एग्जिट पोल- तेलंगाना में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत का अनुमान: BRS 101 से घटकर 50 के करीब, भाजपा को ज्यादा-से ज्यादा 10 सीटें

 

तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की वोटिंग के बाद एग्जिट पोल आना शुरू हो गया है। पहले 5 एग्जिट पोल में कांग्रेस को बढ़त दिख रही है। कांग्रेस को बहुमत के लिए जरूरी 60 से ज्यादा सीटें मिल रही हैं। वहीं मौजूदा सत्ताधारी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BSR) 101 सीटों से 50 पर सिमटती दिख रही है। भाजपा को ज्यादा से ज्यादा 10 सीटें ही मिल रही हैं।

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तेलंगाना में यह तीसरा विधानसभा चुनाव
आंध्र प्रदेश से हटकर तेलंगाना जून 2014 में नया राज्य बना था। इसके बाद यहां दो चुनाव हुए, दोनों ही चुनावों में तेलंगाना को अलग राज्य बनाने के लिए आंदोलन करने वाली पार्टी TRS (तेलंगाना राज्य समिति, जो अब भारत राष्ट्र समिति BRS हो गई है) को बहुमत मिला। अभी 119 सीटों वाली विधानसभा में 101 सीटें के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली BSR के पास ही हैं।

KCR कैसे बने तेलंगाना की पहली पसंद?
KCR को तेलंगाना आंदोलन का खामियाजा और फायदा दोनों ही मिला। खामियाजा यह कि आंदोलन के दौरान उनके खिलाफ 9 मुकदमे दर्ज किए गए। फायदा यह हुआ कि तेलंगाना बनने के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा फायदा उन्हें ही मिला।

तेलुगू और उर्दू भाषा पर अच्छी पकड़ होने की वजह से KCR राज्य के सबसे अच्छे वक्ता बन गए। शानदार भाषण के जरिए उन्होंने जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत की। नया राज्य बनने के बाद उन्होंने पूरे राज्य का दौरा किया, लोगों से मिले और बेहतर भविष्य का वादा किया।

तेलंगाना की मांग यहां की जनता का भावनात्मक मुद्दा था। राज्य बनने के बाद लोगों को लगा कि यह मांग KCR ने ही पूरी की है। इस कारण तेलंगाना आंदोलन के दौरान लोगों ने उन्हें भरपूर समर्थन दिया। तेलंगाना राज्य बनने के बाद से राज्य में TRS की ही सरकार है और राव ही मुख्यमंत्री हैं। तेलंगाना के लिए अलग राज्य का प्रस्ताव पारित करने वाली कांग्रेस पार्टी तेलंगाना की सत्ता से अभी भी दूर है।

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अब जानिए तेलंगाना के पहले आंध्र प्रदेश में जुड़ने फिर अलग राज्य बनने की कहानी
‘हमने बर्रे का छत्ता छेड़ दिया है और मुझे लगता है जल्द ही हम सब इसका दंश झेलेंगे।’ 1953 में आंध्र प्रदेश में तेलंगाना को भी शामिल किए जाने के बाद ये बात पंडित नेहरू ने कही थी। ये बात सच साबित हुई जब 1969 में अलग तेलंगाना के लिए आंदोलन कर रहे 369 छात्र मारे गए। तेलंगाना के गठन का प्रस्ताव लाते वक्त संसद में चिली स्प्रे चला और तेलंगाना बनाने के बावजूद कांग्रेस यहां कभी सत्ता में नहीं आ सकी।

‘ऑपरेशन पोलो’ के जरिए हैदराबाद का भारत में विलय हुआ
जुलाई 1947 में ब्रिटिश हुकूमत ने इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 के तहत भारत की आजादी की घोषणा की। उस वक्त भारत की रियासतों को 3 विकल्प दिए गए- भारत में शामिल हो जाएं, पाकिस्तान में शामिल हो जाएं या इंडिपेंडेंट रहें।

हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली का इरादा हैदराबाद को आजाद रखने का था। वो चाहते थे कि हैदराबाद का संबंध सिर्फ ब्रिटिश सम्राट से ही रहे। लिहाजा उस वक्त के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना को हैदराबाद पर चढ़ाई करने का आदेश दे दिया। 3 दिनों के भीतर ही भारतीय सेना ने हैदराबाद पर कब्जा कर लिया।

42 भारतीय सैनिक शहीद हुए और 2 हजार रजाकार (निजाम की निजी सेना के सैनिक) मारे गए। हालांकि, अलग-अलग लोग इस आंकड़े को काफी ज्यादा बताते हैं। 17 सितंबर 1948 को निजाम ने हैदराबाद के भारत में विलय की घोषणा की।

हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान के साथ भारत के उस वक्त के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल।

हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान के साथ भारत के उस वक्त के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल।

