चरखी दादरी. ‘कहते हैं हौसला बुलंद हो तो कठिन से कठिन राह भी आसान हो जाती है…’ इस बात को सच कर के दिखाया है चरखी दादरी के शाश्वत सांगवान ने. दरअसल, उन्होंने दूसरे प्रयास में ही यूपीएससी जैसी मुश्किल और बड़ी परीक्षा को पास कर लिया है. दादरी के इस बेटे को यूपीएससी में 34वां रैंक मिला है. पहली बार में शाश्वत को 320वां रैंक हासिल हुआ था. यूपीएससी का रिजल्ट जब आया और परिवार ने उसमें अपने बेटे का नाम देखा तो सबकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. अपने लाल की कामयाबी पर परिजनों ने मिठाइयां बांटकर खुशियां मनाई है.
शाश्वत सांगवान ने शुरू से आईएएस बनने का सपना देखा था और जब पहली बार उनकी रैंक 320 पर आकर ठहर गई. तब उन्होंने ट्रेनिंग के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी. उनकी कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा ही है कि आज शाश्वत का सपना सच होने की कगार पर है. 34वां रैंक प्राप्त करने के बाद अब वह आईएएस बने हैं. बेटे की इस उपलब्धि पर परिजनों में अपार खुशी का माहौल है. वे नाच गाकर अपनी खुशी का इजहार कर रहे हैं. शाश्वत सांगवान फिलहाल दिल्ली कैंट में आईडीईएस की ट्रेनिंग पर है और उनके माता-पिता बहादुरगढ़ में रह रहे हैं.
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आईडीईएस की ट्रेनिंग के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी जारी रखी
बता दें कि शाश्वत सांगवान की प्राथमिक शिक्षा चरखी दादरी में ही हुई है. बाद में उन्होंने पिलानी से बीटेक की परीक्षा पास की और बाद में आईएएस की तैयारी में जुट गए. पिता डॉ सतीश सांगवान व माता डॉ ललिता सांगवान का दिल्ली के द्वारका के अस्पताल में है. शाश्वत सांगवान ने पिछले वर्ष यूपीएससी की परीक्षा में 320वां रैंक हासिल किया तो उनको आईडीईएस में नौकरी मिली. बावजूद इसके शाश्वत ने मन में आईएएस बनने की ठानी और आईडीईएस की ट्रेनिंग के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारियां जारी रखी, जिसका नतीजा शाश्वत ने 34वां रेंक हांसिल करते हुए गांव व क्षेत्र का नाम रौशन किया है.
शाश्वत सांगवान फिलहाल दिल्ली कैंट में आईडीईएस की ट्रेनिंग पर है.
शाश्वत के चाचा शिक्षक सुनील सांगवान ने बताया कि बेटे ने आईएएस बनने की जिद्द की थी और काफी मेहनत भी की, इसलिए दूसरे चांस में बेटा ने 34वां रेंक हासिल करते हुए गांव व सांगवान परिवार का मान बढ़ाया है. परिजनों ने शाश्वत के उज्ज्वल भविष्य की कामना की.
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