मणिपुर में 3 मई के बाद से हिंसा जारी है। इसके चलते 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जबकि 50 हजार से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है।
मणिपुर में मंगलवार को दो समूहों के बीच ताजा गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई और पांच घायल हो गए। घायलों में एक भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) का नेता है। एक व्यक्ति लापता भी बताया जा रहा है।
यह घटना इंफाल पश्चिम और कांगपोकपी जिलों की सीमा पर लमशांग क्षेत्र के कडांगबंद गांव के पास स्थित कैंप में हुई। अज्ञात बंदूकधारियों ने हमला किया तो विलेज वालेंटियर्स ने जवाबी कार्रवाई की। जवाबी कार्रवाई के बाद हमलावर पीछे हट गए फिर से इकट्ठा हुए और फिर से हमला किया। इसके बाद काफी देर तक गोलीबारी हुई।
हिंसा के बाद इंफाल घाटी के कडांगबैंड, कौट्रुक और कांगचुप गांवों में रहने वाले लोग के घर छोड़कर सुरक्षित जगहों पर चले गए। मारे गए लोगों की पहचान एन माइकल (33) और एम खाबा (23) के रूप में हुई है।
भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष मनोहरमयुम बारिश शर्मा गोलीबारी में घायल हो गए। उन्हें इंफाल के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान ले जाया गया है। कौत्रुक और कडांगबंद गांव जातीय हिंसा से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों को इलाके में भेजा गया है।
18 जनवरी को 4 लोगों की हत्या हुई थी
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इसके पहले 18 जनवरी को भी मणिपुर में 4 लोगों की हत्या कर दी गई। मणिपुर पुलिस ने गुरुवार 18 जनवरी को बताया उग्रवादियों ने बिष्णुपुर जिले में ओइनम बमोलजाओ (61) और उनके बेटे ओइनम मैनिटोम्बा (35) को मार डाला। साथ ही उसी जिले के स्वयंसेवक थियाम सोमेन (54) की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई।
इसके अलावा, बुधवार 17 जनवरी की रात कांगपोकपी जिले की सीमा से लगे इम्फाल पश्चिम जिले के कांगचुप में एक गांव के स्वयंसेवक ताखेललंबम मनोरंजन (26) की मौत हो गई। साथ ही एक अन्य स्वयंसेवक मंगशताबम वांगलेन भी गोली लगने से घायल हो गया था।
मणिपुर में अब तक 200 से ज्यादा मौतें, 1100 घायल
राज्य में 3 मई से कुकी और मैतेई के बीच जारी जातीय हिंसा में 200 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। राज्य में अब तक 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।