हैदराबाद को मद्रास प्रेसिडेंसी में शामिल किया गया। तेलंगाना इस समय हैदराबाद का ही हिस्सा था। उसी वक्त मद्रास में तेलुगु भाषा के लोगों ने प्रोटेस्ट करना शुरू कर दिया। इन लोगों की मांग थी कि तेलुगु भाषा के आधार पर एक नया राज्य बनना चाहिए, जो मद्रास स्टेट से अलग हो। भारत के बड़े नेताओं को भाषा के आधार पर राज्यों को बांटने की मांग रास नहीं आई।

इस दौरान देशभर में भाषा के आधार पर अलग राज्य बनाने की मांग, दक्षिणी भारत के कई राज्यों में उठ रही थी। इस मसले को सुलझाने के लिए दिसंबर 1948 में एक कमेटी बनाई गई। इस कमेटी में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष पट्टाभि सीतारमैय्या थे।

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इन तीनों के नाम के शुरुआती अक्षरों को मिलाकर कमेटी का नाम जेवीपी (JVP) रखा गया। इस कमेटी ने अप्रैल 1949 में रिपोर्ट पेश की और ये सिफारिश की- राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर न होकर आर्थिक विकास, राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के आधार पर किया जाए।

आंध्र प्रदेश बना तब तेलंगाना इसका हिस्सा नहीं था
अक्टूबर 1952 में पोट्टी श्रीरामुलु आंध्र प्रदेश की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू करते हैं। 57 दिन बाद उनकी मौत हो जाती है। इस कारण पूरे मद्रास में हंगामा मच जाता है। लोगों को काबू करने के लिए सरकार पुलिस का सहारा लेती है। पुलिसिया कार्रवाई में कई लोगों की जान चली जाती है। लिहाजा कांग्रेस नेताओं को उनकी मांग स्वीकार करनी पड़ती है।

16 मार्च 1901 को जन्मे पोट्टी श्रीरामुलु के बारे में गांधी ने एक बार कहा था कि अगर मेरे पास श्रीरामुलु जैसे 11 और अनुयायी हों तो मैं भारत को एक साल में आजाद करा लूंगा।

16 मार्च 1901 को जन्मे पोट्टी श्रीरामुलु के बारे में गांधी ने एक बार कहा था कि अगर मेरे पास श्रीरामुलु जैसे 11 और अनुयायी हों तो मैं भारत को एक साल में आजाद करा लूंगा।

1 अक्टूबर 1953 को मद्रास से अलग होकर एक नया राज्य आंध्र प्रदेश बनता है। इसकी राजधानी करनूल बनाई जाती है। तेलंगाना अभी भी आंध्र का हिस्सा नहीं था और हैदराबाद का हिस्सा था।

जेंटलमेन एग्रीमेंट के जरिए आंध्र प्रदेश में तेलंगाना का विलय हुआ
तेलुगु भाषी इलाके को आंध्र प्रदेश में मिलाने के मुद्दे पर हैदराबाद विधानसभा में दिसंबर 1955 को एक प्रस्ताव पारित होता है। सदन के 174 में से 103 विधायक इस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं। इस वक्त हैदराबाद विधानसभा में 94 विधायक तेलंगाना से आते थे, जिनमें से 59 ने इस प्रस्ताव के पक्ष में सहमति जताई। हालांकि, तेलंगाना के कुछ नेता इसके खिलाफ थे।

इसके बाद विलय के लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच एक समझौता कराया जाता है। इस समझौते को ‘जेंटलमेन एग्रीमेंट’ नाम दिया गया। इसके जरिए तय हुआ कि आंध्र प्रदेश में विलय के बाद तेलंगाना के हितों और अधिकारों की रक्षा की जाएगी। उसके साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। तेलंगाना के रेवेन्यू और इनकम का इस्तेमाल तेलंगाना के ही विकास में खर्च किया जाएगा। 1 नवंबर 1956 को संयुक्त आंध्र प्रदेश का गठन हो जाता है।

आंध्र प्रदेश में तेलंगाना के विलय के बाद PM नेहरू ने कहा था- ‘एक मासूम लड़की की शादी एक नटखट लड़के से हो रही है। वो चाहें तो साथ रह सकते हैं या अलग भी हो सकते हैं।’

वो जेंटलमेन एग्रीमेंट से नाराज थे। इसी वजह से उन्होंने इस एग्रीमेंट की तुलना शादी से करते हुए कहा था कि जिस तरह शादी के बाद तलाक का ऑप्शन होता है। वैसी ही कंडीशन इस एग्रीमेंट के साथ भी है।

54 साल पहले तेलंगाना आंदोलन में 369 स्टूडेंट्स मारे गए
हैदराबाद शहर के बीचों बीच लाल बहादुर स्टेडियम के पास एक फेमस पार्क है- गन पार्क। इस पार्क में एक मेमोरियल बना है, जिसके पीछे की कहानी तेलंगाना आंदोलन से जुड़ी है।

तेलंगाना आंदोलन के दौरान पुलिस की फायरिंग में मरे 369 स्टूडेंट्स की याद में गन पार्क में बनाया गया मेमोरियल।

