। परंतु पूर्व सीएम ओपी चौटाला का केवल बागड़ी बेल्ट में ही प्रभाव शेष है। बागड़ी बेल्ट में हुड्डा अभी अपना वर्चस्व नहीं बना पाए। क्योंकि 10 साल की उनकी सरकार में उन पर क्षेत्रवाद के आरोप लगता रहा। इसी वजह से शाह ने पूर्व सीएम ओपी चौटाला पर कोई बयानबाजी नहीं की, जबकि हुड्डा का नाम लेकर बार-बार क्षेत्रवाद की पुरानी यादें ताजा करते रहे।
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