100 प्रतिशत दिव्यांग संतोष का कटा बीपीएल राशन कार्ड से नाम

फिर से नाम दर्ज करवाने के लिए काट रही है दफ्तरों के चक्कर

एस• के• मित्तल 
सफीदों,      जरूरतमंदों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने में सरकारी तंत्र वहां आकर फेल नजर आता है जहां 100 प्रतिशत दिव्यांग तक सरकारी योजनाएं आते-आते दम तोड़ जाती है। इस प्रकार के पीडि़त परिवारों और जरूरतमंदों की आप बीती सुन आंखे नम हो जाती है। ऐसा ही एक मामला सफीदों के गांव बेरीखेड़ा में सामने आया है। बेरी खेड़ा गांव की निवासी संतोष जन्म से दिव्यांग है और चलने-फिरने में असमर्थ है।
संतोष पूरी तरह से सरकारी योजनाओं पर निर्भर है और वह अपना गरीबी रेखा का राशन कार्ड कटने से बहुत दुखी है। 100 प्रतिशत दिव्यांग संतोष परिवार पहचान पत्र में इकलौती सदस्य है। संतोष ने अपना दुखड़ा सुमाते हुए कहा कि दिव्यांग होने के कारण उसे अपने कार्यों के लिए दूसरे लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है। उसकी माली हालत बेहद खराब है तथा उसका घर कडिय़ों की छत का बना हुआ है। आज तक मुझे कोई भी शासकीय योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। उसने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना व आयुष्मान योजना का लाभ भी उसे नहीं मिला है।
वह किसी तरह से गरीबी रेखा के राशन कार्ड से अपना गुजर-बसर कर रही थी लेकिन उसमें भी उसका नाम काट दिया गया है। वह अपने राशन कार्ड को लेकर कई बार संबंधित महकमे व अधिकारियों के चक्कर काट चुकी है लेकिन उसे आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला। उसने शासन व प्रशासन से मांग की कि उसका गरीबी रेखा का कार्ड फिर से बनाया जाए ताकि वह अपने पेट को भर सके। इसके अलावा उसे आयुष्मान कार्ड और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी दिया जाए।

परिवार पहचान पत्र (फैमिली आईडी) में इनकम अधिक दर्ज होने सहित कई प्रकार की खामियां से जरूरतमंद लोग पीडि़त हैं। गरीबी रेखा के राशन कार्ड कटने से जरूरतमंद परिवारों की गुजर-बसर खतरे में है, विशेषकर उन्हे जिनके पास आजीविका के कोई साधन नहीं है। ऐसे में दिव्यांग सहित गरीब परिवारों को खाने के लाले पड़ गए है। सरकार व संबंधित विभाग की ओर से बीपीएल व एपीएल राशन कार्ड के लिए अपात्र होने के मोबाइलों पर आए मैसेज के बाद से जरूरतमंदों में भय का माहौल व्याप्त है। यही नही मैसेज मिलने के बाद फैमिली आईडी में अपनी इनकम दुरुस्त करवाने व राशन कार्ड बनवाने को लेकर जरूरतमंद संबंधित विभाग के कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।

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