GST स्कैम गैंग का पर्दाफ़ाश: चंडीगढ़ पुलिस ने पांच आरोपियों को दबोचा; सरकार को लगा रहे थे करोड़ों का चूना

चंडीगढ़ पुलिस ने एक GST (गुड्स एंड सर्विस टैक्स)गैंग का भंडाफोड़ किया है। इस गैंग के मेंबर्स फर्जी GST रिफंड ले रहे थे। कुल 5 गैंग मेंबर्स को पुलिस ने काबू किया है। फर्जी कंपनियां खड़ी कर फर्जी ट्रांजैक्शंस के जरिए ठगी की जा रही थी। पुलिस ने दावा किया है कि मामले में करोड़ों की फर्जी इनवाइस सामने आई हैं। चंडीगढ़ पुलिस के आर्थिक अपराध शाखा(EOW) ने गैंग की गिरफ्तारी की है। पुलिस ने कहा है कि उन्होंने एक भगौड़े अपराधी बुड़ैल, सेक्टर 45 के ईश्वर चंद को भी मामले में काबू किया है जिस पर 30 हजारी इनाम रखा गया था।

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वहीं सेक्टर 37-सी के यशपाल जिंदल(58), पंजाबी बाग, नई दिल्ली के विनय जैन उर्फ विक्की जैन(38) और पीतपपुरा, नई दिल्ली के सुशील सिंगला(38) को पकड़ा गया है। पुलिस के मुताबिक यह GST फर्जीवाड़े के 2 केसों में शामिल थे। फर्जी इनवाइस के आधार पर लगभग 11 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की गई थी। पुलिस ने कहा है कि इस सारे मामले की और गहराई से जांच की जा रही है।

दसवीं से नीचे 4 पढ़े और एक CA

स्क्रैप डीलर ईश्वर चंद पांचवी पास है। वहीं यशपाल जिंदल उर्फ बिट्टू दूसरी पास है। वह स्क्रैप डीलर है और जूतों की दुकान है। विनय जैन नौवीं पास है और स्क्रैप डीलर है। सुशील सिंगला चार्टट अकाउंटेंट है। गांव खुड्‌डा जस्सू की रहने वाली अनुराधा शर्मा 6वीं पास है। वह कोई काम नहीं करती और शादीशुदा है।

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एक्साइज एंड टैक्सेशन अफसर ने दी थी शिकायत

13 दिसंबर, 2019 को EOW ने एक्साइज एंड टैक्सेशन अफसर-कम-प्रॉपर अफसर(वार्ड नंबर-1) संजीव मदान की शिकायत पर धोखाधड़ी और जालसाज़ी की धाराओं में केस दर्ज किया था। मामले में आरोपी M/s एके ट्रेडिंग कंपनी का प्रोपराइटर अनुराधा शर्मा थी। संजीव मदान ने शिकायत दी थी कि गांव खुड्डा जस्सू की अनुराधा ने अन्य साथियों की मदद से UT GST एक्ट, 2017 के तहत रजिस्ट्रेशन प्राप्त कर लिया था। GST पोर्टल पर अप्लाई की गई अर्जियों के मुताबिक अनुराधा की फर्म का मुख्य बिजनेस हर प्रकार का कबाड़ सप्लाई जारी करना था।

रिपोर्ट में पता चला की कोई बिजनेस ही नहीं

एक्साइज एंड टैक्सेशन इंस्पेक्टर ने अपनी 25 जनवरी, 2019 और 14 फरवरी, 2019 की रिपोर्ट में कहा था कि गांव खुड्‌डा जस्सू में ऐसी कोई बिजनेस एक्टिविटी नहीं चल रही है। वहीं रजिस्ट्रेशन अवधि के दौरान आरोपियों ने 21,68,92,963 रुपए के सामान की ट्रांजैक्शन की और लगभग 9 करोड़ रुपए के टैक्स की सरकारी ट्रैज़री में नहीं भरे। वहीं एक अन्य FIR के मुताबिक इन्हीं आरोपियों ने लगभग 8 करोड़ रुपए के सामान की सप्लाई को लेकर ट्रांजैक्शन की और लगभग 2.5 करोड़ रुपए का टैक्स जमा नहीं करवाया।

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फर्जीवाड़े के लिए बैंक खाते खोले

जांच के दौरान यह भी सामने आया कि आरोपियों ने एके कंपनी नामक फर्म खोली जो कबाड़ में डील करती थी। कंपनी के दो बैंक खाते HDFC और एक्सिस बैंक में खुले थे। ट्रांजैक्शन के लिए यह खाते ईश्वर चंद और यशपाल जिंदल ने खोले थे। जांच में यह भी पता चला कि गांव खुड्‌डा जस्सू में प्लाट नंबर 260 को लेकर फर्जी रेंट एग्रीमेंट बनवाया गया था। यह एग्रीमेंट यशपाल जिंदल की सर्वेंट अनुराधा शर्मा के नाम से खोला गया था। इस जगह पर कोई बिजनेस नहीं चलाया जा रहा था।

