डर ने 23 अगस्त को शाम 6.04 बजे चांद की सतह पर लैंडिंग की थी। इसके साथ ही भारत चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग कराने वाला पहला देश बना था।
चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराकर भारत ने इतिहास रचा है। भारत की इस कामयाबी का लोहा अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने भी माना है। ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि NASA के वैज्ञानिकों ने भारत से टेक्नोलॉजी मांगी है।
जब हमने चंद्रयान-3 डेवलप किया तो NASA-JPL (जेट प्रपुल्शन लेबोरेटरी) के वैज्ञानिकों को बुलाया। ये वैज्ञानिक दुनिया के कई रॉकेट और कई कठिन मिशनों को अंजाम दे चुके हैं।
NASA-JPL से 5-6 लोग ISRO हेडक्वार्टर आए थे। हमने उन्हें समझाया कि कैसे 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। हमने उन्हें अपनी डिजाइन समझाई। ये भी बताया कि हमारे इंजीनियर्स ने इसे कैसे बनाया। इन सब बातों को सुनकर वे इतना ही बोले, नो कमेंट्स। सब कुछ अच्छा ही होने वाला है।
सोमनाथ ने ये बातें रविवार 15 अक्टूबर को रामेश्वरम में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने कहा- भारत एक ताकतवर देश है। हमारा ज्ञान और इंटेलिजेंस लेवल दुनिया के बेस्ट देशों में से एक है।
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इंडियन रिसर्च स्पेस ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) 21 अक्टूबर को गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट भेजेगा। इसके बाद तीन और टेस्ट फ्लाइट भेजी जाएंगी। जिसकी जानकारी ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शनिवार 14 अक्टूबर को दी। रामेश्वरम में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए सोमनाथ ने मदुरै में मीडिया से बातचीत में कहा- 21 अक्टूबर को पहली टेस्ट व्हीकल डेवलपमेंट फ्लाइट (TV-D1) के बाद हमने D2, D3 और D4 की प्लानिंग की है।