सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (7 दिसंबर) को CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार केस अब सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 10 भाषाओं में उपलब्ध है। इससे कोर्ट की मुश्किल कार्यवाही को आम लोग आसानी से समझ पाएंगे। लॉ की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को भी काफी मदद मिलेगी।
10 भाषाओं में केशवानंद केस की कार्यवाही पढ़ी जा सकती है।
CJI ने असम में प्राविसयों के मुद्दे को लेकर सिटीजन एक्ट के सेक्शन 6A की कानूनी वैधता की याचिका पर सुनवाई की। इस सुनवाई से पहले उन्होंने कहा कि 2023 में ही केशवानंद भारती केस के 50 साल हुए हैं।
CJI ने कहा कि कोर्ट कार्यवाही लोगों आम लोगों को आसानी समझ नहीं आती। देश की अलग-अलग भाषा में अनुवाद करके हम समाज के कई वर्गों तक पहुंच सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के 20 हजार जजमेंट का भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो रहा है। जिला अदालतों में हिंदी में काम होता है, वहां भी हमारे जजमेंट को संदर्भ के रूप में लिया जा सकता है।
लॉ स्टूडेंट्स के लिए भी होगी मदद
CJI बोले- कम सुविधाओं में लॉ की पढ़ाई करने वाले छात्र सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट भी नहीं जान पाते हैं। अब वो छात्र e-SCR पर हमारे सारे फैसलों को पढ़ सकते हैं। यह पहल किसी देश में अभी तक नहीं हुए है।
CJI बोले- मुझसे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने हाल ही में कहा है कि उनके जजमेंट का भी रीजनल भाषाओं में अनुवाद होना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट की इस पहल का स्वागत किया। उन्होंने कहा भाषाओं में अनुवाद से लोगों को पता चलेगा कि ये आखिर कितना बड़ा केस था।
13 जजों की बेंच ने सुनाया था फैसला
केशवानंद भारती बनाम केरल सरकार केस में अब तक की सबसे बड़ी बेंच ने सुनवाई की थी। लगातार 68 दिनों की बहस के बाद 13 जजों की बेंच ने केंद्र सरकार के खिलाफ 7-6 के मत से फैसला सुनाया था। बेंच ने कहा था कि सरकारें संविधान से ऊपर नहीं हैं।
SC के जज ने कहा था- कानून आसान भाषा में होना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी पेशे में सरल भाषा के इस्तेमाल की बात कही है, ताकि आम आदमी को इसे समझने में आसानी हो। रविवार 24 सितंबर को शीर्ष कोर्ट ने ये भी कहा कि कानून के आसान भाषा में होने से लोग भी सोच-समझकर फैसला लेंगे और किसी भी तरह के उल्लंघन से बच पाएंगे। कानून हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा होते हैं, ये हमें कंट्रोल करते हैं। इसलिए इनकी भाषा आसान होनी चाहिए। पूरी खबर पढ़ें…
केशवानंद भारती केस को 24 अप्रैल 2023 को हुए थे 50 साल
साल 1973 की बात है। सुप्रीम कोर्ट में केरल सरकार के खिलाफ एक संत केशवानंद भारती का केस पहुंचता है। केस ऐसा कि पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 13 जज इसे सुनने के लिए बैठते हैं। लगातार 68 दिन तक बहस होती है। आखिरकार 24 अप्रैल 1973 को जब फैसला आता है तो इसे इंदिरा सरकार की हार के तौर पर देखा जाता है। केशवानंद भारती केस में कोर्ट की अब तक की सबसे बड़ी 13 जजों की बेंच ने कहा कि सरकारें संविधान से ऊपर नहीं हैं। पूरी खबर पढ़ें…