जांच में शामिल हुआ भगोड़ा तो खुले राज

ईश्वर चंद ने बीते 3 दिसंबर को EOW की जांच ज्वाईन कर ली थी। जांच में पता चला कि ईश्वर चंद ने यशपाल जिंदल, सुशील सिंगला और विक्की जैन के साथ मिल कर दिल्ली में CA सुशील सिंगला के ऑफिस में फर्जी फर्म और बैंक खाते खोलने की एक साजिश रची थी। इनका मकसद फर्जी बिजनेस ट्रांजैक्शन दिखा कर GST लाभ प्राप्त कर सरकारी खजाने का नुकसान पहुंचाना था। इसे लेकर उन्होंने एके ट्रेडिंग कंपनी के नाम से फर्जी स्क्रैप फर्म खोली। फर्जी बिल बना कर सरकार से GST रिफंड (इनपुट क्रेडिट के रूप में ) मांगा। ऐसे में यह सरकार को चूना लगा रहे थे।

इस तरह हुई गिरफ्तारियां

3 दिसंबर को भगोड़े ईश्वर चंद औपचारिक गिरफ्तारी डाल कर उसे 9 दिसंबर(आज तक) रिमांड पर लिया गया। जांच के बाद मामले में यशपाल जिंदल को 5 दिसंबर को पकड़ा गया। उसका 10 दिसंबर तक रिमांड लिया गया है। विनय जैन को 6 दिसंबर को पकड़ा गया और उसका भी 10 दिसंबर तक का रिमांड लिया गया है। 7 दिसंबर को सुशील सिंगला को काबू किया गया। वह यशपाल सिंगला का साला है। पुलिस जांच में यह भी पता चला कि ईश्वर चंद और यशपाल जिंदल आपस में रिश्तेदार हैं।

पुलिस जांच में पता चला कि ईश्वर चंद और यशपाल जिंदल पहले से कबाड़ के बिजनेस में थे। सुशील सिंगला ने उन्हें संबंधित अपराध की प्लानिंग के बारे में बताया। उसने दोनों को विनय जैन से मिलवाया। वह पहले से कुछ कंपनियों के साथ इस प्रकार का अपराध कर रहा था। इसके बाद इन्होंने फर्जी फर्म और बैंक खाते खोले।

इस तरह देते थे अपराध को अंजाम

विनय जैन ने 18 प्रतिशत GST के साथ एके ट्रेडिंग के लिए फर्जी बिल तैयार करता था। इस खरीद के आधार पर आगे एके ट्रेडिंग ने आगे अन्य स्क्रैप डीलर्स को सेल के 18 प्रतिशत GST के फर्जी बिल तैयार करता था। इसके बदले एके ट्रेडिंग को प्रोडक्ट के बराबर कैश रकम मिलती थी। इसमें से वह विक्की जैन के जरिए GST हटवा देता था और स्क्रैप डीलर्स से RTGS देता था जो प्रोडक्ट की कॉस्ट के बराबर होती थी जिस पर 6.5 प्रतिशत GST टैक्स होता था। इसका 2 प्रतिशत कमिशन निकाल कर एके ट्रेडिंग प्रोडक्ट की कॉस्ट के बराबर रकम 4.5 प्रतिशत GST के साथ विक्की जैन द्वारा बताई फर्म को दे देता था।

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ब्लैक मनी को इस तरह व्हाइट करते थे

इस सारी प्रक्रिया में प्रोडक्ट की कॉस्ट के बराबर की रकम कुछ फर्म्स के जरिए व्हाइट मनी में बदल जाती थी। यह फर्म्स विक्की जैन को कैश में रकम देती थी। वहीं विक्की जैन 4.5 प्रतिशत कमीशन प्राप्त करता था। यह रकम वास्तव में सरकार को GST के रुप में दिया जाना था। विक्की आगे इस रकम में से 1.4 प्रतिशत कमीशन सुशील सिंगला के साथ शेयर करता था। वहीं ईश्वर चंद और यशपाल सिंगला 2 प्रतिशत कमीशन लेते थे। वास्तव में यह रकम सरकार को GST के रूप में देनी बनती थी।

सरल भाषा में समझें

यदि इस अपराध को सरल भाषा में समझें तो विक्की जैन 100 रुपए के स्क्रैप का सेल बिल 18 प्रतिशत GST के साथ(118 रुपए) एके ट्रेडिंग को देता था। हालांकि एके ट्रेडिंग RTGS के जरिए बदले में 106.50 रुपए ले रहा था। वह विक्की जैन द्वारा बताई गई किसी फर्म को RTGS के जरिए 104.50 रुपए देता था। इसके बाद विक्की जैन एके ट्रेडिंग को कैश में 100 रुपए देता था और 4.50 रुपए अपने पास रख लेता था। वहीं आगे एके ट्रेडिंग उस फर्म को 100 रुपए कैश दे रही थी जो उन्हें 106.50 रुपए का RTGS देती थी।

 

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