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चुनावी राजनीति में जीत का सबसे अहम पैमाना जाति को ही माना जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में ठाकुर-ब्राह्मणों की केमिस्ट्री में जाति का ये गणित फेल होता दिख रहा है। 14 फीसदी से भी कम आबादी वाले सामान्य वर्ग को 37 प्रतिशत उम्मीदवारी मिली है। यानी अभी से तय हो गया है कि सरकार चाहे किसी की बने, सत्ता का सबसे बड़ा शेयर सवर्ण जातियों के पास ही होगा।
जाति गणना का वादा करने वाली कांग्रेस ने भी 230 में से 60
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