तेलंगाना आंदोलन के दौरान पुलिस की फायरिंग में मरे 369 स्टूडेंट्स की याद में गन पार्क में बनाया गया मेमोरियल।

1969 की बात है। अचानक से तेलंगाना आंदोलन फिर से जोर पकड़ लेता है। तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर एक स्टूडेंट मूवमेंट शुरू होता है। इस आंदोलन का नाम होता है- जय तेलंगाना। आंदोलन कर रहे लोगों का कहना था कि राज्य में जेंटलमेन एग्रीमेंट का पालन नहीं हो रहा है।

इस आंदोलन में शामिल स्टूडेंट्स इसी पार्क में प्रदर्शन कर रहे थे। इस प्रोटेस्ट के दौरान पुलिस फायरिंग करती है। इस फायरिंग में 369 स्टूडेंट्स की मौत हो जाती है। इन मौतों के बाद भी तेलंगाना राज्य की मांग पूरी नहीं होती है।

सितंबर 1973 में इंदिरा गांधी ने तेलंगाना आंदोलन को दबाने के लिए संविधान में संशोधन किया। इसके जरिए आंध्र प्रदेश को 6 जोन में बांटकर हर जोन के लिए आरक्षण का प्रावधान गया।

सितंबर 1973 में इंदिरा गांधी ने तेलंगाना आंदोलन को दबाने के लिए संविधान में संशोधन किया। इसके जरिए आंध्र प्रदेश को 6 जोन में बांटकर हर जोन के लिए आरक्षण का प्रावधान गया।

2001 में फिर से शुरू हुआ तेलंगाना आंदोलन

  • 2001 में फिर तेलंगाना बनाने की मांग शुरू होती है। तीन नए राज्य छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड के बनने की वजह से ऐसा होता है। अब तेलंगाना की मांग को लेकर तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के नाम से नई पार्टी बनती है।
  • कांग्रेस और TDP की राजनीति कर चुके के चंद्रशेखर राव (KCR) इस पार्टी के मुखिया थे। राव ने नारा दिया कि- ‘तेलंगाना वालों जागो और आंध्र वालों भागो।’
  • 2004 में TRS और कांग्रेस ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा। KCR की पार्टी ने 4 लोकसभा और 26 विधानसभा सीटें जीतीं। 2009 में महबूबनगर लोकसभा सीट से KCR चुनाव जीते। उन्होंने संसद में तेलंगाना राज्य की मांग को उठाया।
  • 2009 में करीमनगर में राव नए राज्य के लिए आंदोलन करते हैं। अनशन करते समय पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेती है। राव के समर्थक सड़कों पर उतर जाते हैं।
  • आखिर में केंद्र सरकार 11 दिनों से अनशन कर रहे राव के आगे झुक जाती है। 9 दिसंबर 2009 को केंद्र सरकार घोषणा करती है कि जल्द ही तेलंगाना राज्य को लेकर संसद में बिल पेश किया जाएगा।
नवंबर 2009 में तेलंगाना राज्य की मांग के लिए KCR ने आमरण अनशन किया। नतीजतन सरकार को तेलंगाना राज्य बनाने की घोषणा करनी पड़ी।

नवंबर 2009 में तेलंगाना राज्य की मांग के लिए KCR ने आमरण अनशन किया। नतीजतन सरकार को तेलंगाना राज्य बनाने की घोषणा करनी पड़ी।

तेलंगाना का विरोध कर रहे सांसद ने संसद में चिली स्प्रे छिड़का

  • संसद में 13 फरवरी 2014 को श्रीकृष्णा कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आंध्र प्रदेश रि-ऑर्गनाइजेशन बिल पेश किया जाता है। इसी बिल के तहत तेलंगाना राज्य बनने वाला था।
  • बहस के दौरान बिल के विरोध में विजयवाड़ा से कांग्रेस सांसद एल राजगोपाल ने मुक्का मारकर पास में रखे बॉक्स को तोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी जेब से चिली स्प्रे निकालकर अपने चारों ओर छिड़क दिया। इसके बाद सांसदों को अस्पताल ले जाना पड़ा।
  • भारतीय संसद के इतिहास में ऐसी घटना पहली बार हुई थी। इस घटना में शामिल 18 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था।
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आखिरकार बन ही गया नया राज्य तेलंगाना
आंध्र प्रदेश रीऑर्गनाइजेशन बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हो जाता है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बिल पर साइन करते ही 2 जून 2014 को हिंदुस्तान के नक्शे पर तेलंगाना राज्य अपना आकार लेता है। लगभग 70 साल बाद आंदोलन कर रहे लोगों की मांग पूरी होती है।

आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद तेलंगाना राज्य में 10 जिलों को शामिल किया जाता है। साथ ही दोनों राज्यों के बीच सहमति बनती है कि अगले 10 सालों तक दोनों राज्यों की राजधानी हैदराबाद रहेगी। इसकी सीमा 2024 तक की है, लेकिन अलग राजधानी को लेकर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच अब भी विवाद जारी है।

 

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